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सेना के जवान ने ब्लड कैंसर के मरीज को ब्लड स्टेम सेल्स डोनेट किया - ब्लड स्टेम डोनर

थैलेसेमिया या ब्लड कैंसर पीड़ितों के लिए ब्लड स्टेम सेल किसी अमृत से कम नहीं है. इसके बिना पीड़ितों का लंबे समय तक जीवित रहना मुश्किल हो जाता है. इसके लिए ब्लड स्टेम सेल्स डोनेशन की पहल की गई है, जिससे जरूरतमंद लोगों को अपने मैच के अनुसार डोनर मिल जाये और ट्रीटमेंट में बाधा ना आए.

Blood stem cells transplant
ब्लड स्टेम सेल्स प्रत्यारोपण
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Published : Dec 9, 2020, 11:30 AM IST

ब्लड कैंसर या थैलेसेमिया और अप्लास्टिक एनीमिया जैसे खून से संबंधित अन्य विकारों से पीड़ित रोगियों के लिए अकसर ब्लड स्टेम सेल प्रत्यारोपण ही एकमात्र इलाज होता है. हालांकि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के मात्र 30 फीसदी मरीज ही इसका उपचार करा पाने में सक्षम रहते हैं, क्योंकि ट्रीटमेंट केवल सिबलिंग मैच के आधार पर ही होता है. बाकी के 70 फीसदी मरीज असंबंधित डोनर को ढूंढ़ने पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में यह लोगों के लिए काफी जरूरी हो जाता है कि, वे स्टेम सेल डोनर्स के रूप में खुद को पंजीकृत करें.

ब्लड स्टेम सेल्स क्या है?

स्टेम सेल शरीर की मूल कोशिका होती है, इसलिये पहला स्टेम सेल भ्रूण में ही बनता है. मनुष्य का शरीर असंख्य कोशिकाओं से बना होता है और इनके अपने-अपने कार्य होते हैं. स्टेम सेल विभाजित होने के बाद भी फिर से पूर्ण रूप धारण कर लेता है. इससे शरीर की लगभग सभी कोशिकाओं को कृत्रिम रूप से निर्मित किया जा सकता है. स्टेम सेल से शरीर के किसी भी अंग की कोशिका को तैयार किया जा सकता है.

स्टेम सेल डोनेशन

साल 2019 में संदीपन नामक एक जवान ने डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन के साथ मिलकर खुद को एक ब्लड स्टेम डोनर के रूप में पंजीकृत किया है. यह एक गैर लाभकारी संगठन है, जो ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए काम करता है. अपने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे एक अभियान में उन्होंने खुद को पंजीकृत कराया था और साल 2020 में एक मरीज के मैच के रूप में उभरकर सामने आए.

संदीपन महाराष्ट्र के लातूर जिले से ताल्लुक रखते हैं. कोरोनावायरस महामारी के दौरान जब सभी खुद के करीबियों के लिए फिक्रमंद नजर आए, उस वक्त संदीप ने ब्लड स्टेम सेल डोनेशन को अपना कर्तव्य माना. इसके लिए वह लातूर से बैंगलोर आए.

डीकेएमएस-बीएमएसटी के सीईओ पैट्रिक पॉल ने कहा, 'यात्रा पर प्रतिबंध लगे रहने के चलते सबसे बड़ी चुनौती डोनर और उनके परिवार को उनके होमटाउन से बैंगलुरू तक लाना था. संदीपन भारत के एक सुदूरवर्ती इलाके में तैनात हैं, इसलिए हमारे लिए यह जरूरी था कि हम उनके ब्लड स्टेम सेल्स डोनेट के लिए भारतीय सेना से सभी आवश्यक अनुमति प्रदान करें.'

अपने अनुभव के बारे में संदीपन ने कहा, 'जब मुझे पेशेंट से मैच होने को लेकर कॉल आया, तो मुझे काफी अच्छा लगा. मैंने इस पर दोबारा नहीं सोचा और जरूरतमंद मरीज को अपना ब्लड स्टेम सेल देने को राजी हो गया.'

संदीपन ने अपने ब्लड स्टेम कोशिकाओं को पीबीएससी (परिधीय रक्त स्टेम सेल) विधि के माध्यम से दान किया. यह प्रक्रिया ब्लड प्लेटलेट डोनेशन के समान ही है. इसमें सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है और यह काफी सुरक्षित भी है.

ब्लड कैंसर या थैलेसेमिया और अप्लास्टिक एनीमिया जैसे खून से संबंधित अन्य विकारों से पीड़ित रोगियों के लिए अकसर ब्लड स्टेम सेल प्रत्यारोपण ही एकमात्र इलाज होता है. हालांकि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के मात्र 30 फीसदी मरीज ही इसका उपचार करा पाने में सक्षम रहते हैं, क्योंकि ट्रीटमेंट केवल सिबलिंग मैच के आधार पर ही होता है. बाकी के 70 फीसदी मरीज असंबंधित डोनर को ढूंढ़ने पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में यह लोगों के लिए काफी जरूरी हो जाता है कि, वे स्टेम सेल डोनर्स के रूप में खुद को पंजीकृत करें.

ब्लड स्टेम सेल्स क्या है?

स्टेम सेल शरीर की मूल कोशिका होती है, इसलिये पहला स्टेम सेल भ्रूण में ही बनता है. मनुष्य का शरीर असंख्य कोशिकाओं से बना होता है और इनके अपने-अपने कार्य होते हैं. स्टेम सेल विभाजित होने के बाद भी फिर से पूर्ण रूप धारण कर लेता है. इससे शरीर की लगभग सभी कोशिकाओं को कृत्रिम रूप से निर्मित किया जा सकता है. स्टेम सेल से शरीर के किसी भी अंग की कोशिका को तैयार किया जा सकता है.

स्टेम सेल डोनेशन

साल 2019 में संदीपन नामक एक जवान ने डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन के साथ मिलकर खुद को एक ब्लड स्टेम डोनर के रूप में पंजीकृत किया है. यह एक गैर लाभकारी संगठन है, जो ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए काम करता है. अपने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे एक अभियान में उन्होंने खुद को पंजीकृत कराया था और साल 2020 में एक मरीज के मैच के रूप में उभरकर सामने आए.

संदीपन महाराष्ट्र के लातूर जिले से ताल्लुक रखते हैं. कोरोनावायरस महामारी के दौरान जब सभी खुद के करीबियों के लिए फिक्रमंद नजर आए, उस वक्त संदीप ने ब्लड स्टेम सेल डोनेशन को अपना कर्तव्य माना. इसके लिए वह लातूर से बैंगलोर आए.

डीकेएमएस-बीएमएसटी के सीईओ पैट्रिक पॉल ने कहा, 'यात्रा पर प्रतिबंध लगे रहने के चलते सबसे बड़ी चुनौती डोनर और उनके परिवार को उनके होमटाउन से बैंगलुरू तक लाना था. संदीपन भारत के एक सुदूरवर्ती इलाके में तैनात हैं, इसलिए हमारे लिए यह जरूरी था कि हम उनके ब्लड स्टेम सेल्स डोनेट के लिए भारतीय सेना से सभी आवश्यक अनुमति प्रदान करें.'

अपने अनुभव के बारे में संदीपन ने कहा, 'जब मुझे पेशेंट से मैच होने को लेकर कॉल आया, तो मुझे काफी अच्छा लगा. मैंने इस पर दोबारा नहीं सोचा और जरूरतमंद मरीज को अपना ब्लड स्टेम सेल देने को राजी हो गया.'

संदीपन ने अपने ब्लड स्टेम कोशिकाओं को पीबीएससी (परिधीय रक्त स्टेम सेल) विधि के माध्यम से दान किया. यह प्रक्रिया ब्लड प्लेटलेट डोनेशन के समान ही है. इसमें सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है और यह काफी सुरक्षित भी है.

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