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कहीं आप मानसून ब्लूज़ का शिकार तो नहीं? - क्या है मानसून ब्लूज़

मानसून का भीगा-भीगा मौसम आमतौर पर लोगों के मन में उत्साह, रूमानियत और खुशी लेकर आता है। तेज बारिश या बूंदा बाँदी के बीच गर्मागरम गर्म नूडल्स या पकौड़े मौसम के आनंद को ज्यादा बढ़ा देते हैं। लेकिन कई बार कुछ लोग इस मौसम में एक अजीब तरह की उदासी भी महसूस करते हैं। कुछ लोग या तो इस मौसम की शुरुआत से ही तो कुछ लोग लगातार बारिश होने पर मानसून ब्लूज़ (मानसून के चलते उदास होना) महसूस करने लगते हैं।

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मानसून
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Published : Sep 9, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Sep 9, 2021, 3:51 PM IST

कई बार जब बहुत दिनों तक बादल छाए रहें और जब भी आप घर से बाहर निकलने की सोचें और तुरंत बारिश शुरू हो जाये तो, एक अलग तरह की उदासी और चिढ़ व्यक्ति महसूस करने लगता है। सिर्फ यही नहीं ,लगातार बारिश होने पर पूरे दिन सुस्ती और आलस भी महसूस होने लगता है और हम सोचने लगते हैं की काश थोड़ी देर के लिए ही सही धूप निकल जाए। यह सोच कई लोगों में आम है, लेकिन मौसम का प्रभाव किसी व्यक्ति के मूड को हद से ज्यादा नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगे तो वह अवसाद का एक प्रकार बन जाता है।

व्यवहार को प्रभावित कर सकता है मौसम

यह सत्य है की मौसम का बदलना ज्यादातर लोगों के मिजाज को प्रभावित करता है। कुछ लोगों में सूरज की रोशनी से दमकती सुबह ऊर्जा, उत्साह और खुशी लाती है, वहीं बादलों से घूटा हुआ आसमान या गरज वाला मौसम उनमें चिढ़चिढ़ाहट भर देता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (एन.आई.एम.एच) के अनुसार, "बहुत से लोग कुछ समय अंतराल के लिए अकारण व्यवहार में उदासी महसूस करने लगते हैं। मौसम के संधिकाल यानी मौसम के बदलने पर यह अवस्था कई लोगों में सामान्य रूप से देखने में आती है। सिर्फ मानसून के मौसम में ही नहीं, सर्दियों की शुरुआत में भी जब पतझड़ होता है और दिन छोटे होने लगते हैं, कई लोगों में इस तरह की उदासी देखने में आती है। जिसे "विंटर ब्लूज़" के नाम से जाना जाता है।

कुछ मामलों में, ये मूड परिवर्तन अधिक गंभीर हो सकते हैं और लोगों के व्यवहार के साथ उसकी सोच और दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करने लगते हैं। यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में मौसम या उसके बदलने का असर उदासी तथा अन्य रूपों में ज्यादा नजर आने लगे तो वह “मौसमी भावात्मक विकार (एस.ए.डी)” से पीड़ित हो सकता है, जो की एक प्रकार की अवसाद की स्तिथि है।

मौसमी भावात्मक विकार (एस.ए.डी)

एक अध्ययन के अनुसार, 9% लोग बारिश को पसंद ना करने वालों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोग बरसात के दिनों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन और कम खुशी महसूस करते हैं।

चूंकि एस.ए.डी एक प्रकार का अवसाद है, इसलिए इसके लक्षण ज्यादातर अवसाद के लक्षणों के समान ही होते हैं। एन.आई.एम.एच के अनुसार अलग-अलग मौसमों के एस.ए.डी के संकेत और लक्षणों में कुछ भिन्नता भी नजर आ सकती है।

एस.ए.डी के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की जरूरी नहीं है की इस समस्या से पीड़ित सभी लोगों में यह लक्षण नजर आयें।

इस प्रकार के अवसाद के लक्षण:

  • हर दिन पूरे दिन उदास महसूस करना
  • अपनी पसंदीदा गतिविधियों में रुचि खोना
  • भूख या वजन में बदलाव का अनुभव करना
  • नींद न आना
  • सुस्त या उत्तेजित महसूस करना
  • कम ऊर्जा होना
  • निराशाजनक या बेकार महसूस करना
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना
  • बार-बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना

शीतकालीन पैटर्न एस.ए.डी (विंटर ब्लूज़) होने पर कुछ अतिरिक्त लक्षण भी नजर आ सकते हैं जो इस प्रकार हैं:

  • जरूरत से ज्यादा सोना (हाइपरसोमनिया)
  • अधिक भोजन करना, विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट की लालसा के साथ
  • वजन बढ़ना
  • सामाजिक जीवन से दूरी बनाना ("हाइबरनेटिंग" जैसा महसूस करना)

समर-पैटर्न एस.ए.डी के लक्षण इस प्रकार हैं।

  • सोने में परेशानी (अनिद्रा)
  • भूख कम लगना, जिससे वजन कम होता है
  • बेचैनी और हलचल
  • चिंता
  • हिंसक व्यवहार के एपिसोड

कैसे निपटे मानसून ब्लूज़ से

हालांकि जानकारों का मानना ​​है कि सर्दी के मौसम में एस.ए.डी का ज्यादा अनुभव होता है। लेकिन मानसून के दौरान चूंकि हमारी बॉडी क्लाक में अंतर आ जाता है, जिसका असर हमारे पाचन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, नतीजतन व्यवहार में परिवर्तन के साथ ही ज्यादा नींद आने जैसी अवस्था का लोगों को सामना करना पड़ सकता है।

मॉनसून ब्लूज़ से निपटने के लिए कुछ टिप्स मददगार हो सकते हैं, जैसे:

  • दोस्तों से मिलें और उनके साथ चाय या कॉफी का आनंद उठायें।
  • हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएं
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें
  • स्पा या बॉडी मसाज लें

पढ़ें: भावनात्मक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिये प्रयास जरूरी

कई बार जब बहुत दिनों तक बादल छाए रहें और जब भी आप घर से बाहर निकलने की सोचें और तुरंत बारिश शुरू हो जाये तो, एक अलग तरह की उदासी और चिढ़ व्यक्ति महसूस करने लगता है। सिर्फ यही नहीं ,लगातार बारिश होने पर पूरे दिन सुस्ती और आलस भी महसूस होने लगता है और हम सोचने लगते हैं की काश थोड़ी देर के लिए ही सही धूप निकल जाए। यह सोच कई लोगों में आम है, लेकिन मौसम का प्रभाव किसी व्यक्ति के मूड को हद से ज्यादा नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगे तो वह अवसाद का एक प्रकार बन जाता है।

व्यवहार को प्रभावित कर सकता है मौसम

यह सत्य है की मौसम का बदलना ज्यादातर लोगों के मिजाज को प्रभावित करता है। कुछ लोगों में सूरज की रोशनी से दमकती सुबह ऊर्जा, उत्साह और खुशी लाती है, वहीं बादलों से घूटा हुआ आसमान या गरज वाला मौसम उनमें चिढ़चिढ़ाहट भर देता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (एन.आई.एम.एच) के अनुसार, "बहुत से लोग कुछ समय अंतराल के लिए अकारण व्यवहार में उदासी महसूस करने लगते हैं। मौसम के संधिकाल यानी मौसम के बदलने पर यह अवस्था कई लोगों में सामान्य रूप से देखने में आती है। सिर्फ मानसून के मौसम में ही नहीं, सर्दियों की शुरुआत में भी जब पतझड़ होता है और दिन छोटे होने लगते हैं, कई लोगों में इस तरह की उदासी देखने में आती है। जिसे "विंटर ब्लूज़" के नाम से जाना जाता है।

कुछ मामलों में, ये मूड परिवर्तन अधिक गंभीर हो सकते हैं और लोगों के व्यवहार के साथ उसकी सोच और दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करने लगते हैं। यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में मौसम या उसके बदलने का असर उदासी तथा अन्य रूपों में ज्यादा नजर आने लगे तो वह “मौसमी भावात्मक विकार (एस.ए.डी)” से पीड़ित हो सकता है, जो की एक प्रकार की अवसाद की स्तिथि है।

मौसमी भावात्मक विकार (एस.ए.डी)

एक अध्ययन के अनुसार, 9% लोग बारिश को पसंद ना करने वालों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोग बरसात के दिनों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन और कम खुशी महसूस करते हैं।

चूंकि एस.ए.डी एक प्रकार का अवसाद है, इसलिए इसके लक्षण ज्यादातर अवसाद के लक्षणों के समान ही होते हैं। एन.आई.एम.एच के अनुसार अलग-अलग मौसमों के एस.ए.डी के संकेत और लक्षणों में कुछ भिन्नता भी नजर आ सकती है।

एस.ए.डी के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की जरूरी नहीं है की इस समस्या से पीड़ित सभी लोगों में यह लक्षण नजर आयें।

इस प्रकार के अवसाद के लक्षण:

  • हर दिन पूरे दिन उदास महसूस करना
  • अपनी पसंदीदा गतिविधियों में रुचि खोना
  • भूख या वजन में बदलाव का अनुभव करना
  • नींद न आना
  • सुस्त या उत्तेजित महसूस करना
  • कम ऊर्जा होना
  • निराशाजनक या बेकार महसूस करना
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना
  • बार-बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना

शीतकालीन पैटर्न एस.ए.डी (विंटर ब्लूज़) होने पर कुछ अतिरिक्त लक्षण भी नजर आ सकते हैं जो इस प्रकार हैं:

  • जरूरत से ज्यादा सोना (हाइपरसोमनिया)
  • अधिक भोजन करना, विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट की लालसा के साथ
  • वजन बढ़ना
  • सामाजिक जीवन से दूरी बनाना ("हाइबरनेटिंग" जैसा महसूस करना)

समर-पैटर्न एस.ए.डी के लक्षण इस प्रकार हैं।

  • सोने में परेशानी (अनिद्रा)
  • भूख कम लगना, जिससे वजन कम होता है
  • बेचैनी और हलचल
  • चिंता
  • हिंसक व्यवहार के एपिसोड

कैसे निपटे मानसून ब्लूज़ से

हालांकि जानकारों का मानना ​​है कि सर्दी के मौसम में एस.ए.डी का ज्यादा अनुभव होता है। लेकिन मानसून के दौरान चूंकि हमारी बॉडी क्लाक में अंतर आ जाता है, जिसका असर हमारे पाचन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, नतीजतन व्यवहार में परिवर्तन के साथ ही ज्यादा नींद आने जैसी अवस्था का लोगों को सामना करना पड़ सकता है।

मॉनसून ब्लूज़ से निपटने के लिए कुछ टिप्स मददगार हो सकते हैं, जैसे:

  • दोस्तों से मिलें और उनके साथ चाय या कॉफी का आनंद उठायें।
  • हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएं
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें
  • स्पा या बॉडी मसाज लें

पढ़ें: भावनात्मक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिये प्रयास जरूरी

Last Updated : Sep 9, 2021, 3:51 PM IST
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