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तिहाड़ जेल में भीड़ होगी कम, अक्षम कैदियों को मिलेगी रिहाई

Tihar Jail: दिल्ली की जेल में भीड़ कम होगी, क्योंकि एलजी ने दिल्ली जेल नियम 2018 में संशोधन के लिए मसौदा अधिसूचना को मंजूरी दे दी है. हालांकि, यह संशोधन आजीवन या मृत्युदंड, देशद्रोह, आतंकवाद, POCSO आरोपों के तहत दोषी ठहराए गए कैदियों पर लागू नहीं होगा.

तिहाड़ जेल में भीड़ होगा कम
तिहाड़ जेल में भीड़ होगा कम
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 18, 2024, 7:55 PM IST

नई दिल्ली: एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली जेल नियम 2018 में संशोधन के लिए मसौदा अधिसूचना को मंजूरी दे दी. अब दिल्ली की जेलों में निश्चित अवधि की सजा काट रहे अक्षम कैदियों की समय से पहले रिहाई हो सकेगी. यह संशोधन दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में किया गया है. यह संशोधन आजीवन, मृत्युदंड, देशद्रोह, आतंकवाद, POCSO आरोपों के सजा काट रहे दोषियों पर लागू नहीं होगा.

संशोधन का उद्देश्य वृद्ध, अशक्त कैदियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करना है. साथ ही दिल्ली की तिहाड़, मंडोली और रोहिणी की अत्यधिक भीड़भाड़ वाली जेलों में भीड़ कम करना है, जिनमें केवल 10,026 की कुल क्षमता के मुकाबले 20,000 से अधिक कैदी रह रहे हैं.

संशोधन के अनुसार, नियम 1246-ए को दिल्ली जेल नियम 2018 में शामिल किया गया है, जैसा जेल विभाग द्वारा प्रस्तावित और गृह और कानून विभागों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है. तदनुसार, गृह विभाग द्वारा मसौदा अधिसूचना को मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजा गया था. अब तक, दिल्ली जेल नियम 2018 के नियम 1251 के अनुसार, केवल आजीवन कारावास की सजा काट चुके कैदियों को सजा समीक्षा बोर्ड की सिफारिशों पर समय से पहले रिहा किया जाता था.

नियमों में संशोधन बाद अक्षम दोषी जिनकी उम्र 70 वर्ष और उससे अधिक है और जो अपने दैनिक कार्य करने में असमर्थ हैं, को विशेष रूप से समीक्षा समिति की सिफारिशों पर समय से पहले रिहा किया जा सकता है. ऐसे कैदियों में वे लोग शामिल हैं, जो एक निश्चित अवधि के लिए कठोर या साधारण कारावास की सजा काट रहे हैं, और दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील का फैसला अपीलीय अदालतों द्वारा किया गया है.

मूल्यांकन समिति में शामिल होंगे यह लोग:

  • उप महानिरीक्षक (जेल), रेंज
  • संबंधित जेल अधीक्षक-सदस्य सचिव
  • रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर जेल- सदस्य
  • किसी भी सरकारी अस्पताल से संबंधित क्षेत्र के कम से कम दो विशेषज्ञ डॉक्टरों को डीजी (जेल) द्वारा नामित सदस्य

संशोधन के अनुसार, केवल एक दोषी जिसे मेडिकल बोर्ड द्वारा "अक्षम दोषी" घोषित किया गया है और दोषी ठहराए जाने के बाद दी गई अपनी वास्तविक सजा का कम से कम 50% (अर्जित छूट की अवधि की गणना किए बिना) काट चुका है. ऐसे लोग समयपूर्व रिहाई के लिए विचार किए जाने के पात्र होंगे. मेडिकल बोर्ड के प्रमाणीकरण के आधार पर दोषी की चिकित्सा स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक मूल्यांकन समिति होगी.

मूल्यांकन समिति यह भी सिफारिश कर सकती है कि दोषी इस नियम के तहत समय से पहले रिहाई के लिए उपयुक्त है या नहीं. मूल्यांकन समिति को किसी दोषी की रिहाई को अस्वीकार करने का अधिकार होगा. समिति द्वारा अनुशंसित सभी पात्र मामलों को समय से पहले रिहाई के लिए शेष सजा की माफी की मंजूरी के लिए एलजी को प्रस्तुत किया जाएगा.

नई दिल्ली: एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली जेल नियम 2018 में संशोधन के लिए मसौदा अधिसूचना को मंजूरी दे दी. अब दिल्ली की जेलों में निश्चित अवधि की सजा काट रहे अक्षम कैदियों की समय से पहले रिहाई हो सकेगी. यह संशोधन दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में किया गया है. यह संशोधन आजीवन, मृत्युदंड, देशद्रोह, आतंकवाद, POCSO आरोपों के सजा काट रहे दोषियों पर लागू नहीं होगा.

संशोधन का उद्देश्य वृद्ध, अशक्त कैदियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करना है. साथ ही दिल्ली की तिहाड़, मंडोली और रोहिणी की अत्यधिक भीड़भाड़ वाली जेलों में भीड़ कम करना है, जिनमें केवल 10,026 की कुल क्षमता के मुकाबले 20,000 से अधिक कैदी रह रहे हैं.

संशोधन के अनुसार, नियम 1246-ए को दिल्ली जेल नियम 2018 में शामिल किया गया है, जैसा जेल विभाग द्वारा प्रस्तावित और गृह और कानून विभागों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है. तदनुसार, गृह विभाग द्वारा मसौदा अधिसूचना को मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजा गया था. अब तक, दिल्ली जेल नियम 2018 के नियम 1251 के अनुसार, केवल आजीवन कारावास की सजा काट चुके कैदियों को सजा समीक्षा बोर्ड की सिफारिशों पर समय से पहले रिहा किया जाता था.

नियमों में संशोधन बाद अक्षम दोषी जिनकी उम्र 70 वर्ष और उससे अधिक है और जो अपने दैनिक कार्य करने में असमर्थ हैं, को विशेष रूप से समीक्षा समिति की सिफारिशों पर समय से पहले रिहा किया जा सकता है. ऐसे कैदियों में वे लोग शामिल हैं, जो एक निश्चित अवधि के लिए कठोर या साधारण कारावास की सजा काट रहे हैं, और दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील का फैसला अपीलीय अदालतों द्वारा किया गया है.

मूल्यांकन समिति में शामिल होंगे यह लोग:

  • उप महानिरीक्षक (जेल), रेंज
  • संबंधित जेल अधीक्षक-सदस्य सचिव
  • रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर जेल- सदस्य
  • किसी भी सरकारी अस्पताल से संबंधित क्षेत्र के कम से कम दो विशेषज्ञ डॉक्टरों को डीजी (जेल) द्वारा नामित सदस्य

संशोधन के अनुसार, केवल एक दोषी जिसे मेडिकल बोर्ड द्वारा "अक्षम दोषी" घोषित किया गया है और दोषी ठहराए जाने के बाद दी गई अपनी वास्तविक सजा का कम से कम 50% (अर्जित छूट की अवधि की गणना किए बिना) काट चुका है. ऐसे लोग समयपूर्व रिहाई के लिए विचार किए जाने के पात्र होंगे. मेडिकल बोर्ड के प्रमाणीकरण के आधार पर दोषी की चिकित्सा स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक मूल्यांकन समिति होगी.

मूल्यांकन समिति यह भी सिफारिश कर सकती है कि दोषी इस नियम के तहत समय से पहले रिहाई के लिए उपयुक्त है या नहीं. मूल्यांकन समिति को किसी दोषी की रिहाई को अस्वीकार करने का अधिकार होगा. समिति द्वारा अनुशंसित सभी पात्र मामलों को समय से पहले रिहाई के लिए शेष सजा की माफी की मंजूरी के लिए एलजी को प्रस्तुत किया जाएगा.

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