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बंदी छोड़ दिवस पर सिखों ने कैदियों की रिहाई की मांग की

सिख धर्म में दिवाली के दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार सिखों के तीन त्योहारों में से एक है, जिनमें पहला माघी, दूसरा बैसाखी और तीसरा बंदी छोड़ दिवस है. इस मौके पर दिल्ली में सिख समाज के लोगों ने देश के अलग-अलग राज्यों में बंद सिख कैदियों की रिहाई की मांग की है.

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सिखों ने कैदियों की रिहाई की मांग की
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Published : Oct 24, 2022, 6:31 PM IST

नई दिल्ली : दिवाली के दिन सिख समाज के लोग बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं. इस खास दिन पर सिख समाज के लोगों ने देश के अलग-अलग जेलों में बंद नौ सिख कैदी जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है उसकी रिहाई की मांग की. सिख कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर सिख कैदी रिहाई मोर्चा की अगुवाई में तिहाड़ जेल के बाहर प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन में सिख संगठनों के काफी लोगों ने भाग लिया. इसमें महिलाएं भी शामिल थी. इनका कहना है कि जो सिख बंदी तिहाड़ और देश की अलग-अलग जेलों में 25-30 साल से बंद है उन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है. इसके बावजूद उसकी अब तक उनकी रिहाई नहीं हुई है. इन लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि जल्द से जल्द इन सिख बंदियों को रिहा किया जाए. उन्हें भी अपने परिवार के साथ दिवाली मनाने का मौका मिले.

सिखों ने कैदियों की रिहाई की मांग की

सिख प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सरकार ने इन बंदियों की रिहाई को लेकर फैसला नहीं लिया तो वे सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे. इन लोगों ने कहा कि इन बंदियों को न छोड़ने के पीछे चाहे बीजेपी की राजनीति हो या फिर आम आदमी पार्टी की वह सही नहीं है. यह संविधान के खिलाफ है. इसलिए सिख बंधुओं को अविलंब जेल से रिहा कर दिया जाए.

ये भी पढ़ें : दिल्ली में सिख बंदियों की रिहाई के लिए प्रदर्शन

दरअसल, दिपावली के दिन गुरु हरगोबिंद साहिब पातशाह ग्वालियर के जेल से 52 राजाओं को जहांगीर के कैद से छुड़ाया था. तब से दीपावली के दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसलिए यह सियासी मोर्चा बंदी कैदियों की रिहाई के लिए हर साल इस दिन तिहाड़ जेल के बाहर धरना प्रदर्शन और अरदास कर इन बंदियों की रिहाई की मांग करते हैं.

ये भी पढ़ें : दिल्ली में दीपावली पर कोई सरकारी आयोजन नहीं, परिवार संग घर पर पूजा करेंगे केजरीवाल

नई दिल्ली : दिवाली के दिन सिख समाज के लोग बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं. इस खास दिन पर सिख समाज के लोगों ने देश के अलग-अलग जेलों में बंद नौ सिख कैदी जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है उसकी रिहाई की मांग की. सिख कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर सिख कैदी रिहाई मोर्चा की अगुवाई में तिहाड़ जेल के बाहर प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन में सिख संगठनों के काफी लोगों ने भाग लिया. इसमें महिलाएं भी शामिल थी. इनका कहना है कि जो सिख बंदी तिहाड़ और देश की अलग-अलग जेलों में 25-30 साल से बंद है उन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है. इसके बावजूद उसकी अब तक उनकी रिहाई नहीं हुई है. इन लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि जल्द से जल्द इन सिख बंदियों को रिहा किया जाए. उन्हें भी अपने परिवार के साथ दिवाली मनाने का मौका मिले.

सिखों ने कैदियों की रिहाई की मांग की

सिख प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सरकार ने इन बंदियों की रिहाई को लेकर फैसला नहीं लिया तो वे सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे. इन लोगों ने कहा कि इन बंदियों को न छोड़ने के पीछे चाहे बीजेपी की राजनीति हो या फिर आम आदमी पार्टी की वह सही नहीं है. यह संविधान के खिलाफ है. इसलिए सिख बंधुओं को अविलंब जेल से रिहा कर दिया जाए.

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दरअसल, दिपावली के दिन गुरु हरगोबिंद साहिब पातशाह ग्वालियर के जेल से 52 राजाओं को जहांगीर के कैद से छुड़ाया था. तब से दीपावली के दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसलिए यह सियासी मोर्चा बंदी कैदियों की रिहाई के लिए हर साल इस दिन तिहाड़ जेल के बाहर धरना प्रदर्शन और अरदास कर इन बंदियों की रिहाई की मांग करते हैं.

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