नई दिल्लीः किसान आंदोलन स्थल सिंघु बॉर्डर से करीब 2 किलोमीटर दूरी पर नरेला और बवाना इंडस्ट्रियल एरिया है. जहां पर 20 हजार के करीब फैक्ट्रियां हैं और इन फैक्ट्रियों में एक लाख के आसपास कर्मचारी काम करते हैं. आंदोलन के चलते फैक्ट्रियों में बाहरी राज्यों से आने वाला सामान नहीं पहुंच पा रहा है, जिसके चलते उद्यमी काफी परेशान हैं और इन्हें करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
कारोबारियों को हो रहा नुकसान
ईटीवी से बात करते हुए नरेला इंडस्ट्रियल एरिया के एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष गर्ग ने बताया कि आंदोलन के चलते फैक्ट्रियों को काफी नुकसान हो रहा है. फैक्ट्रियों में समय पर माल नहीं पहुंच पा रहा है. जिसके चलते लोगों को काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि फैक्ट्रियों में आने वाले लेबर ज्यादातर कुंडली इलाके से हैं, जो समय पर नहीं पहुंच पाते, जिससे काम रुका हुआ है.
साथ ही बताया कि पेट्रोलियम कंपनियों ने सरकार को पत्र लिखकर अपील की है कि आंदोलन को जल्द खत्म कराया जाए, ताकि पेट्रोल पंपों पर दोबारा से कंपनियों का तेल पहुंच सके और दोबारा काम शुरू हो सके. किसान आंदोलन के चलते सब कुछ ठप पड़ा हुआ है.
डर और दहशत का माहौल
उद्यमी पुनीत अग्रवाल ने बताया कि वह कुंडली से नरेला इंडस्ट्रियल इलाके में आते हैं, जिस रास्ते पर पहले उन्हें आधे घंटे का समय लगता था, अब 2 से 3 घंटे का समय लग रहा है. दूसरे वैकल्पिक रास्तों से फैक्ट्रियों में आना होता है, जिससे समय भी ज्यादा बर्बाद होता है. उन्होंने कहा कि आंदोलन में अफरा-तफरी का माहौल होने के चलते लोगों में डर बना हुआ है और घर वाले भी बार-बार फोन करते रहते हैं.