नई दिल्ली: मायापुरी इंडस्ट्रियल इलाके में निजी फैक्ट्री और कंपनी में काम करने वाले मजदूरों की छंटनी को लेकर इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन यानी IFTU ने इन कंपनी के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने IFTU के साथ इंडस्ट्रियल इलाके में मार्च निकाला और फैक्ट्री के गेट पर जाकर धरना प्रदर्शन किया.
यूनियन का आरोप है कि दिल्ली सरकार इस बात पर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती कि न्यूनतम वेतनमान सबसे अधिक दिल्ली में मजदूरों को दिया जा रहा है, लेकिन हकीकत से कोसों दूर है महज 5 फ़ीसदी लोगों को ही दिल्ली सरकार द्वारा तय वेतनमान दिया जा रहा है. बाकी लोगों से ना सिर्फ से आधे पैसों पर जबरन काम कराया जा रहा है.
ओवरटाइम कर रहे कर्मचारी: कर्मचारियों से 8 घंटे की बजाय 12 घंटे की ड्यूटी करवाई जाती है और लेबर कोर्ट में शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती. कंपनी में काम करने वाला कर्मचारी प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाता है उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता. कुछ कर्मचारियों पर कंपनी प्रबंधन जबरन मामला दर्ज कराया है, लेकिन दिल्ली सरकार का डिपार्टमेंट कुछ भी करने को तैयार नहीं है. IFTU पदाधिकारियों के अनुसार जहां पहले लेबर डिपार्टमेंट में अधिक कर्मचारी होते थे. वहीं अब यह कर्मचारी गिनती के रह गए हैं. IFTU दिल्ली सरकार से मांग करती है कि श्रम कानूनों को सख़्ती से लागू किया जाए.
कंपनियां कर रही मनमानी: दिल्ली में IFTU के जनरल सेक्रेटरी राजेश कुमार का कहना है कि कंपनी से निकाले गए कर्मचारियों के संबंध में शिकायत भी की गई है, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. यहां मजदूरों को जबरन 8000 में 8 घंटे और 10000 में 12 घंटे ड्यूटी कराई जाती है. जो कंपनी प्रबंधन के इन शर्तों पर काम करने को तैयार नहीं होता उसे नौकरी से निकाल दिया जाता. अगर कोई शिकायत करने की बात कहता तो उस पर कंपनी उल्टा मामला दर्ज कराती है. लेकिन दिल्ली सरकार और ना ही दिल्ली सरकार का लेबर डिपार्टमेंट, कर्मचारियों की परेशानियों को गंभीरता से लेते हैं.