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दिल्ली की परिवहन व्यवस्था होगी और मजबूत, मेट्रो फीडर बसों को चलाएगी सरकार

दिल्ली सरकार जल्द ही दिल्ली के नागरिकों के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी को मजबूत करने में जुटी है और इसके तहत दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (Delhi Metro Rail Corporation) की मौजूदा इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन को अपने हाथों में लेगी.

Delhi Government will run metro feeder buses
Delhi Government will run metro feeder buses
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Published : Dec 27, 2022, 11:00 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली कैबिनेट ने हाल ही में परिवहन विभाग के अधीन दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (Delhi Metro Rail Corporation) की 100 से अधिक मौजूदा ई-बस और 380 फीडर बसों को संचालित करने का निर्णय लिया (Delhi Government will run metro feeder buses) है.

जानकारी के अनुसार डीएमआरसी ने दिसंबर 2019 से पूर्वी और उत्तरी दिल्ली के क्लस्टर इलाके में शास्त्री पार्क और मजलिस पार्क डिपो से बसों का संचालन कर रही है. इन बसों को परिवहन विभाग दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (Delhi Integrated Multimodal Transit System) के तहत चलाएगा. इसके अलावा 380 इलेक्ट्रिक बसों को संचालित करने के लिए मेट्रो स्टेशनों की पहचान की गई है. इसमें वेलकम, कोहट एनक्लेव, रिठाला, नांगलोई, मुंडका और द्वारका शामिल हैं. डीएमआरसी द्वारा इन स्थानों पर बस डिपो का निर्माण किया जाएगा. परिवहन विभाग इन सभी फीडर बसों को प्रति किलोमीटर स्कीम के तहत संचालित करेगा, जिसके अंतर्गत परिचालकों को उनके द्वारा तय की गई दूरी के हिसाब से भुगतान किया जाएगा.

दरअसल इसकी शुरुआत दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी (last mile connectivity) को सुदृढ़ करने और एक निश्चित अंतराल पर बसों के परिचालन के लिए दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा आयोजित रूट पर रेसनलाइजेशन अध्ययन के बाद किया गया. रूट रेसनलाइजेशन का पहला चरण अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ था, जिसके अंतर्गत 26 नए रूटों पर 5 से 20 मिनट की टाइमिंग पर बसों को चलाया गया था. अध्ययन में जहां सड़क की कम चौड़ाई या यात्री की संख्या अधिक नहीं है, वहां 12 मीटर लंबी डीटीसी और क्लस्टर बसें संचालित नहीं हो सकतीं. वहां के लिए मिनी बसों के उपयोग की सिफारिश की गई थी. इस संबंध में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत (Delhi Transport Minister Kailash Gehlot) ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) के नेतृत्व में दिल्ली सरकार सार्वजनिक परिवहन को अपने नागरिकों के लिए जहां अधिक किफायती, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

ये भी पढ़ें: G20 Summit 2023 से पहले 5 जोन डेवलप करेगी एमसीडी, दिल्ली को दी जाएगी खूबसूरत शक्ल

कैलाश गहलोत ने कहा कि रूट रेशनलाइजेशन के कामों को मिली अच्छी प्रतिक्रिया और सफलता के बाद अब यह नई इलेक्ट्रिक फीडर बसें (New Electric Feeder Buses) लोगों के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी (last mile connectivity) को और आसान बना देगी. रूट नेशनलाइजेशन अध्ययन ने हमें शहर में बस यात्रियों की वास्तविक स्थिति को समझने में मदद की, जिसके बाद आवश्यकता के अनुसार इन रूट पर बसों की संख्या बढ़ाया गया और नए मार्गों को भी जोड़ा गया. उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शहर में जोड़ी जा रही सभी नई बसें इलेक्ट्रिक हों.

ये भी पढ़ें: एमसीडी ने म्यूटेशन की प्रक्रिया की ऑनलाइन, आसानी से हो सकेगा नाम परिवर्तन

नई दिल्ली: दिल्ली कैबिनेट ने हाल ही में परिवहन विभाग के अधीन दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (Delhi Metro Rail Corporation) की 100 से अधिक मौजूदा ई-बस और 380 फीडर बसों को संचालित करने का निर्णय लिया (Delhi Government will run metro feeder buses) है.

जानकारी के अनुसार डीएमआरसी ने दिसंबर 2019 से पूर्वी और उत्तरी दिल्ली के क्लस्टर इलाके में शास्त्री पार्क और मजलिस पार्क डिपो से बसों का संचालन कर रही है. इन बसों को परिवहन विभाग दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (Delhi Integrated Multimodal Transit System) के तहत चलाएगा. इसके अलावा 380 इलेक्ट्रिक बसों को संचालित करने के लिए मेट्रो स्टेशनों की पहचान की गई है. इसमें वेलकम, कोहट एनक्लेव, रिठाला, नांगलोई, मुंडका और द्वारका शामिल हैं. डीएमआरसी द्वारा इन स्थानों पर बस डिपो का निर्माण किया जाएगा. परिवहन विभाग इन सभी फीडर बसों को प्रति किलोमीटर स्कीम के तहत संचालित करेगा, जिसके अंतर्गत परिचालकों को उनके द्वारा तय की गई दूरी के हिसाब से भुगतान किया जाएगा.

दरअसल इसकी शुरुआत दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी (last mile connectivity) को सुदृढ़ करने और एक निश्चित अंतराल पर बसों के परिचालन के लिए दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा आयोजित रूट पर रेसनलाइजेशन अध्ययन के बाद किया गया. रूट रेसनलाइजेशन का पहला चरण अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ था, जिसके अंतर्गत 26 नए रूटों पर 5 से 20 मिनट की टाइमिंग पर बसों को चलाया गया था. अध्ययन में जहां सड़क की कम चौड़ाई या यात्री की संख्या अधिक नहीं है, वहां 12 मीटर लंबी डीटीसी और क्लस्टर बसें संचालित नहीं हो सकतीं. वहां के लिए मिनी बसों के उपयोग की सिफारिश की गई थी. इस संबंध में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत (Delhi Transport Minister Kailash Gehlot) ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) के नेतृत्व में दिल्ली सरकार सार्वजनिक परिवहन को अपने नागरिकों के लिए जहां अधिक किफायती, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

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कैलाश गहलोत ने कहा कि रूट रेशनलाइजेशन के कामों को मिली अच्छी प्रतिक्रिया और सफलता के बाद अब यह नई इलेक्ट्रिक फीडर बसें (New Electric Feeder Buses) लोगों के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी (last mile connectivity) को और आसान बना देगी. रूट नेशनलाइजेशन अध्ययन ने हमें शहर में बस यात्रियों की वास्तविक स्थिति को समझने में मदद की, जिसके बाद आवश्यकता के अनुसार इन रूट पर बसों की संख्या बढ़ाया गया और नए मार्गों को भी जोड़ा गया. उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शहर में जोड़ी जा रही सभी नई बसें इलेक्ट्रिक हों.

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