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केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में बीएससी इन यौगिक साइंस कोर्स में नामांकन प्रक्रिया शुरू

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी ने बीएससी इन यौगिक साइंस के नाम से नया कोर्स शुरू किया है. कोर्स में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

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Published : Jul 15, 2023, 10:38 AM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी में रोजगारपरक कोर्सेज की शुरुआत हो गई है. अब छात्रों के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के कोर्सेज के अलावा अन्य कोर्स भी उपलब्ध कराएगा. कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा है कि सीएसयू में पहली बार बीएससी इन यौगिक साइंस की पढ़ाई हेतु नामांकन प्रक्रिया शुरू की गई है, जो कला तथा विज्ञान दोनों स्ट्रीम के छात्रों के लिए बहुपयोगी होगा.

इससे योग विद्या, आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक धरातल पर प्रतिष्ठित होगी. प्रोफेसर वरखेड़ी ने इस बात पर बल देते हुए यह भी कहा कि इस तरह के पाठ्यक्रमों के निर्माण से योग को मजबूत धरातल मिलेगा क्योंकि योग के मूल में ही संस्कृत है. इससे संस्कृत का दार्शनिक तथा वैज्ञानिक आयाम और विस्तारित तथा वैश्विक हो सकेगा.

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इस परिसर में फिलहाल इस पाठ्यक्रम को शुरू किया जा रहा है. प्रोफेसर विश्वाल ने कहा कि कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी के मार्गदर्शन में ऐसे अनेक पाठ्यक्रम की पूरी तैयारी चल रही है जिससे संस्कृत जन-जन तक पहुंच सके. कुल सचिव प्रो रणजीत कुमार बर्मन ने कहा है कि संस्कृत के क्षेत्र में यह बहुत ही सराहनीय प्रयास माना जाना चाहिए.

इस अवसर पर शैक्षणिक एवं छात्र कल्याण डीन प्रो बनमाली बिश्वाल, परीक्षा नियंत्रक प्रो पवन कुमार, आचार्य आर.जी. कृष्ण मुरली एवं आचार्य मधुकेश्वर भट्ट निदेशक शोध एवं प्रकाशन, डा श्रीनिवासू मन्था परियोजना अधिकारी के साथ साथ विश्वविद्यालय के उत्तराखंड के देवप्रयाग स्थित रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो. पीवीसी सुब्रह्मण्यम भी मौजूद रहे.


ये भी पढ़ें: Delhi University: पीएचडी प्रोग्राम के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, जानें कौन-कौन कर सकते हैं आवेदन

नई दिल्ली: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी में रोजगारपरक कोर्सेज की शुरुआत हो गई है. अब छात्रों के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के कोर्सेज के अलावा अन्य कोर्स भी उपलब्ध कराएगा. कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा है कि सीएसयू में पहली बार बीएससी इन यौगिक साइंस की पढ़ाई हेतु नामांकन प्रक्रिया शुरू की गई है, जो कला तथा विज्ञान दोनों स्ट्रीम के छात्रों के लिए बहुपयोगी होगा.

इससे योग विद्या, आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक धरातल पर प्रतिष्ठित होगी. प्रोफेसर वरखेड़ी ने इस बात पर बल देते हुए यह भी कहा कि इस तरह के पाठ्यक्रमों के निर्माण से योग को मजबूत धरातल मिलेगा क्योंकि योग के मूल में ही संस्कृत है. इससे संस्कृत का दार्शनिक तथा वैज्ञानिक आयाम और विस्तारित तथा वैश्विक हो सकेगा.

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इस परिसर में फिलहाल इस पाठ्यक्रम को शुरू किया जा रहा है. प्रोफेसर विश्वाल ने कहा कि कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी के मार्गदर्शन में ऐसे अनेक पाठ्यक्रम की पूरी तैयारी चल रही है जिससे संस्कृत जन-जन तक पहुंच सके. कुल सचिव प्रो रणजीत कुमार बर्मन ने कहा है कि संस्कृत के क्षेत्र में यह बहुत ही सराहनीय प्रयास माना जाना चाहिए.

इस अवसर पर शैक्षणिक एवं छात्र कल्याण डीन प्रो बनमाली बिश्वाल, परीक्षा नियंत्रक प्रो पवन कुमार, आचार्य आर.जी. कृष्ण मुरली एवं आचार्य मधुकेश्वर भट्ट निदेशक शोध एवं प्रकाशन, डा श्रीनिवासू मन्था परियोजना अधिकारी के साथ साथ विश्वविद्यालय के उत्तराखंड के देवप्रयाग स्थित रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो. पीवीसी सुब्रह्मण्यम भी मौजूद रहे.


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