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प्रदूषण: 'राजनीति नहीं, राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत, हर महीने मीटिंग बुलाएं केंद्रीय मंत्री'

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मांग की है कि प्रदूषण के मुद्दे पर हर महीने यूपी, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण के समाधान के लिए राजनीति नहीं, राजनीतिक इच्छशक्ति की जरूरत है.

Political allegations and counter-allegations have intensified after pollution level increases in Delhi
CM kejriwal
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Published : Oct 19, 2020, 7:09 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही इस पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बीते दिन कहा था कि प्रदूषण की स्थायी समस्या के समाधान में कम से कम चार साल लग जाएंगे. केंद्रीय मंत्री के इस बयान को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि मैं इससे सहमत नहीं हूं, सब मिलकर काम करें, तो उससे बहुत कम समय में प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है.


'केंद्रीय मंत्री से असहमति'

इस मुद्दे पर डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि कल मैंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का बयान सुना था, उनका कहना है कि प्रदूषण किसी एक राज्य से नहीं होता, हवा के साथ यह अपना प्रभाव दिखाता है. मैं उनकी इस बात से सहमत हूं, सबको साथ मिलकर काम करना होगा. हालांकि पर्यावरण मंत्री के इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री ने असहमति व्यक्त की कि इसपर काबू पाने के लिए चार साल तक इंतजार नहीं कर सकते.



'वैज्ञानिकों ने दिया है समाधान'

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब मिलकर साथ में काम करें, तो तीन साल से पहले इसे खत्म कर सकते हैं. उन्होंने पराली से पैदा होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पराली से इन दिनों ज्यादा प्रदूषण होता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली से पैदा होने वाले प्रदूषण को भी खत्म किया जा सकता है और इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों ने समाधान दिया है.


'जारी है डिकम्पोजर का छिड़काव'

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पराली से पैदा होने वाले प्रदूषण ने निजात के दो महत्वपूर्ण उपाय हैं. पहला, वह जो हमें पूसा इंस्टीच्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया है. इसके तहत हम दिल्ली के खेतों में पराली पर बायो-डिकम्पोजर का छिड़काव कर रहे हैं. दूसरा उपाय यह है, जो करनाल में हो रहा है. मुख्यमंत्री ने बताया कि करनाल में पराली के जरिए सीबीजी गैस बन रही है, जो सीएनजी जैसी है.


'पराली से बन रहे गैस और कोयले'

गैस बनाने वाली कम्पनी किसानों को पराली के बदले पैसे देती है, खुद पराली काटकर ले जाती है और उससे जो गैस बनता है, वो दिल्ली की आईजीएल कम्पनी खरीद रही है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे सबको फायदा है. इसके अलावा, पंजाब में सात ऐसी कम्पनियां हैं, जो पराली से कोयला और कोक बना रही हैं, और एनटीपीसी को बेच रही है. साथ ही पराली से गत्ता और खाद भी बन रहे हैं.


'पराली को अवसर में बदल सकते हैं'

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब कंपनियां लोगों को नौकरियां भी दे रहीं हैं और किसानों को पैसे भी मिल रहे हैं. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि युद्ध स्तर पर अगर हम काम करें तो एक साल में पराली को अवसर में बदल सकते हैं, जो अभी बड़े नुकसान का कारण बनी हुई है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हममें राजनीतिक इच्छशक्ति है, या सिर्फ राजनीति करनी है.


'राजनीतिक इच्छशक्ति की जरूरत'

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से अपील की कि वे हर महीने उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से मीटिंग करें. इसमें इन राज्यों के पर्यावरण मंत्री भी शामिल हों और विशेषज्ञ भी. इस मीटिंग में सभी अपनी तरफ से समाधान के सुझाव दे सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इंजीनियर्स और एक्सपर्ट्स ने हमें समाधान दे दिया है, अब जरूरत है राजनीतिक इच्छशक्ति की.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही इस पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बीते दिन कहा था कि प्रदूषण की स्थायी समस्या के समाधान में कम से कम चार साल लग जाएंगे. केंद्रीय मंत्री के इस बयान को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि मैं इससे सहमत नहीं हूं, सब मिलकर काम करें, तो उससे बहुत कम समय में प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है.


'केंद्रीय मंत्री से असहमति'

इस मुद्दे पर डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि कल मैंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का बयान सुना था, उनका कहना है कि प्रदूषण किसी एक राज्य से नहीं होता, हवा के साथ यह अपना प्रभाव दिखाता है. मैं उनकी इस बात से सहमत हूं, सबको साथ मिलकर काम करना होगा. हालांकि पर्यावरण मंत्री के इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री ने असहमति व्यक्त की कि इसपर काबू पाने के लिए चार साल तक इंतजार नहीं कर सकते.



'वैज्ञानिकों ने दिया है समाधान'

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब मिलकर साथ में काम करें, तो तीन साल से पहले इसे खत्म कर सकते हैं. उन्होंने पराली से पैदा होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पराली से इन दिनों ज्यादा प्रदूषण होता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली से पैदा होने वाले प्रदूषण को भी खत्म किया जा सकता है और इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों ने समाधान दिया है.


'जारी है डिकम्पोजर का छिड़काव'

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पराली से पैदा होने वाले प्रदूषण ने निजात के दो महत्वपूर्ण उपाय हैं. पहला, वह जो हमें पूसा इंस्टीच्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया है. इसके तहत हम दिल्ली के खेतों में पराली पर बायो-डिकम्पोजर का छिड़काव कर रहे हैं. दूसरा उपाय यह है, जो करनाल में हो रहा है. मुख्यमंत्री ने बताया कि करनाल में पराली के जरिए सीबीजी गैस बन रही है, जो सीएनजी जैसी है.


'पराली से बन रहे गैस और कोयले'

गैस बनाने वाली कम्पनी किसानों को पराली के बदले पैसे देती है, खुद पराली काटकर ले जाती है और उससे जो गैस बनता है, वो दिल्ली की आईजीएल कम्पनी खरीद रही है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे सबको फायदा है. इसके अलावा, पंजाब में सात ऐसी कम्पनियां हैं, जो पराली से कोयला और कोक बना रही हैं, और एनटीपीसी को बेच रही है. साथ ही पराली से गत्ता और खाद भी बन रहे हैं.


'पराली को अवसर में बदल सकते हैं'

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब कंपनियां लोगों को नौकरियां भी दे रहीं हैं और किसानों को पैसे भी मिल रहे हैं. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि युद्ध स्तर पर अगर हम काम करें तो एक साल में पराली को अवसर में बदल सकते हैं, जो अभी बड़े नुकसान का कारण बनी हुई है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हममें राजनीतिक इच्छशक्ति है, या सिर्फ राजनीति करनी है.


'राजनीतिक इच्छशक्ति की जरूरत'

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से अपील की कि वे हर महीने उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से मीटिंग करें. इसमें इन राज्यों के पर्यावरण मंत्री भी शामिल हों और विशेषज्ञ भी. इस मीटिंग में सभी अपनी तरफ से समाधान के सुझाव दे सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इंजीनियर्स और एक्सपर्ट्स ने हमें समाधान दे दिया है, अब जरूरत है राजनीतिक इच्छशक्ति की.

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