नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नर प्रणाली 13 जनवरी को लागू हो गई है. इसके बाद यहां पर कमिश्नर समेत 10 आईपीएस अधिकारी और 28 पीपीएस अधिकारी तैनात हुए हैं. कमिश्नर ने जहां 15 जनवरी को चार्ज ले लिया है तो वहीं अन्य अधिकारियों का जिले में आना जारी है.
ऐसे में एक नई समस्या खड़ी हो गई है और वह है अधिकारियों के आवास और दफ्तर को लेकर, क्योंकि इससे पहले यहां पर एसएसपी और एसपी स्तर के अधिकारी ही यहा थे. इसलिए सीमित संख्या में दफ्तर और आवास हुआ करते थे, लेकिन अब बड़े स्तर के अधिकारियों के एक साथ आ जाने के बाद उनके दफ्तर और आवास की समस्या आ गई है. इसको लेकर अब देखना है कि प्राधिकरण कब तक इन सभी अधिकारियों को आवास और दफ्तर दे पाता है.
आवास और दफ्तर की समस्या
नोएडा में कमिश्नरी 13 जनवरी को लागू कर दी गई है. करीब 10 आईपीएस और 28 पीपीएस अधिकारियों के लिए काम करने के लिए दफ्तर, रहने के लिए आवास की समस्या अपने आप में एक बड़ा सवाल है, क्योंकि अब तक नोएडा में एसएसपी की जिले की कमान संभालते थे. उनके नीचे 2 एसपी हुआ करते थे. इनके लिए नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवास और दफ्तर मुहैया करावाया गया था, लेकिन तमाम वरिष्ठ अधिकारी जिला में तैनात होंगे. ऐसे में उनके स्तर के आवास और दफ्तर उपलब्ध करना प्राधिकरण के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा .
वैकल्पिक व्यवस्था ढूंढनी पड़ेगी
प्राधिकरण के पूर्व अधिकारी का कहना है कि जल्दबाजी में शुरू की गई कमिश्नर प्रणाली को ढर्रे पर आते-आते समय लगेगा, क्योंकि सभी वरिष्ठ अधिकारी हैं और जब तक उन्हें उनके स्तर का आवास और दफ्तर नहीं मिलेगा तब तक काम की गति में रफ्तार नहीं आ पाएगी. आवास की समस्या को दूर करने के लिए शासन को अधिकारियों के लिए किराए पर आवास लेना पड़ेगा या वैकल्पिक कोई व्यवस्था करनी पड़ेगी तब कहीं जाकर यह समस्या दूर होगी.
टाइप 5 और टाइप 4 हाउस फुल
नोएडा प्राधिकरण द्वारा सरकारी मकान नोएडा में बनाए गए हैं, जो अधिकारियों के स्तर के हिसाब से टाइप 5 से लेकर टाइप 1 तक के हैं. वहीं वरिष्ठ अधिकारियों के लिए टाइप 5 और टाइप 4 स्तर के आवास हैं , लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जितने भी उच्च स्तरीय आवास हैं उनमें पहले से ही अधिकारी रह रहे हैं . ऐसे में जो नए वरिष्ठ अधिकारी आएंगे, उनके रहने के लिए आवास कहां से आएगा यह अपने आप में बड़ा सवाल है .