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अपने परिवार से बिछड़ गया था युवक, गूगल ट्रांसलेशन की मदद से हुई पहचान

अस्पताल के कैजुल्टी इंचार्ज डॉ.योगेन्द्र सिंह ने कई भाषा के जानकारों को बुलाया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ. युवक डॉ. योगेन्द्र सिंह से घुलमिल गया. डॉ. योगेन्द्र सिंह ने अपने मोबाइल में गूगल ट्रांसलेटर खोलकर दिया और युवक से टाइप करवाया.

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गूगल ट्रांसलेशन
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Published : Apr 23, 2020, 8:12 PM IST

नई दिल्ली: गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने मानवता की मिशाल पेश की है. डॉक्टर योगेन्द्र सिंह की समझदारी और गूगल ट्रांसलेटर से एक युवक की पहचान होने का रोचक मामला सामने आया है. दरअसल, युवक अस्पताल में एडमिट था. भाषा अलग होने की वजह से उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी.

लोग समझ रहे थे जमाती

शुरू में लोग युवक को जमाती समझ कर कोरोना होने की बात कहकर दूर भाग रहे थे. दक्षिण जिला डीसीपी अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि हरियाणा सरकार की एंबुलेंस ने कादरपुर, गुरुग्राम में मिले युवक को सिविल लाइन अस्पताल, गुरुग्राम में 18 अप्रैल को भर्ती कराया था. युवक सड़क पर बेहोशी की हालत में पड़ा हुआ था.

अस्पताल में जांच करने पर पता लगा कि युवक की पहले सिर की सर्जरी हो चुकी है. मगर अस्पताल में कोई भी युवक की भाषा को समझा नहीं पा रहा था. युवक सबको देखकर डरकर इधर-उधर भाग रहा था.

पहुंचाया गया यमन एंबेसी

अस्पताल के कैजुल्टी इंचार्ज डॉ.योगेन्द्र सिंह ने कई भाषा के जानकारों को बुलाया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ. युवक डॉ. योगेन्द्र सिंह से घुल मिल गया. डॉ. योगेन्द्र सिंह ने अपने मोबाइल में गूगल ट्रांसलेटर खोलकर दिया और युवक से टाइप करवाया. गूगल ट्रांसलेटर से युवक की पहचान यमन निवासी युसूफ के रूप में हुई. जिसके बाद गूगल पर यमन एंबेसी का नंबर और पता सही नहीं आ रहा था.

डॉक्टर ने अपनी पत्नी की मदद से ग्रेटर कैलाश- थानाध्यक्ष सोमनाथ पारूथी से सहायता मांगी. थानाध्यक्ष सोमनाथ पारूथी ने एंबेसी अधिकारियों बात की और फिर युवक को एंबेसी अधिकारियों के हवाले कर दिया. युवक अपने भाई का इलाज करने यमन से दिल्ली फरवरी में आया था और दिल्ली में अपने परिवार से बिछड़ गया था.

नई दिल्ली: गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने मानवता की मिशाल पेश की है. डॉक्टर योगेन्द्र सिंह की समझदारी और गूगल ट्रांसलेटर से एक युवक की पहचान होने का रोचक मामला सामने आया है. दरअसल, युवक अस्पताल में एडमिट था. भाषा अलग होने की वजह से उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी.

लोग समझ रहे थे जमाती

शुरू में लोग युवक को जमाती समझ कर कोरोना होने की बात कहकर दूर भाग रहे थे. दक्षिण जिला डीसीपी अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि हरियाणा सरकार की एंबुलेंस ने कादरपुर, गुरुग्राम में मिले युवक को सिविल लाइन अस्पताल, गुरुग्राम में 18 अप्रैल को भर्ती कराया था. युवक सड़क पर बेहोशी की हालत में पड़ा हुआ था.

अस्पताल में जांच करने पर पता लगा कि युवक की पहले सिर की सर्जरी हो चुकी है. मगर अस्पताल में कोई भी युवक की भाषा को समझा नहीं पा रहा था. युवक सबको देखकर डरकर इधर-उधर भाग रहा था.

पहुंचाया गया यमन एंबेसी

अस्पताल के कैजुल्टी इंचार्ज डॉ.योगेन्द्र सिंह ने कई भाषा के जानकारों को बुलाया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ. युवक डॉ. योगेन्द्र सिंह से घुल मिल गया. डॉ. योगेन्द्र सिंह ने अपने मोबाइल में गूगल ट्रांसलेटर खोलकर दिया और युवक से टाइप करवाया. गूगल ट्रांसलेटर से युवक की पहचान यमन निवासी युसूफ के रूप में हुई. जिसके बाद गूगल पर यमन एंबेसी का नंबर और पता सही नहीं आ रहा था.

डॉक्टर ने अपनी पत्नी की मदद से ग्रेटर कैलाश- थानाध्यक्ष सोमनाथ पारूथी से सहायता मांगी. थानाध्यक्ष सोमनाथ पारूथी ने एंबेसी अधिकारियों बात की और फिर युवक को एंबेसी अधिकारियों के हवाले कर दिया. युवक अपने भाई का इलाज करने यमन से दिल्ली फरवरी में आया था और दिल्ली में अपने परिवार से बिछड़ गया था.

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