नई दिल्ली: नजफगढ़ के आगे सुरखपुर रोड के आसपास एग्रीकल्चरल लैंड पर बने घरों को गिरा दिया गया है. जिसके कारण यहां रहने वाले लोग बेघर हो गए हैं. यहां के लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना नोटिस दिए उनके घर तोड़ दिए. जिसके चलते वो सड़क पर आ गए हैं और दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
इन्हीं लोगों की हालत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम सुरखपुर रोड स्थित उस कॉलोनी में पहुंची. जहां कुछ दिन पहले प्रशासन ने बुलडोजर से घरों को तुड़वाया था. यहां अनपे घर छिन जाने से परेशान लोगों ने अपना दुख साझा किया.
'बिना नोटिस दिए घरों को तोड़ा'
स्थानीय निवासी राकेश कुमार ने बताया कि एसडीएम ने बिना कोई नोटिस दिए, हमारे घरों को तोड़ दिया. इतना ही नहीं उन्होंने घरो के अंदर से राशन तक नहीं निकालने दिया. घरों के टूटने से उनका राशन और बाकी जरूरी सामान भी मलबे के नीचे दब गए है. जिसके कारण उन्हें गलियों में भूखे प्यासे रहना पड़ रहा है.
'मदद के लिए कोई भी नहीं आ रहा आगे'
यहां के दूसरे निवासी ने बताया कि उनके घर टूटने के बाद उन्हें बिना बिजली पानी और राशन के रहना पड़ रहा है. ऐसे कोई हम लोगों की मदद करने के लिए भी आगे नहीं आ रहा है. मौके पर मौजूद एक महिला का कहना है कि महामारी के समय प्रशासन की ओर से इस तरह से घरों को तोड़ना कहां की इंसानियत है. कोरोना के डर से जहां बच्चों को घरों से बाहर नहीं निकलने देते थे. वहीं अब उन्हें लेकर गलियों में भटकना पड़ रहा है.
कोरोना काल में जहां एक तरफ प्रशासन लोगों को बिना वजह घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दे रहा है. वहीं अब प्रशासन पर आरोप है कि इंसानियत को शर्मशार कर प्रशासन ने इन लोगों को बेघर कर दिया है. जिसके बाद बच्चे-बूढ़े, महिलाएं सब गलियों और सड़क पर सैकड़ों परेशानियों के साथ रहने को मजबूर हो रहे हैं.