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मदनपुर डबास: लॉकडाउन के बाद मिट्टी के कारीगरों की कमाई हुई आधी

पहले लॉकडाउन ने छोटे व्यापारियों का काम ठप किया तो अब अनलॉक-2 में लोग कोरोना के डर से खरीददारी करने नहीं आ रहे हैं. ऐसा ही हाल दिल्ली के मदनपुर डबास में गमले बनाने वाले राजीव का है. जिनकी कमाई लॉकडाउन के बाद से आधी हो गई है.

potters facing financial crises after lockdown in madanpur dabas in delhi
दिल्ली में लॉकडाउन के बाद भी नहीं सुधरे कुम्हरों के हालात
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Published : Jul 17, 2020, 11:13 AM IST

नई दिल्ली: देश में तीन महीनों से भी ज्यादा लंबे समय के बाद लॉकडाउन खत्म हुआ है. लेकिन अब अनलॉक फेस-2 में भी छोटा-मोटा व्यापार कर अपना पेट भरने वाले लोगों का हाल बेहाल हैं. कोरोना और लॉकडाउन ने कुम्हारों की भी कमर तोड़ दी है.

दिल्ली में लॉकडाउन के बाद भी नहीं सुधरे कारीगरों के हालात
ऐसा ही कुछ हाल मुंडका के मदनपुर डबास में गमले बनाकर बेचने वाले कुम्हारों का है. जिनके लिए लॉकडाउन के बाद से कमाई का जरिया लगभग खत्म हो चुका है. इस बारे में ईटीवी भारत ने गमले बनाने का काम करने वाले राजू से बात की. उन्होने बताया कि लॉकडाउन से पहले सब कुछ अच्छा चल रहा था और उनके पास दिल्ली के कई इलाकों से लोग गमले खरीदने आया करते थे. लेकिन अब लोग गमले खरीदने नहीं आते.
लॉकडाउन ने राजू के व्यापार की ऐसी काया पलट के रख दी कि अब आसपास के लोग भी गमलों की खरीददारी में दिलचस्पी नहीं लेते. ऐसा इसलिए क्योंकि 70 दिनों के लॉकडाउन में हर किसी के काम पर असर पड़ा है और वह आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं.
इसी का असर उनकी जीवन जीने की शैली पर भी पड़ता है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के बाद से उनका व्यापार आधा हो चुका है. जिसके कारण अब वह रोजाना केवल 300 से 400 रुपये तक ही कमा पाते हैं.

नई दिल्ली: देश में तीन महीनों से भी ज्यादा लंबे समय के बाद लॉकडाउन खत्म हुआ है. लेकिन अब अनलॉक फेस-2 में भी छोटा-मोटा व्यापार कर अपना पेट भरने वाले लोगों का हाल बेहाल हैं. कोरोना और लॉकडाउन ने कुम्हारों की भी कमर तोड़ दी है.

दिल्ली में लॉकडाउन के बाद भी नहीं सुधरे कारीगरों के हालात
ऐसा ही कुछ हाल मुंडका के मदनपुर डबास में गमले बनाकर बेचने वाले कुम्हारों का है. जिनके लिए लॉकडाउन के बाद से कमाई का जरिया लगभग खत्म हो चुका है. इस बारे में ईटीवी भारत ने गमले बनाने का काम करने वाले राजू से बात की. उन्होने बताया कि लॉकडाउन से पहले सब कुछ अच्छा चल रहा था और उनके पास दिल्ली के कई इलाकों से लोग गमले खरीदने आया करते थे. लेकिन अब लोग गमले खरीदने नहीं आते.
लॉकडाउन ने राजू के व्यापार की ऐसी काया पलट के रख दी कि अब आसपास के लोग भी गमलों की खरीददारी में दिलचस्पी नहीं लेते. ऐसा इसलिए क्योंकि 70 दिनों के लॉकडाउन में हर किसी के काम पर असर पड़ा है और वह आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं.
इसी का असर उनकी जीवन जीने की शैली पर भी पड़ता है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के बाद से उनका व्यापार आधा हो चुका है. जिसके कारण अब वह रोजाना केवल 300 से 400 रुपये तक ही कमा पाते हैं.
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