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200 साल पुराने कुएं को जिंदा करने में जुटे बागडोला गांव के लोग, स्थानीय निगम पार्षद का भी मिल रहा सहयोग - स्थानीय निगम पार्षद सुनीता राम का भी पूरा सहयोग

दिल्ली के बागडोला गांव के निवासियों ने 200 साल पुराने कुएं को फिर से जिंदा करने की पहल की है. लोगों का कहना है कि इस कुएं को पुनर्जीवित करने का मकसद स्थानीय लोगों को अपनी संस्कृति और संस्कार से अवगत कराना है. इसलिए इस कुएं को खोदा जा रहा है.

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Published : Aug 14, 2023, 2:41 PM IST

200 साल पुराने कुएं

नई दिल्लीः दिल्ली देहात के गांव के लोग अभी भी पुरानी संस्कृति और मूल्यों को नहीं भूले हैं और चाहते हैं कि उनकी आने वाली पीढ़ी भी उनके उन कल्चर और मूल्यों के बारे में जानें. इसी सोच की बानगी नजर आई दिल्ली के बागडोला गांव में, जहां मृत हो चुके 200 साल पुराने कुएं को जिंदा करने की पहल गांव के लोगों के द्वारा की गई है. इसमें स्थानीय पार्षद का भी इन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है.

गांव के लोग मिल कर इस मृत हो चुके कुएं की सफाई में जुटे हैं, और अब तक काफी कचड़ों को इसमें से निकाला जा चुका है. इस प्राचीन कुएं से कचड़ों को पूरी तरह से निकाल कर इसे जिंदा करने के उद्देश्य से कुएं की सफाई की जा रही है. इससे न केवल ये अपनी पुरानी परंपरा कुआं पूजन को यहां पर अंजाम दे सके, बल्कि उनकी आने वाली पीढ़ी को यह पता चल सके कि उनके पूर्वज अपने जमाने मे कहां से अपनी पानी की जरूरतों को पूरा किया करते थे.

स्थानीय लोगों और बागडोला समिति के सदस्यों ने बताया कि उनके गांव में नवजात के जन्म के समय कुआं पूजन का रिवाज है, लेकिन भू-माफियाओं ने इस जगह पर कब्जा करने की नीयत से धीरे-धीरे इस कुएं को भरना शुरू कर दिया था. इससे वो इसे एक प्लॉट के रूप में किसी को बेच सकें. इसे देखते हुए गांव के लोगों और बागडोला समिति ने इस प्राचीन कुएं को जिंदा करने का निर्णय लिया. उनकी इस पहल में स्थानीय निगम पार्षद सुनीता राम का भी पूरा सहयोग मिल रहा है.

बागडोला गांव विकास समिति के सदस्य हर्ष यादव ने बताया कि अब तक कुएं की 15 फीट गहराई तक सफाई की जा चुकी है और अभी इतनी ही और की जानी है. इसके बाद यह कुआं पुरी तरह से साफ हो जाएगा और फिर इसे पुनर्जीवित किया जा सकेगा. यह प्राचीन कुआं न सिर्फ एक कुआं है बल्कि यह गांव के लोगों के लिए एक धरोहर है, जिसे वे आने वाली पीढ़ी के लिए जीवित रखना चाहते हैं.

आज के समय मे जहां लोगों को नल की टोटी खोलते ही पानी मिल जाता है, ऐसे समय मे मृत हो चुके कुएं को जिंदा कर उसे पानी युक्त बनाना निश्चित ही एक सराहनीय पहल है. क्योंकि कहीं न कहीं कुआं जो एक समय में लोगों के पानी की जरूरतों को पूरा करने का एक अहम साधन हुआ करता था. आज के इस आधुनिक युग मे लुप्तप्राय होता जा रहा है.

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200 साल पुराने कुएं

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गांव के लोग मिल कर इस मृत हो चुके कुएं की सफाई में जुटे हैं, और अब तक काफी कचड़ों को इसमें से निकाला जा चुका है. इस प्राचीन कुएं से कचड़ों को पूरी तरह से निकाल कर इसे जिंदा करने के उद्देश्य से कुएं की सफाई की जा रही है. इससे न केवल ये अपनी पुरानी परंपरा कुआं पूजन को यहां पर अंजाम दे सके, बल्कि उनकी आने वाली पीढ़ी को यह पता चल सके कि उनके पूर्वज अपने जमाने मे कहां से अपनी पानी की जरूरतों को पूरा किया करते थे.

स्थानीय लोगों और बागडोला समिति के सदस्यों ने बताया कि उनके गांव में नवजात के जन्म के समय कुआं पूजन का रिवाज है, लेकिन भू-माफियाओं ने इस जगह पर कब्जा करने की नीयत से धीरे-धीरे इस कुएं को भरना शुरू कर दिया था. इससे वो इसे एक प्लॉट के रूप में किसी को बेच सकें. इसे देखते हुए गांव के लोगों और बागडोला समिति ने इस प्राचीन कुएं को जिंदा करने का निर्णय लिया. उनकी इस पहल में स्थानीय निगम पार्षद सुनीता राम का भी पूरा सहयोग मिल रहा है.

बागडोला गांव विकास समिति के सदस्य हर्ष यादव ने बताया कि अब तक कुएं की 15 फीट गहराई तक सफाई की जा चुकी है और अभी इतनी ही और की जानी है. इसके बाद यह कुआं पुरी तरह से साफ हो जाएगा और फिर इसे पुनर्जीवित किया जा सकेगा. यह प्राचीन कुआं न सिर्फ एक कुआं है बल्कि यह गांव के लोगों के लिए एक धरोहर है, जिसे वे आने वाली पीढ़ी के लिए जीवित रखना चाहते हैं.

आज के समय मे जहां लोगों को नल की टोटी खोलते ही पानी मिल जाता है, ऐसे समय मे मृत हो चुके कुएं को जिंदा कर उसे पानी युक्त बनाना निश्चित ही एक सराहनीय पहल है. क्योंकि कहीं न कहीं कुआं जो एक समय में लोगों के पानी की जरूरतों को पूरा करने का एक अहम साधन हुआ करता था. आज के इस आधुनिक युग मे लुप्तप्राय होता जा रहा है.

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