नई दिल्ली: दिल्ली की द्वारका उपनगरी में शनिवार शाम लगभग सवा 4 बजे हुई एक एडवोकेट की हत्या के मामले में 43 घंटे बाद भी पुलिस की गिरफ्त में कोई आरोपी नहीं आया है. हालांकि मामले में शामिल दोनों आरोपी की पहचान हो चुकी है. ये दोनों हत्या और हत्या के प्रयास के मामले में भी आरोपी रह चुके हैं. वारदात के बाद से ही दोनों लगातार लोकेशन बदलकर फरार चल रहे हैं. द्वारका जिला की स्पेशल स्टाफ, एएटीएस, जेल बेल, नारकोटिक्स सेल सहित कई टीम आरोपियों की धड़पकड़ में लगी हुई है. वहीं स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच की टीम भी इस सनसनीखेज मामले को लेकर अपने सोर्स, टेक्निकल सर्विलांस और लोकल इंटेलिजेंस की मदद से आरोपियों तक पहुंचने में लगी हुई है.
वहीं पटियाला हाउस कोर्ट के एडवोकेट रहे वीरेंद्र कुमार की हत्या के विरोध में सोमवार को बार एसोसिएशन भी अपना विरोध जताएगी. वकीलों का कहना है की लोगों की न्याय के लिए कोर्ट में उनकी लड़ाई लड़ने वाले वकील ही जब राजधानी में सुरक्षित नहीं है, फिर दूसरों की सुरक्षा की बात का दावा कैसे किया जाए. दरअसल द्वारका सेक्टर 1 की रेड लाइट के पास मणिपाल हॉस्पिटल के ठीक सामने बाइक सवार दो बदमाशों ने एडवोकेट वीरेंद्र कुमार को उस समय गोली मार दी थी, जब वह द्वारका से गाड़ी से अकेले कहीं जा रहे थे. वे पटियाला हाउस कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे. सीसीटीवी में कैद तस्वीरों के अनुसार, दोनों बदमाशों ने बाइक पर उनका काफी समय तक पीछा किया. इसके बाद मणिपाल हॉस्पिटल के सामने जैसे ही उनकी गाड़ी धीमी हुई, उनपर कई राउंड फायर करके उनकी हत्या कर दी गई.
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वीरेंद्र पर लगभग 6 साल पहले भी रोहिणी कोर्ट के बाहर हमला हुआ था, जिसमें वे बाल बाल बच गए थे. हालांकि उनका ड्राइवर इस घटना में घायल हो गया था. उस मामले में पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था, जिसके बाद वीरेंद्र को पुलिस की सुरक्षा भी मिली थी. कोविड के दौरान सुरक्षा समीक्षा के बाद उनकी सुरक्षा को हटा दिया गया था. फिलहाल उनका परिवार गुरुग्राम में रहता है और वे आजकल द्वारका के एक अपार्टमेंट में अकेले रहते थे.
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