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ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में कवि सम्मेलन - अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि रसिक गुप्ता

ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में शनिवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कई कवियों ने भाग लिया. इस कवि सम्म्मेलन में छात्रों और लोगों ने कई तरह की कविताओं का लुत्फ उठाया.

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Published : Dec 11, 2022, 3:53 PM IST

ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में कवि सम्मेलन का आयोजन

नई दिल्ली: द्वारका के ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (Trinity Institute of Professional Studies) में छात्रों और स्थानीय लोगों के लिए कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. द्वारका के ट्रिनिटी कॉलेज कैंपस में छात्रों ने कवियों के कविता पाठ का लुत्फ उठाया.

इसमें देश के ही नहीं बल्कि विदेश से भी पहुंचे विख्यात कवियों ने अपनी हास्य और व्यंग्यात्मक कविता का पाठ कर एक तरफ जहां उन्हें हंसने-मुस्कुराने के पल दिए. वहीं दूसरी तरफ हर कविता ने उन्हें एक सीख भी दी, जो जिंदगी के लिए काफी अहम है, और कुछ तो भारत की सभ्यता-संस्कृति से जुड़े हुए थे, जिन्हें आज की पीढ़ी कहीं ना कहीं भूलती जा रही है.

कवि सम्मेलन की शुरुआत सरस्वती वंदना और दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद डॉ. कीर्ति काले ने "जिंदगी का जवाब देती हूं", कविता से की. इसके बाद वहां मौजूद सभी कवियों से अपनी-अपनी शैली में हल्के-फुल्के पलों के साथ एक सीख भी दी, जिसमें डॉ. रसिक गुप्ता ने जहां आज के युवाओं पर व्यंग्यात्मक कविता के पाठ के माध्यम से उन्हें अपने माता-पिता और देश के सैनिकों के प्रति सोच को बदलने की सीख दी. वहीं, उन्होंने एक अन्य कविता के माध्यम से कवि सुरेंद्र शर्मा को याद करते हुए पत्नियों पर व्यंग्य किया, जिससे वहां मौजूद सभी श्रोता हंसने को मजबूर हो गए.

इसी तरह अन्य कवियों ने भी भ्रष्टाचार, लड़कियों के प्रति हिंसा पर काव्य पाठ के माध्यम से सीख देते हुए इनके खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें प्रेरित किया. इसके अलावा लड़कियों को अपने भावी पति के चुनाव को लेकर सुनाई गई कविता से श्रोतागण खुद को ठहाके लगाने से रोक नहीं पाए.

ये भी पढ़ें: 22 दिसंबर से शुरू होगा दिल्ली पुस्तक मेला, इन किताबों का है ट्रेंड

कवि सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि रसिक गुप्ता, सरदार मनजीत सिंह, कीर्ति काले और दिल्ली पुलिस में सहायक सब इंस्पेक्टर पद पर तैनात कवि मनीष मधुकर ने छात्रों और उपस्थित लोगों को अपनी कविताओं से मंत्र मुग्ध कर दिया. ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के डाइरेक्टर आर के टन्डन ने बताया कि इस तरह के कवि संगम से स्टूडेंट्स में भी हिंदी के प्रति सम्मान बढ़ता है. वे समझते हैं, की हिंदी का क्या महत्व है.

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ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में कवि सम्मेलन का आयोजन

नई दिल्ली: द्वारका के ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (Trinity Institute of Professional Studies) में छात्रों और स्थानीय लोगों के लिए कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. द्वारका के ट्रिनिटी कॉलेज कैंपस में छात्रों ने कवियों के कविता पाठ का लुत्फ उठाया.

इसमें देश के ही नहीं बल्कि विदेश से भी पहुंचे विख्यात कवियों ने अपनी हास्य और व्यंग्यात्मक कविता का पाठ कर एक तरफ जहां उन्हें हंसने-मुस्कुराने के पल दिए. वहीं दूसरी तरफ हर कविता ने उन्हें एक सीख भी दी, जो जिंदगी के लिए काफी अहम है, और कुछ तो भारत की सभ्यता-संस्कृति से जुड़े हुए थे, जिन्हें आज की पीढ़ी कहीं ना कहीं भूलती जा रही है.

कवि सम्मेलन की शुरुआत सरस्वती वंदना और दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद डॉ. कीर्ति काले ने "जिंदगी का जवाब देती हूं", कविता से की. इसके बाद वहां मौजूद सभी कवियों से अपनी-अपनी शैली में हल्के-फुल्के पलों के साथ एक सीख भी दी, जिसमें डॉ. रसिक गुप्ता ने जहां आज के युवाओं पर व्यंग्यात्मक कविता के पाठ के माध्यम से उन्हें अपने माता-पिता और देश के सैनिकों के प्रति सोच को बदलने की सीख दी. वहीं, उन्होंने एक अन्य कविता के माध्यम से कवि सुरेंद्र शर्मा को याद करते हुए पत्नियों पर व्यंग्य किया, जिससे वहां मौजूद सभी श्रोता हंसने को मजबूर हो गए.

इसी तरह अन्य कवियों ने भी भ्रष्टाचार, लड़कियों के प्रति हिंसा पर काव्य पाठ के माध्यम से सीख देते हुए इनके खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें प्रेरित किया. इसके अलावा लड़कियों को अपने भावी पति के चुनाव को लेकर सुनाई गई कविता से श्रोतागण खुद को ठहाके लगाने से रोक नहीं पाए.

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कवि सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि रसिक गुप्ता, सरदार मनजीत सिंह, कीर्ति काले और दिल्ली पुलिस में सहायक सब इंस्पेक्टर पद पर तैनात कवि मनीष मधुकर ने छात्रों और उपस्थित लोगों को अपनी कविताओं से मंत्र मुग्ध कर दिया. ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के डाइरेक्टर आर के टन्डन ने बताया कि इस तरह के कवि संगम से स्टूडेंट्स में भी हिंदी के प्रति सम्मान बढ़ता है. वे समझते हैं, की हिंदी का क्या महत्व है.

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