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Kargil War: पति की हुई शहादत तो बच्चे गोद में थे,अब सेना में भर्ती होने को तैयार - Kargil War

जब 22 साल पहले पति की शहीद हुए तो उनके एक 2 और एक 3 साल का नन्हा बच्चा उनकी गोद में थे. अब बेटा-बेटी दोनों ही बड़े हो गए हैं और अपने पिता की तरह सेना में भर्ती होने को तैयार हैं. करगिल शहीद का परिवार आज भी देश सेवा के लिए तत्पर है.

Kargil martyr's family is still ready to serve the country
करगिल शहीद की पत्नी
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Published : Jul 26, 2021, 8:23 PM IST

नई दिल्ली: आज से 22 साल पहले जब kargil Border पर पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ तो सेना के जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपनी जान की परवाह किए बिना बॉर्डर पर लड़ाई लड़ी और लड़ाई में भारत को जीत मिली. उनमें से ही एक शहीद थे संजीव कुमार डागर, जो जम्मू कश्मीर में ड्यूटी पर थे.

उनकी पत्नी मीनू डागर आज भी उस पल को याद करके उदास हो जाती हैं. कुछ पल के लिए पुरानी यादों में खो जाती हैं, लेकिन फिर उसी हिम्मत से फिर आगे बढ़ रही हैं. क्योंकि 20 साल पहले जब 2001 में उनके पति की शहादत हुई तो मीनू की गोद मे दो छोटे नन्हे बेटी और बेटा थे. जिन्हें पाल-पोसकर अब बड़ा कर दिया और अब वह दोनों सेना में भर्ती होने के लिए तैयार हैं.

पति की हुई शहादत तो बच्चे गोद में थे,अब सेना में भर्ती होने को तैयार
डागर कहती हैं कि शहादत से दो दिन पहले उनके पति का फोन आया था, कि छुट्टी मंजूर हो गई है और वह जल्दी ही घर आने वाले हैं. उनके आने की खुशी में तैयारी भी करने लगी, लेकिन 2 दिन बाद आई उनकी शहादत की खबर से तो वह एकदम सन्न रह गई.

ये भी पढ़ें-Kargil War: कैप्टन अनुज नैय्यर की कहानी, 9 दुश्मनों को ढेर कर पिया था शहादत का जाम

उनके सामने लंबी जिंदगी थी और छोटे-छोटे बच्चे. इतनी बड़ी जिंदगी बची हुई थी, लेकिन मीनू के ससुर ने उनकी जिंदगी की लड़ाई को आगे जारी रखने में काफी मदद की. हांलाकि उनका भी देहांत 2 साल पहले हो गया. लेकिन अब वह उसी हौसले के साथ अपने दोनों बेटी-बेटे को तैयार करके फिर से सेना में भेजने के लिए तत्पर हैं.

ये भी पढ़ें-असम-मिजोरम सीमा पर फायरिंग में 6 जवानों की मौत

ये भी पढ़ें-करगिल विजय दिवस: केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने शहीदों को किया नमन

नई दिल्ली: आज से 22 साल पहले जब kargil Border पर पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ तो सेना के जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपनी जान की परवाह किए बिना बॉर्डर पर लड़ाई लड़ी और लड़ाई में भारत को जीत मिली. उनमें से ही एक शहीद थे संजीव कुमार डागर, जो जम्मू कश्मीर में ड्यूटी पर थे.

उनकी पत्नी मीनू डागर आज भी उस पल को याद करके उदास हो जाती हैं. कुछ पल के लिए पुरानी यादों में खो जाती हैं, लेकिन फिर उसी हिम्मत से फिर आगे बढ़ रही हैं. क्योंकि 20 साल पहले जब 2001 में उनके पति की शहादत हुई तो मीनू की गोद मे दो छोटे नन्हे बेटी और बेटा थे. जिन्हें पाल-पोसकर अब बड़ा कर दिया और अब वह दोनों सेना में भर्ती होने के लिए तैयार हैं.

पति की हुई शहादत तो बच्चे गोद में थे,अब सेना में भर्ती होने को तैयार
डागर कहती हैं कि शहादत से दो दिन पहले उनके पति का फोन आया था, कि छुट्टी मंजूर हो गई है और वह जल्दी ही घर आने वाले हैं. उनके आने की खुशी में तैयारी भी करने लगी, लेकिन 2 दिन बाद आई उनकी शहादत की खबर से तो वह एकदम सन्न रह गई.

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