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इंडिया गेट की तरह कभी यहां होती थी बोटिंग...आज है वीराना ! - naveen nischal

हरी नगर इलाके में बनी झील पूरी तरह से सूख चुकी है. अब यहां पानी की बजाय दूर-दूर तक सिर्फ और सिर्फ सूखा मैदान दिखाई देता है. इस सूखे मैदान में आवारा मवेशी घूमते हैं. बारिश के मौसम को छोड़कर यहां पानी की एक बूंद भी नजर नहीं आती.

इंडिया गेट की तरह कभी यहां होती थी बोटिंग...आज है वीराना !
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Published : Mar 27, 2019, 8:01 PM IST

नई दिल्ली: हरी नगर इलाके में बनी झील पूरी तरह से सूख चुकी है. अब यहां पानी की बजाय दूर-दूर तक सूखा मैदान दिखाई देता है. इस सूखे मैदान में आवारा मवेशी घूमते हैं. बारिश के मौसम को छोड़कर यहां पानी की एक बूंद भी नजर नहीं आती. स्थानीय लोग इस स्थिति के लिए प्रशासन को जिम्मेदार बताते हैं.

हरी नगर दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से इलाके में कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया गया. जिससे इस इलाके को एक नई पहचान मिली लापरवाही के कारण यहां कई योजनाएं पूरी तरह से दम तोड़ने लगी है.
पिछले एक दशक से किसी भी सरकारी एजेंसी ने इसे हरा-भरा करने की कोई कोशिश नहीं की तिहाड़ जेल के आसपास रहने वाले लोग तो अब ये बात भी बड़ी मुश्किल से मानते हैं. कि यहां कभी झील भी होती थी. और कभी यहां एक दशक पहले नाव चलाई जाती थी.

स्थानीय लोगों की मानें तो जिस वक्त हरी नगर झील पानी से भरी होती थी तब यहां नाव चलाने लोग आते थे. देश-विदेश से पक्षी खुद इस झील में पानी पीने चले आते थे और दूर देशों से लोग इस झील को देखने के लिए यहां आते थे.

इंडिया गेट की तरह कभी यहां होती थी बोटिंग...आज है वीराना !

झील का नजारा इतना सुंदर था कि इसने पूरे क्षेत्र को अपनी तरफ आकर्षित कर रखा था. और ये हरिनगर की फेमस झील मानी जाती थी पर अब यहां सिर्फ और सिर्फ एक सूखा मैदान है. जहां जानवरों के अलावा कुछ देखने को नहीं मिलता.

बताया जाता है कि 6 एकड़ में झील का हिस्सा है इसके अलावा हरित क्षेत्र का भी विकास किया गया था. अब यहां पर बिखरी गंदगी, पानी का अभाव, आवारा पशु समेत अनेक ऐसी बातें हैं जिन्हें देखकर पर्यटक तो दूर आसपास के रहने वाले लोग भी यहां आने से परहेज करते हैं.

झील के पास अस्पताल, स्कूल सहित अनेक संस्थान है. इनमें उपयोग के बाद के पानी को साफ कर जेल में बहाया जा सकता है और वही लोगों की मांग है कि इस झील में दोबारा से पानी भरा जाए और उन्हें फिर से नौकायान की सुविधा मिले. ताकि देश विदेश से पक्षी झील में आए और पानी पीए. दूर दूराज से लोग इस झील को देखने के लिए दोबारा से आना शुरू करें.

नई दिल्ली: हरी नगर इलाके में बनी झील पूरी तरह से सूख चुकी है. अब यहां पानी की बजाय दूर-दूर तक सूखा मैदान दिखाई देता है. इस सूखे मैदान में आवारा मवेशी घूमते हैं. बारिश के मौसम को छोड़कर यहां पानी की एक बूंद भी नजर नहीं आती. स्थानीय लोग इस स्थिति के लिए प्रशासन को जिम्मेदार बताते हैं.

हरी नगर दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से इलाके में कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया गया. जिससे इस इलाके को एक नई पहचान मिली लापरवाही के कारण यहां कई योजनाएं पूरी तरह से दम तोड़ने लगी है.
पिछले एक दशक से किसी भी सरकारी एजेंसी ने इसे हरा-भरा करने की कोई कोशिश नहीं की तिहाड़ जेल के आसपास रहने वाले लोग तो अब ये बात भी बड़ी मुश्किल से मानते हैं. कि यहां कभी झील भी होती थी. और कभी यहां एक दशक पहले नाव चलाई जाती थी.

स्थानीय लोगों की मानें तो जिस वक्त हरी नगर झील पानी से भरी होती थी तब यहां नाव चलाने लोग आते थे. देश-विदेश से पक्षी खुद इस झील में पानी पीने चले आते थे और दूर देशों से लोग इस झील को देखने के लिए यहां आते थे.

इंडिया गेट की तरह कभी यहां होती थी बोटिंग...आज है वीराना !

झील का नजारा इतना सुंदर था कि इसने पूरे क्षेत्र को अपनी तरफ आकर्षित कर रखा था. और ये हरिनगर की फेमस झील मानी जाती थी पर अब यहां सिर्फ और सिर्फ एक सूखा मैदान है. जहां जानवरों के अलावा कुछ देखने को नहीं मिलता.

बताया जाता है कि 6 एकड़ में झील का हिस्सा है इसके अलावा हरित क्षेत्र का भी विकास किया गया था. अब यहां पर बिखरी गंदगी, पानी का अभाव, आवारा पशु समेत अनेक ऐसी बातें हैं जिन्हें देखकर पर्यटक तो दूर आसपास के रहने वाले लोग भी यहां आने से परहेज करते हैं.

झील के पास अस्पताल, स्कूल सहित अनेक संस्थान है. इनमें उपयोग के बाद के पानी को साफ कर जेल में बहाया जा सकता है और वही लोगों की मांग है कि इस झील में दोबारा से पानी भरा जाए और उन्हें फिर से नौकायान की सुविधा मिले. ताकि देश विदेश से पक्षी झील में आए और पानी पीए. दूर दूराज से लोग इस झील को देखने के लिए दोबारा से आना शुरू करें.

Intro:वेस्ट डिस्टिक हरी नगर दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से इलाके में कई ऐसी योजनाओं को मूर्त रूप दिया गया था. जिससे इलाकों को एक नई पहचान मिली थी लोग भी बहुत खुश थे. लेकिन प्राधिकरण की लापरवाही के कारण यह योजनाएं अब दम तोड़ने लगी है. इसका जीता जागता एक उदाहरण हरी नगर की झील है यहां पानी के बजाय सूखे मैदान दिखते हैं. इन मैदानों में सूअर,गाय कुत्ते आदि चढ़ते नजर आ रहे हैं.


Body:बारिश के मौसम को छोड़कर अन्य मौसम में पानी की एक बूंद भी नजर नहीं आती बारिश के मौसम में झील के कुल हिस्से में 10 फ़ीसदी भाग में पानी की थोड़ी मात्रा नजर आती है और बारिश के बीच में ही जीत सो कर मैदान में तब्दील हो जाता है पिछले एक दशक से किसी भी सरकारी एजेंसी ने इसे हरा-भरा करने की कोई कोशिश नहीं की तिहाड़ जेल के आसपास रहने वाले लोग तो अब यह बात भी बड़ी मुश्किल से मानते हैं. कि यहां कभी झील भी होती थी. और कभी यहां दशक पहले नौकायान भी होती थी वही एक स्थानीय ने बताया कि यहां पहले बहुत नौकायान होती थी. देश-विदेश से पक्षी खुद इस झील में पानी पीने आते थे. और दूर देशों से लोग इस दिल को देखने के लिए और नौकायान करने के लिए आते थे. झील का नजारा इतना सुंदर था कि इसने पूरे क्षेत्र को अपनी तरफ आकर्षित कर रखा था. और यह हरिनगर की सबसे सुप्रसिद्ध झील मानी जाती थी. पर अब यह एक सूखा मैदान बनकर रह गया है. यहां सिर्फ जानवरों के अलावा कुछ नहीं देखने को मिलता. 50 एकड़ में फैला है यह पार्क डीडीए के स्वामित्व वाली तिहाड़ जेल लगभग 50 एकड़ में फैली है. 6 एकड़ में झील का हिस्सा है इसके अलावा हरित क्षेत्र का भी विकास किया गया था. अब यहां पर बिखरी गंदगी, पानी का आभाव ,आवारा पशु समेत अनेक ऐसी बातें हैं जिन्हें देखकर पर्यटक तो दूर आसपास के रहने वाले लोग भी यहां आने से परहेज करते हैं.


Conclusion:झील के पास अस्पताल, स्कूल सहित अनेक संस्थान है. इनमें उपयोग के बाद के पानी को साफ कर जेल में बहाया जा सकता है.और वही लोगों की मांग है कि इस झील में दोबारा से पानी भरा जाए और उन्हें फिर से नौकायान की सुविधा प्राप्त हो और देश विदेश से पक्षियों की झील में आए और पानी पिए और दूर-दूर से लोग इस झील को देखने के लिए दोबारा से आना शुरू करें.
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