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International Women's Day : दिल्ली का ऐसा राशन डिपो, जिसे सिर्फ महिलाएं चलाती हैं - पांच महिलाएं चलाती हैं सरकारी राशन डिपो

दिल्ली के मटियाला के छावला गांव में पिछले 15 साल से पांच महिलाएं राजा सेल्फ हेल्प ग्रुप के नाम से सरकारी राशन डिपो चला रही हैं. बबीता, शशि, लक्ष्मी, सीमा और संतोष नाम की ये महिलाएं छावला गांव की बहू हैं, जो महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं. दूर-दूर तक इनकी मिसालें दी जाती हैं.

International Womens Day
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Published : Mar 8, 2022, 2:13 PM IST

नई दिल्ली : देश की महिलाएं बहुत आगे बढ़ गई हैं. आजादी के बाद महिलाएं डॉक्टर, इंजीनियर, कैप्टन, पायलट, टीचर, टीवी एंकर, पुलिस, खिलाड़ी और बिजनेस वुमन बन गई हैं. आज गांव-देहात की महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलकर अपनी आजादी की सांसें ले रही हैं. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. ऐसे में हम आज आपको मिलवाएंगे मटियाला विधानसभा के नजफगढ़ इलाके के छावला गांव की उन पांच महिलाओं से जो पिछले 15 साल से राजा सेल्फ हेल्प ग्रुप नाम से सरकारी राशन डिपो चला रही हैं. बबिता, शशि, लक्ष्मी, सीमा और संतोष नाम की ये महिलाएं इलाके में प्रेरणा की स्रोत बनी हुई हैं.

कभी घुंघट में रहकर घुटन महसूस करने वाली गांव की पांच बहुएं आज गांव में मिसाल बनी हैं, जिन पर गांव के पुरुष भी गर्व करते हैं. आज ईटीवी भारत ने उन्हीं महिलाओं से मिलकर जाना कि आखिर कैसे उन्हें सरकारी राशन डिपो का काम मिला. महिलाओं का कहना है कि यह पिछले 15 साल से राजा सेल्फ हेल्प ग्रुप चला रही हैं, जिला प्रशासन ने महिलाओं के ग्रुप को देखा और सरकारी राशन की दुकान देने की पेशकश की, जिससे पांच महिलाओं का ये ग्रुप बेहद खुश हुआ और फिर गांव के बीच रहकर सरकारी राशन की दुकान चलाने लगीं और राशन का वितरण करने लगीं. इस सरकारी राशन डिपो में काम करने वाली पांचों महिलाओं ने अपना काम बांट लिया है, जिसमें एक महिला राशन वितरण करती है, एक पर्ची बनाती है, एक लाइन लगवाती और एक पूरी व्यवस्था देखती है. ये पांचों महिलाएं नजफगढ़ इलाके की प्रेरणा बन रही हैं.

मिलीए उन पांच महिलाओं से जो चलाती है सरकारी राशन डिपो

ये भी पढ़ें: महिला दिवस को लेकर कार्यक्रम का आयोजन, खिड़की एक्सटेंशन पर महिलाओं का फ्री हेल्थ चेकअप

दिल्ली में छावला गांव की महिलाएं एकत्र हुई हैं, एक-दूसरे को जागरूक करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए और पुरुष प्रधान समाज से सम्मान पाने के लिए. जी हां आपने सही सुना आठ मार्च को महिला दिवस के मौके पर मटियाला गांव के छावला गांव की महिलाओं ने महिलाओं का सम्मान कर अपना यह खास दिन मनाया. महिला ही महिला की दुश्मन होती है ये कहावत को उल्टा कर दिखाया गांव की इन पांच बहुओं ने, जो न केवल राशन डिपो चलाती हैं, बल्कि एक-दूसरे की मदद भी करती हैं. जरूरत पड़ने पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के गुर भी सिखाती हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

नई दिल्ली : देश की महिलाएं बहुत आगे बढ़ गई हैं. आजादी के बाद महिलाएं डॉक्टर, इंजीनियर, कैप्टन, पायलट, टीचर, टीवी एंकर, पुलिस, खिलाड़ी और बिजनेस वुमन बन गई हैं. आज गांव-देहात की महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलकर अपनी आजादी की सांसें ले रही हैं. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. ऐसे में हम आज आपको मिलवाएंगे मटियाला विधानसभा के नजफगढ़ इलाके के छावला गांव की उन पांच महिलाओं से जो पिछले 15 साल से राजा सेल्फ हेल्प ग्रुप नाम से सरकारी राशन डिपो चला रही हैं. बबिता, शशि, लक्ष्मी, सीमा और संतोष नाम की ये महिलाएं इलाके में प्रेरणा की स्रोत बनी हुई हैं.

कभी घुंघट में रहकर घुटन महसूस करने वाली गांव की पांच बहुएं आज गांव में मिसाल बनी हैं, जिन पर गांव के पुरुष भी गर्व करते हैं. आज ईटीवी भारत ने उन्हीं महिलाओं से मिलकर जाना कि आखिर कैसे उन्हें सरकारी राशन डिपो का काम मिला. महिलाओं का कहना है कि यह पिछले 15 साल से राजा सेल्फ हेल्प ग्रुप चला रही हैं, जिला प्रशासन ने महिलाओं के ग्रुप को देखा और सरकारी राशन की दुकान देने की पेशकश की, जिससे पांच महिलाओं का ये ग्रुप बेहद खुश हुआ और फिर गांव के बीच रहकर सरकारी राशन की दुकान चलाने लगीं और राशन का वितरण करने लगीं. इस सरकारी राशन डिपो में काम करने वाली पांचों महिलाओं ने अपना काम बांट लिया है, जिसमें एक महिला राशन वितरण करती है, एक पर्ची बनाती है, एक लाइन लगवाती और एक पूरी व्यवस्था देखती है. ये पांचों महिलाएं नजफगढ़ इलाके की प्रेरणा बन रही हैं.

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दिल्ली में छावला गांव की महिलाएं एकत्र हुई हैं, एक-दूसरे को जागरूक करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए और पुरुष प्रधान समाज से सम्मान पाने के लिए. जी हां आपने सही सुना आठ मार्च को महिला दिवस के मौके पर मटियाला गांव के छावला गांव की महिलाओं ने महिलाओं का सम्मान कर अपना यह खास दिन मनाया. महिला ही महिला की दुश्मन होती है ये कहावत को उल्टा कर दिखाया गांव की इन पांच बहुओं ने, जो न केवल राशन डिपो चलाती हैं, बल्कि एक-दूसरे की मदद भी करती हैं. जरूरत पड़ने पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के गुर भी सिखाती हैं.

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