नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने एक इंटरनेशनल कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है. आरोपी ऑनलाइन सपोर्ट एग्जीक्यूटिव बनकर और इंटरनेट प्रॉब्लम को दूर करने का झांसा देकर दिल्ली से यूएसए के लोगों को टारगेट करके उनसे धोखाधड़ी करते थे. मामले में बाहरी जिला पुलिस ने नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनसे 11 मोबाइल और आठ लैपटॉप सहित एक वाईफाई राउटर बरामद किया गया है. आरोपियों में सात टेलीकॉलर हैं, जो यूएसए कॉल कर वहां के लोगों से धोखाधड़ी को अंजाम देते थे. वहीं दो अन्य कॉल सेंटर के हेड हैं.
डीसीपी हरेंद्र सिंह ने बताया कि साइबर पुलिस स्टेशन की टीम को एक फर्जी कॉल सेंटर के बारे सूचना मिली थी. सूचना के मुताबिक सुल्तानपुरी के एच ब्लॉक में यह कॉल सेंटर चलाया जा रहा था. पुलिस ने छानबीन के बाद वहां पर छापा मारा. एसीपी ऑपरेशन की देखरेख में साइबर थाना के एसएचओ संदीप पवार, सब इंस्पेक्टर अमित कुमार, हेड कॉन्स्टेबल संदीप कुमार, कुलबीर, रमेश, कॉन्स्टेबल संदीप और विजय हुड्डा की टीम ने पाया बिल्डिंग के थर्ड फ्लोर पर फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा है.
इसके बाद पुलिस टीम ने जांच की और सभी टेलीकॉलर और उनके हेड को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में कॉल सेंटर मालिकों की पहचान प्रिंस शर्मा और मुकुल देव के रूप में हुई जो सुल्तानपुरी के निवासी हैं. अब पुलिस की टीम बरामद किए गए लैपटॉप की जांच कर रही है. इनके खिलाफ साइबर थाने में आईपीसी धाराओं 419/420/120B/34 और आईटी एक्ट 66C, 66D के तहत मामला दर्ज किया गया. पूछताछ में पुलिस को पता चला की प्रिंस शर्मा और मुकुल देव ने इसी साल दोबारा से कॉल सेंटर खोला था.
बैंकों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोपी गिरफ्तार
वहीं एक अन्य मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने प्रॉपर्टी के कागजों में गड़बड़ करके कई बड़े बैंक और वित्तीय संस्था को करोड़ों का चूना लगाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया है. आरोपी की पहचान अनुराग शर्मा के रूप में हुई है, जिसे कोर्ट द्वारा भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है. पुलिस आरोपी तीन साल पुराने मामले में ढूंढ रही थी. वहीं आरोपी पुलिस से बचने के लिए लगातार अपना ठिकाना बदल रहा था.
डीसीपी एमआई हैदर ने बताया कि आरोपी के बारे में नेहरू प्लेस ब्रांच के फेडरल बैंक के सीनियर मैनेजर ने शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने बताया कि एक कंपनी के डायरेक्टर अनुराग शर्मा और हितेश कुमार ने बिजनेस के लिए क्रेडिट फैसिलिटी/लोन का 2.5 करोड़ अमाउंट लिया था. इसके लिए बैंक और उनके बीच एक एग्रीमेंट भी हुआ था. लोन अमाउंट को सिक्योर करने के लिए दो प्रॉपर्टी को मॉर्गेज भी किया गया था.
जब लोन की ईएमआई बाउंस होने लगी तो बैंक ने मॉर्गेज की हुई प्रॉपर्टी पर एक्शन लेने की कार्रवाई शुरू की. बैंक को पता चला कि देना बैंक भी इसमें से एक एक प्रॉपर्टी को लेकर कानूनी कार्रवाई कर रहा है. छानबीन में पता चला कि जिस प्रॉपर्टी को बैंक मॉर्गेज समझ रही थी वह दिनकर बजाज नाम के शख्स ने 2017 में ही खरीद ली थी, जिसकी रजिस्ट्री उसके पास है.
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बाद में यह भी पता चला कि वही प्रॉपर्टी इंडिया बुल्स कंपनी के पास भी बतौर मॉर्गेज रखी गई है. इसपर पुलिस ने छानबीन के लिए पुलिस ने सारे डॉक्यूमेंट को सीज किया और बैंक का स्टेटमेंट लिया. जांच में पता चला कि आरोपी ने धोखाधड़ी कर के बैंकों से लगभग पांच करोड़ रुपये लिए हैं. आखिरकार डीसीपी एमआई हैदर की देखरेख में एसीपी एसएम शर्मा, इंस्पेक्टर संजय कुमार सिंह, सब इंस्पेक्टर सुरजीत पाल और सुशील कुमार की टीम ने आरोपी को गिरफ्तार करने में कामयाब हुई. पुलिस से बचने के लिए वह लगातार अपना ठिकाना बदल रहा था.
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