नई दिल्ली: दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुलिस टीम ने लोगों को विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वाले इंटरनेशनल इमिग्रेशन रैकेट के फरार चल रहे दो और एजेंट को गिरफ्तार करने में कामयाबी पाई है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान भावसिंह भाई और प्रतीक शाह के रूप में हुई है. ये गुजरात के सूरत और सोमनाथ के रहने वाले हैं.
डीसीपी रवि कुमार सिंह के अनुसार इनके पास से दो लैपटॉप, दो प्रिंटर, अलग-अलग एम्बेसी के 15 फर्जी स्टैम्प, फर्जी वीजा बनाने वाला डाई, 170 ब्लैंक PR कार्ड्स, चिप के साथ 80 PR कार्ड्स, 12 मोबाइल फोन, एक प्रेस डाई मशीन, UV लेजर रबर स्टैम्प मशीन, पेपर कटिंग मशीन, लेमिनेशन मशीन, वीजा स्टिकर बनाने वाला पांच पेपर रॉल, 100 वीजा पेपर, 09 UV इंक बॉटल, दो बॉक्स कलर इंक, वीजा बनाने वाली अन्य सामग्री बरामद किया गया है. गिरफ्तार दोनों एजेंट अपने सहयोगियों के साथ मिल कर भारत सहित विदेशों में भी फर्जी वीजा और ट्रैवल डॉक्युमेंट्स अरेंज करने में शामिल हैं. ये लोगों के लिए फर्जी वीजा अरेंज करते हैं, जिसके जरिए वे अनुचित तरीकों से दूसरे देशों में बस सकें.
डीसीपी ने बताया कि इस साल मार्च के 16 और 24 तारीख को आईजीआईए के इम्मीग्रेशन डिपार्टमेंट से दो अलग-अलग मामलों में पेरिस जा रहे कुल चार हवाई यात्रियों के फर्जी वीजा पर यात्रा करने की शिकायत मिली थी. दोनों मामलों में पुलिस ने पूछताछ के बाद यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया था. 16 मार्च को पकड़े गए यात्रियों सुच्चा सिंह, सुरजीत सिंह और अमनदीप सिंह से पूछताछ में उन्होंने पुलिस को बताया कि वो उनके कॉमन फ्रेंड के माध्यम से दिल्ली के उत्तम नगर के रहने वाले गुरिंदर सिंह मोखा और रोपड़, पंजाब के रहने वाले संदीप कुमार नाम के एजेंट के संपर्क में आये थे. जिन्होंने उन्हें पेरिस जाने के लिए 15 लाख रुपये प्रति यात्री की कीमत से 45 लाख में फ्रांस का फर्जी वीजा देने की बात की थी. जिसकी डील 36 लाख में फाईनल हुई. उन्होंने पांच लाख रुपये बतौर एडवांस दिया था. जिसके बाद उन्होंने उनका संपर्क गौरव गुसाईं नाम के एजेंट से करवाया था, जो दुबई में बैठ कर दिल्ली से ह्यूमन ट्रैफिकिंग के काम को संचालित करता है.
वहीं, दूसरे मामले में पकड़े गए हरियाणा के हवाई यात्री सुशील कुमार ने पुलिस को बताया कि वो उनके भाई के द्वारा गौरव गुसाईं नाम के एजेंट के संपर्क में आये थे. उनके भाई की उससे मुलाकात तब हुई थी, जब वो टूटिस्ट वीजा पर दुबई गया हुआ था. वहां उसने गौरव गुसाईं को 50 हजार रुपये एडवांस के रूप में दी और बाकी के साढ़े 12 लाख रुपये यूरोप पहुंचने के बाद देने की डील तय हुई थी. वैश्विक स्तर पर विदेश भेजने के नाम पर लोगों से ठगी के इस गोरखधंधे के खुलासे के लिए एक टीम का गठन किया गया था.
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इस मामले में पुलिस ने तीनों आरोपियों, गुरविंदर सिंह मोखा, संदीप कुमार और गौरव गुसाईं को गिरफ्तार कर लिया था. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि भावसिंह भाई और प्रतीक शाह नाम के दो एजेंट उनके लिए फेक वीजा और PR कार्ड्स अरेंज करते थे. अब पुलिस ने गुजरात के रहने वाले भावसिंह भाई को दिल्ली स्थित उसके ठिकाने से दबोच लिया. जिसने पूछताछ में प्रतीक शाह से फेक वीजा और PR कार्ड लेने का खुलासा किया. उसने बताया कि वो एजेंट से वाट्सएप के माध्यम से पैसेंजर के पासपोर्ट के फोटो प्राप्त करता था और आगे उसे फर्जी वीजा बनवाने के लिए प्रतीक को फॉरवर्ड कर देता था. भावसिंह भाई ने बताया कि वो कमीशन बेसिस पर काम करता था. वीजा बनने के बाद वो कुरियर से दिए गए पते पर उसे भेज देता था. जांच में आरोपी एजेंट प्रतीक पर गुजरात के अलग-अलग थानों में 04 मामले होने का पता चला. फिलहाल पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है.
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