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दिल्ली में संपत्ति घोटाला मामला, पुलिस ने दंपती को किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस धोखाधड़ी का खुलासा करते हुए एक दंपति को गिरफ्तार किया है. इन्होंने अपनी एक ही प्रॉपर्टी को दो अलग-अलग लोगों को बेच दिया. इनकी पहचान मीनल संजीव देसाई और संजीव देसाई के तौर पर हुई है.

property scam case
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Published : Aug 20, 2022, 2:58 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing of Delhi) की पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में एक ऐसी दंपति को गिरफ्तार किया है, जिसने अपनी एक ही प्रॉपर्टी को दो अलग-अलग लोगों को बेच दी. इनकी पहचान मीनल संजीव देसाई और संजीव देसाई के रूप में हुई है. ये दिल्ली के सुंदर नगर इलाके के रहने वाले हैं.

EOW डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि ईओडब्ल्यू पुलिस को दी गई शिकायत में शिकायतकर्ता दीपक भंडारी ने बताया कि उन्होंने जसोला के हायरार्किकल कॉमर्शियल सेंटर स्थित प्लॉट नम्बर 8 के एलिगेंस टावर में 161.24 स्क्वायर मीटर एरिया 2 करोड़ 4 लाख रुपये में 20 जून 2018 के सेल एग्रीमेंट के माध्यम से मीनल संजीव देसाई से खरीदा था, जिसके गवाह उनके पति संजीव देसाई थे. उन्होंने इस प्रॉपर्टी को किसी भी तरह के विवाद से मुक्त होने का दावा करते हुए उन्हें वो प्रॉपर्टी बेची थी. जिसके बाद, शिकायतकर्ता ने उस प्रॉपर्टी को 31 जुलाई 2018 को जॉर्ज इंस्टीटूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ को 9 सालों के लीज पर दे दिया.

दिल्ली में संपत्ति घोटाला मामला

28 अक्टूबर 2020 को साकेत कोर्ट के कुछ अधिकारियों के साथ एक प्रमोद गुप्ता नाम के शख्स, उक्त प्रॉपर्टी में पहुंचे और उन्होंने वहां रखे सारे सामानों को हटा कर, 29 मई 2019 के साकेत कोर्ट द्वारा, प्रमोद गुप्ता V/s मीनल संजीव देसाई के सिविल सूट में प्राप्त डिक्री का हवाला देते हुए अपना कब्जा जमा लिया. जिसके बाद शिकायतकर्ता को पता चला कि उन्हें उक्त प्रॉपर्टी को बेचने से बहुत पहले, 5 अक्टूबर 2015 में आरोपियों ने उक्त प्रॉपर्टी को बेचने के लिए प्रमोद गुप्ता के साथ सेल एग्रीमेंट बनाया था, लेकिन उन्होंने ना तो सेल डीड निष्पादित किया और ना ही उनके पैसे वापस लौटाए और प्रॉपर्टी पर अपना कब्जा बनाये रखा, जिसे बाद में शिकायतकर्ता को बेच दिया गया.

इस मामले में शुरुआती जांच में बाद, 20 जनवरी 2021 में मामला दर्ज कर ईओडब्ल्यू पुलिस ने जांच शुरू की. इस मामले में एसीपी वीरेंद्र कादयान की देखरेख में इंस्पेक्टर नवीन दहिया, एएसआई मंजू और हेड कॉन्स्टेबल मनोज की टीम का गठन कर आरोपियों की पकड़ के लिए लगाया गया था. पुलिस को जांच में पता चला कि आरोपियों ने एक ही संपत्ति को 2015 और 2018 में दो अलग-अलग खरीदारों को बेचा. आरोपियों ने पहले खरीदार को कब्जा नहीं दिया था, जिसके बाद पहले खरीदार, प्रमोद गुप्ता ने उनके बीच बने सेल एग्रीमेंट के आधार पर सिविल केस दर्ज कराया. केस चलने के दौरान आरोपियों ने उक्त संपत्ति को 2018 में दूसरे खरीदार, दीपक भंडारी को बेच दिया. जबकि उन्हें इस संपत्ति के किसी भी विवाद से मुक्त होने का दावा किया गया था. बाद में आरोपियों के केस हारने के बाद, कोर्ट ने पहले खरीदार के पक्ष में डिक्री देते हुए, उनके कब्जे का आदेश दिया, जबकि उस वक़्त वो संपत्ति शिकायतकर्ता के कब्जे में थी. इस मामले में ईओडब्ल्यू पुलिस ने दोनों आरोपियों को सुंदर नगर स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया है और आगे की कार्रवाई में जुट गई है.

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नई दिल्ली: दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing of Delhi) की पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में एक ऐसी दंपति को गिरफ्तार किया है, जिसने अपनी एक ही प्रॉपर्टी को दो अलग-अलग लोगों को बेच दी. इनकी पहचान मीनल संजीव देसाई और संजीव देसाई के रूप में हुई है. ये दिल्ली के सुंदर नगर इलाके के रहने वाले हैं.

EOW डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि ईओडब्ल्यू पुलिस को दी गई शिकायत में शिकायतकर्ता दीपक भंडारी ने बताया कि उन्होंने जसोला के हायरार्किकल कॉमर्शियल सेंटर स्थित प्लॉट नम्बर 8 के एलिगेंस टावर में 161.24 स्क्वायर मीटर एरिया 2 करोड़ 4 लाख रुपये में 20 जून 2018 के सेल एग्रीमेंट के माध्यम से मीनल संजीव देसाई से खरीदा था, जिसके गवाह उनके पति संजीव देसाई थे. उन्होंने इस प्रॉपर्टी को किसी भी तरह के विवाद से मुक्त होने का दावा करते हुए उन्हें वो प्रॉपर्टी बेची थी. जिसके बाद, शिकायतकर्ता ने उस प्रॉपर्टी को 31 जुलाई 2018 को जॉर्ज इंस्टीटूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ को 9 सालों के लीज पर दे दिया.

दिल्ली में संपत्ति घोटाला मामला

28 अक्टूबर 2020 को साकेत कोर्ट के कुछ अधिकारियों के साथ एक प्रमोद गुप्ता नाम के शख्स, उक्त प्रॉपर्टी में पहुंचे और उन्होंने वहां रखे सारे सामानों को हटा कर, 29 मई 2019 के साकेत कोर्ट द्वारा, प्रमोद गुप्ता V/s मीनल संजीव देसाई के सिविल सूट में प्राप्त डिक्री का हवाला देते हुए अपना कब्जा जमा लिया. जिसके बाद शिकायतकर्ता को पता चला कि उन्हें उक्त प्रॉपर्टी को बेचने से बहुत पहले, 5 अक्टूबर 2015 में आरोपियों ने उक्त प्रॉपर्टी को बेचने के लिए प्रमोद गुप्ता के साथ सेल एग्रीमेंट बनाया था, लेकिन उन्होंने ना तो सेल डीड निष्पादित किया और ना ही उनके पैसे वापस लौटाए और प्रॉपर्टी पर अपना कब्जा बनाये रखा, जिसे बाद में शिकायतकर्ता को बेच दिया गया.

इस मामले में शुरुआती जांच में बाद, 20 जनवरी 2021 में मामला दर्ज कर ईओडब्ल्यू पुलिस ने जांच शुरू की. इस मामले में एसीपी वीरेंद्र कादयान की देखरेख में इंस्पेक्टर नवीन दहिया, एएसआई मंजू और हेड कॉन्स्टेबल मनोज की टीम का गठन कर आरोपियों की पकड़ के लिए लगाया गया था. पुलिस को जांच में पता चला कि आरोपियों ने एक ही संपत्ति को 2015 और 2018 में दो अलग-अलग खरीदारों को बेचा. आरोपियों ने पहले खरीदार को कब्जा नहीं दिया था, जिसके बाद पहले खरीदार, प्रमोद गुप्ता ने उनके बीच बने सेल एग्रीमेंट के आधार पर सिविल केस दर्ज कराया. केस चलने के दौरान आरोपियों ने उक्त संपत्ति को 2018 में दूसरे खरीदार, दीपक भंडारी को बेच दिया. जबकि उन्हें इस संपत्ति के किसी भी विवाद से मुक्त होने का दावा किया गया था. बाद में आरोपियों के केस हारने के बाद, कोर्ट ने पहले खरीदार के पक्ष में डिक्री देते हुए, उनके कब्जे का आदेश दिया, जबकि उस वक़्त वो संपत्ति शिकायतकर्ता के कब्जे में थी. इस मामले में ईओडब्ल्यू पुलिस ने दोनों आरोपियों को सुंदर नगर स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया है और आगे की कार्रवाई में जुट गई है.

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