नई दिल्ली: स्पेशल सेल के साइपेड की टीम ने साइबर क्राइम के एक इंटरस्टेट मामले का खुलासा किया है. जो फेक वेबसाइट बनाकर बड़ी कम्पनी की डीलरशिप और डिस्ट्रिब्यूटर शिप देने का लालच देकर लोगों को निशाना बनाते थे. पुलिस के अनुसार इन्होंने पतंजलि, हल्दीराम, अमूल जैसी कम्पनी का फ्रॉड नाम लेकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया था.
डीसीपी अन्वेष राय ने बताया कि इस मामले में साईपेड की टीम ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनमें वेब डिजाइनर और पब्लिशर भी शामिल हैं. पुलिस को 17 बैंक अकाउंट का भी पता चला है जिसे फर्जीवाड़ा में यूज किया जाता था.
यह गैंग देश के 16 अलग-अलग स्टेट के लोगों को टारगेट करके चीटिंग की बड़ी वारदात को अंजाम दे चुका है. पुलिस को फिलहाल 126 मामलों के बारे में जानकारी मिली है. पुलिस को इस गैंग के बारे में तब पता चला जब एक महिला जो हल्दीराम का आउटलेट खोलना चाहती थी और उसने ऑनलाइन सर्च किया और उसी दौरान उसको एक वेबसाइट के बारे में जानकारी मिली.
यह वेबसाइट हल्दीराम की फ्रेंचाइजी और डीलरशिप देने का दावा कर रही थी. महिला ने वेबसाइट पर दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया. जिसके बाद उस महिला से संपर्क करके अलग-अलग डॉक्यूमेंट और अप्लीकेशन के लिए प्रक्रिया शुरू करवाई गई. इसके लिए अलग-अलग चार्ज भी लिए गए.
सिक्योरिटी डिपॉजिट, ब्रांड का नाम यूज करने के लिए, हार्डवेयर, एडवांस साइड इंस्पेक्शन आदि के रूप में उस महिला से लगभग पौने 12 लाख रुपये 2 महीने के अंदर ले लिए गए. उसके बाद महिला को पता चला कि उसके साथ चीटिंग की वारदात हुई है. फिर उसने मामले की शिकायत दिल्ली पुलिस से की.
डीसीपी ने बताया कि जब मामले की छानबीन शुरू की तो एक-एक करके कई जानकारियां मिलती चली गईं. पता चला कि देश के कई स्टेट के लोग इन फर्जी वेबसाइट की चपेट में आकर लाखों-करोड़ों गंवा चुके हैं. जब पुलिस ने चारों को पकड़ा तो पता चला कि बिहार के नालंदा का रहने वाला विकास टेक्निकल सपोर्ट देने का काम करता था और हरियाणा के फरीदाबाद का रहने वाला विक्रम एक आईटी सर्विस कंपनी में सीईओ है. वह भी चीटिंग के मामले में शामिल है.
पुलिस को शिकायत हल्दीराम ब्रांड के नाम पर चीटिंग की मिली थी, लेकिन जांच कर रही पुलिस टीम को जांच से पता चला कि यह लोग अमूल और पतंजलि के नाम पर भी इसी तरीके से चीटिंग की वारदात को अंजाम दे रहे थे.