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Delhi Police Recruitment: 9 लाख रुपए में बेचा कांस्टेबल का पद, बहाली बाद पैसा नहीं देने पर बिगड़ी बात, तब फूटा भंडा

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली पुलिस कांस्टेबल बहाली में धोखाधड़ी करने वाले 3 पुलिसकर्मी सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि उन्होंने एग्जाम पास कराने के लिए 9 लाख रुपए एक उम्मीदवार से लिया था.

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Published : Jul 19, 2023, 4:24 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली क्राइम ब्रांच के साइबर सेल की टीम ने दिल्ली पुलिस के तीन कर्मचारियों और परीक्षा केंद्र के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. इनकी पहचान परवीन (निवासी रोहतक, हरियाणा), शिखा (समालखा, पानीपत), विशाल कुमार (मुकंदपुर, यूपी), राधे श्याम (देवबंद रोड, सहारनपुर ), विकास कुमार (हरिद्वार, उत्तराखंड) और मोहित कुमार बालियान मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के रूप में हुई है. सभी दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती की धोखाधड़ी में शामिल थे.

इस संबंध में पिछले साल 419/420/120बी के तहत थाना अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज की गयी थी. पुलिस के अनुसार, साइबर सेल अपराध शाखा में एक शिकायत मिली थी. इसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस पुरुष और महिला (कार्यकारी) 2020 की भर्ती के दौरान एक उम्मीदवार अर्जुन सिंह, निवासी सहारनपुर, उत्तर प्रदेश ने जाली तरीकों से अपनी परीक्षा उत्तीर्ण की है.

जांच के दौरान उस कथित उम्मीदवार अर्जुन सिंह से पूछताछ की गई. उसने खुलासा किया कि उसने आईओएन डिजिटल जोन, रूड़की-देहरादून हाइवे, उत्तराखंड में आयोजित परीक्षा प्रतिरूपण की मदद से उत्तीर्ण की थी. कर्मचारी चयन आयोग से सीसीटीवी फुटेज सहित अपेक्षित जानकारी प्राप्त की गई और सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने पर पता चला कि अभ्यर्थी अर्जुन सिंह परीक्षा लैब में प्रवेश कर अपनी सीट पर बैठा था और कुछ समय बाद उसने अपनी सीट छोड़ दी. लगभग 10 मिनट बाद एक फर्जी अभ्यर्थी अर्जुन सिंह की सीट पर आकर बैठ गया और उसकी ऑनलाइन परीक्षा पूरी की.

दिल्ली पुलिस ने किया गिफ्तार.
दिल्ली पुलिस ने किया गिफ्तार.

दूसरे उम्मीदवार ने दी थी परीक्षाः पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि अर्जुन सिंह की परीक्षा किसी अन्य उम्मीदवार ने दी थी. उसने परीक्षा पास कराने के लिए आईओएन डिजिटल जोन, रूड़की-देहरादून हाईवे, उत्तराखंड के परीक्षा हॉल में एक फर्जी उम्मीदवार भेजा था. इसके लिए उसने 09 लाख रुपये दिया था. इसकी पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से भी हुई थी. जांच से यह बात सामने आई है कि प्रवीण कुमार नामक व्यक्ति को फर्जी उम्मीदवार बनाकर भेजा गया था.
जांच के दौरान प्रवीण कुमार को गिरफ्तार किया गया.

यह भी पढ़ेंः Delhi Crime: विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़, बीटेक छात्र सहित दो गिरफ्तार

आरोपी प्रवीण कुमार ने खुलासा किया कि लैब स्टाफ की मदद से वह अभ्यार्थी अर्जुन सिंह की परीक्षा में शामिल हुआ था. पूछताछ के दौरान, साजिश में शामिल सिपाही विशाल और महिला सिपाही शिखा नामक दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया. दोनों आरोपियों ने वर्तमान मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की और बताया कि पीएसआई प्रवीण उपरोक्त अर्जुन सिंह की परीक्षा में उपस्थित हुआ था.

तय पैसा नहीं मिलने पर हुआ था झगड़ाः आगे की पूछताछ के दौरान आरोपी सिपाही विशाल ने खुलासा किया कि वह 2018 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुआ था और 2020 में दिल्ली के मंगोलपुरी में एक महिला सिपाही से मिला था. महिला सिपाही ने कहा कि वह पेमेंट के आधार पर किसी भी एग्जाम को पास करा सकती है. विशाल ने खुलासा किया कि साल 2020 में उनके एक दोस्त अर्जुन निवासी गांव- डुहरकी ने उन्हें बताया कि उन्होंने दिल्ली पुलिस कांस्टेबल के लिए आवेदन किया है. विशाल को दिल्ली पुलिस में भर्ती करने के लिए महिला सिपाही ने 9 लाख रुपये में बात तय की थी.

यह भी पढ़ेंः Delhi Crime: फर्जी GST अधिकारी बनकर 10 किलो सोने की लूट का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

बाद में महिला सिपाही और उसके सहयोगियों द्वारा प्रवीण (फर्जी उम्मीदवार) को भेजा गया, जो अर्जुन के स्थान पर परीक्षा में उपस्थित हुआ और परीक्षा पास कर ली, परन्तु अर्जुन ने तय राशि का भुगतान नहीं किया. उसके बाद सभी ने अर्जुन के घर जाकर उसके परिवार से पैसों के लिए झगड़ा किया. जांच के दौरान फिर लैब स्टाफ राधेश्याम, विकास कुमार, मोहित कुमार बालियान को भी गिरफ्तार किया गया.

आरोपियों के बारे में जानिए

  1. प्रवीण रोहतक का रहने वाला है और स्नातक की पढ़ाई एमडीयू रोहतक से की है. पढ़ाई करने के बाद वह हरियाणा सरकार में सिंचाई विभाग में शामिल हो गया और 3 वर्ष तक वहां काम किया. इसके बाद उसका चयन दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर हो गया.
  2. शिखा समालखा, पानीपत, हरियाणा की मूलतः रहने वाली है. उसके पिता किसान हैं. उसने स्नातक की पढ़ाई हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से की और वह 2019 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हो गई.
  3. विशाल कुमार, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से स्नातक की पढ़ाई हिमाचल विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश से की. उसके बाद साल 2019 में उसका चयन दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हो गया.
  4. राधेश्याम, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वह आईओएन डिजिटल जोन, किशनपुर, रुड़की, उत्तराखंड में एक इलेक्ट्रीशियन था. परीक्षा के दौरान उसने मोहित कुमार बालियान के निर्देश पर फर्जी अभ्यर्थीयों को परीक्षा स्थल में प्रवेश करने में मदद की.
  5. विकास कुमार, शाहजहांपुर, हरिद्वार, उत्तराखंड का रहने वाला है. वह आईओएन डिजिटल जोन, किशनपुर, रुड़की, उत्तराखंड में चपरासी था और आरसीपी कॉलेज के लैब में नियुक्त किया गया था. उसने ऊपरी सीढ़ी का ताला खोलने के बाद मोहित कुमार बालियान के निर्देश पर परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने में फर्जी अभ्यर्थीयों की मदद की.
  6. मोहित कुमार बालियान, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वह आईओएन डिजिटल जोन, किशनपुर, रुड़की, उत्तराखंड में आईटी हेड/नेटवर्क एडमिन था. परीक्षा के दौरान उसने राधेश्याम और विकास को परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थीयों को प्रवेश देने का निर्देश दिया था. उसने परिक्षास्थल के सीसीटीवी फुटेज में भी छेड़छाड़ की थी.

नई दिल्ली: दिल्ली क्राइम ब्रांच के साइबर सेल की टीम ने दिल्ली पुलिस के तीन कर्मचारियों और परीक्षा केंद्र के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. इनकी पहचान परवीन (निवासी रोहतक, हरियाणा), शिखा (समालखा, पानीपत), विशाल कुमार (मुकंदपुर, यूपी), राधे श्याम (देवबंद रोड, सहारनपुर ), विकास कुमार (हरिद्वार, उत्तराखंड) और मोहित कुमार बालियान मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के रूप में हुई है. सभी दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती की धोखाधड़ी में शामिल थे.

इस संबंध में पिछले साल 419/420/120बी के तहत थाना अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज की गयी थी. पुलिस के अनुसार, साइबर सेल अपराध शाखा में एक शिकायत मिली थी. इसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस पुरुष और महिला (कार्यकारी) 2020 की भर्ती के दौरान एक उम्मीदवार अर्जुन सिंह, निवासी सहारनपुर, उत्तर प्रदेश ने जाली तरीकों से अपनी परीक्षा उत्तीर्ण की है.

जांच के दौरान उस कथित उम्मीदवार अर्जुन सिंह से पूछताछ की गई. उसने खुलासा किया कि उसने आईओएन डिजिटल जोन, रूड़की-देहरादून हाइवे, उत्तराखंड में आयोजित परीक्षा प्रतिरूपण की मदद से उत्तीर्ण की थी. कर्मचारी चयन आयोग से सीसीटीवी फुटेज सहित अपेक्षित जानकारी प्राप्त की गई और सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने पर पता चला कि अभ्यर्थी अर्जुन सिंह परीक्षा लैब में प्रवेश कर अपनी सीट पर बैठा था और कुछ समय बाद उसने अपनी सीट छोड़ दी. लगभग 10 मिनट बाद एक फर्जी अभ्यर्थी अर्जुन सिंह की सीट पर आकर बैठ गया और उसकी ऑनलाइन परीक्षा पूरी की.

दिल्ली पुलिस ने किया गिफ्तार.
दिल्ली पुलिस ने किया गिफ्तार.

दूसरे उम्मीदवार ने दी थी परीक्षाः पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि अर्जुन सिंह की परीक्षा किसी अन्य उम्मीदवार ने दी थी. उसने परीक्षा पास कराने के लिए आईओएन डिजिटल जोन, रूड़की-देहरादून हाईवे, उत्तराखंड के परीक्षा हॉल में एक फर्जी उम्मीदवार भेजा था. इसके लिए उसने 09 लाख रुपये दिया था. इसकी पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से भी हुई थी. जांच से यह बात सामने आई है कि प्रवीण कुमार नामक व्यक्ति को फर्जी उम्मीदवार बनाकर भेजा गया था.
जांच के दौरान प्रवीण कुमार को गिरफ्तार किया गया.

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आरोपी प्रवीण कुमार ने खुलासा किया कि लैब स्टाफ की मदद से वह अभ्यार्थी अर्जुन सिंह की परीक्षा में शामिल हुआ था. पूछताछ के दौरान, साजिश में शामिल सिपाही विशाल और महिला सिपाही शिखा नामक दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया. दोनों आरोपियों ने वर्तमान मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की और बताया कि पीएसआई प्रवीण उपरोक्त अर्जुन सिंह की परीक्षा में उपस्थित हुआ था.

तय पैसा नहीं मिलने पर हुआ था झगड़ाः आगे की पूछताछ के दौरान आरोपी सिपाही विशाल ने खुलासा किया कि वह 2018 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुआ था और 2020 में दिल्ली के मंगोलपुरी में एक महिला सिपाही से मिला था. महिला सिपाही ने कहा कि वह पेमेंट के आधार पर किसी भी एग्जाम को पास करा सकती है. विशाल ने खुलासा किया कि साल 2020 में उनके एक दोस्त अर्जुन निवासी गांव- डुहरकी ने उन्हें बताया कि उन्होंने दिल्ली पुलिस कांस्टेबल के लिए आवेदन किया है. विशाल को दिल्ली पुलिस में भर्ती करने के लिए महिला सिपाही ने 9 लाख रुपये में बात तय की थी.

यह भी पढ़ेंः Delhi Crime: फर्जी GST अधिकारी बनकर 10 किलो सोने की लूट का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

बाद में महिला सिपाही और उसके सहयोगियों द्वारा प्रवीण (फर्जी उम्मीदवार) को भेजा गया, जो अर्जुन के स्थान पर परीक्षा में उपस्थित हुआ और परीक्षा पास कर ली, परन्तु अर्जुन ने तय राशि का भुगतान नहीं किया. उसके बाद सभी ने अर्जुन के घर जाकर उसके परिवार से पैसों के लिए झगड़ा किया. जांच के दौरान फिर लैब स्टाफ राधेश्याम, विकास कुमार, मोहित कुमार बालियान को भी गिरफ्तार किया गया.

आरोपियों के बारे में जानिए

  1. प्रवीण रोहतक का रहने वाला है और स्नातक की पढ़ाई एमडीयू रोहतक से की है. पढ़ाई करने के बाद वह हरियाणा सरकार में सिंचाई विभाग में शामिल हो गया और 3 वर्ष तक वहां काम किया. इसके बाद उसका चयन दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर हो गया.
  2. शिखा समालखा, पानीपत, हरियाणा की मूलतः रहने वाली है. उसके पिता किसान हैं. उसने स्नातक की पढ़ाई हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से की और वह 2019 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हो गई.
  3. विशाल कुमार, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से स्नातक की पढ़ाई हिमाचल विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश से की. उसके बाद साल 2019 में उसका चयन दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हो गया.
  4. राधेश्याम, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वह आईओएन डिजिटल जोन, किशनपुर, रुड़की, उत्तराखंड में एक इलेक्ट्रीशियन था. परीक्षा के दौरान उसने मोहित कुमार बालियान के निर्देश पर फर्जी अभ्यर्थीयों को परीक्षा स्थल में प्रवेश करने में मदद की.
  5. विकास कुमार, शाहजहांपुर, हरिद्वार, उत्तराखंड का रहने वाला है. वह आईओएन डिजिटल जोन, किशनपुर, रुड़की, उत्तराखंड में चपरासी था और आरसीपी कॉलेज के लैब में नियुक्त किया गया था. उसने ऊपरी सीढ़ी का ताला खोलने के बाद मोहित कुमार बालियान के निर्देश पर परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने में फर्जी अभ्यर्थीयों की मदद की.
  6. मोहित कुमार बालियान, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वह आईओएन डिजिटल जोन, किशनपुर, रुड़की, उत्तराखंड में आईटी हेड/नेटवर्क एडमिन था. परीक्षा के दौरान उसने राधेश्याम और विकास को परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थीयों को प्रवेश देने का निर्देश दिया था. उसने परिक्षास्थल के सीसीटीवी फुटेज में भी छेड़छाड़ की थी.
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