नई दिल्ली: विजयदशमी पर मंगलवार को कालिंदी कुंज के यमुना घाट में दिनभर मूर्तियों और पूजन सामग्री का विसर्जन होता रहा. लोग मूर्तियों के साथ-साथ प्लास्टिक कागज झोले समेत अन्य सामान घाट पर ही छोड़कर चले गए. प्रशासन की तरफ से उन्हे रोकने और समझाने वाला कोई नहीं था. प्रतिबंध के बावजूद यमुना नदी में धड़ल्ले से मूर्तियों का यमुना नदी में विसर्जित किया गया.
बुधवार को भी सुबह से कालिंदी कुंज स्थित अपना घाट पर लोग पहुंच रहे हैं और पूजा सामग्री को यमुना में डाल रहे हैं. दरसल, नौ दिनों तक पूजन के बाद मंगलवार को मां दुर्गा को विदाई दी गई. यमुना में मूर्तियों और पूजन सामग्री के विसर्जन के साथ ही एनजीटी की ओर से लगाया गया प्रतिबंध भी बहा दिया गया. घाटों पर प्रशासन की टीम नदारत नजर आई. लोग प्रतिमाओं का विसर्जन करते नजर आए.
घाट पर विसर्जन के लिए पहुंचे लोगों से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कृत्रिम तालाबों के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही. वहीं, घाट पर न नाव थी और न ही गोताखोर किसी हादसे की स्थिति में बचाव के इंतजाम भी नहीं थे. पिछले महिने ही दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने यमुना में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध को लेकर गाइडलाइन जारी किया था. जिसमें 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया था. लोकिन कालिंदी कुंज से सामने आई तस्वीरें नियम को मुंह चिढ़ाते दिखीं.
गौरतलब है कि, यमुना नदी में मां की प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाने के बाद विसर्जन के मद्देनजर दिल्ली सरकार द्वारा कई जगहों पर कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं. दिल्ली के नेहरू प्लेस आस्था कुंज पार्क पर बड़ा कृत्रिम तालाब बनाया गया है, जहां पर 50 के करीब मूर्तियों के विसर्जन की व्यवस्था है. बावजूद मूर्तियों का यमुना नदी में विसर्जित लापरवाही को दर्शाती है.