नई दिल्ली: एक सिविल डिफेंस वालेंटियर ने अपनी ड्यूटी करते जान दे दी. लेकिन उसकी मौत के बाद उसका परिवार मुआवजा पाने के लिए बैंक के चक्कर काट रहा है. लेकिन उसे मुआवजा का रुपया नहीं मिल पा रहा है. परिजनों का कहना है कि उन्हें 10 लाख मुआवजा मिला है, लेकिन वे तीन महीने बाद भी रुपये निकाल नहीं पाये हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी उन्हें किसी न किसी दस्तावेज में कमी निकालकर तीन महीने से चक्कर कटवा रहे हैं.
जनधन खाता बना मुसीबत
पूरा मामला दिल्ली के बदरपुर इलाके का है. जहां दिल्ली सिविल डिफेंस में कार्यरत आकाश की 1 दिसंबर 2020 को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. जिसके बाद सरकार ने उनके परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद की और मार्च महीने में मुआवजे की राशि मृतक की पत्नी सुशीला के जनधन खाते में ट्रांसफर करवा दिया गया. उनका यह खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में दिल्ली के बदरपुर ब्रांच में हैं लेकिन बैंक वाले बीते 3 महीने से इस पैसे के निकासी को रोके हुए हैं. उसके पीछे उनका तर्क है कि जनधन खाते में इतना पैसा जमा नहीं कराया जा सकता.
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बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे की जरूरत
मृतक के भाई राहुल ने बताया कि बैंक कर्मचारियों के कहने पर उन्होंने दूसरा खाता भी खुलवाया. लेकिन वह पैसा नहीं निकाल पाये हैं. बैंक कर्मचारी किसी न किसी दस्तावेज में कमी निकालकर उन्हें और उनकी भाभी को लौटा देते हैं. जबकि वे लोग कई तरह के दस्तावेज जो जरूरी हैं, वह बैंक में दिखा चुके हैं. मृतक के भाई राहुल ने बताया कि आकाश के तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनके पढ़ाई के लिए पैसे की जरूरत है. इसके अलावा वो मकान भी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए वे लगातार बैंक का चक्कर काट रहे हैं.
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10 लाख जमा करने के लिए अधिकृत नहीं है जनधन खाता
कोरोना जैसी विपदा की घड़ी में हर व्यक्ति परेशान है. ऐसे में जिसके ऊपर से पति का साया उठ जाये, उसकी हालत समझी जा सकती है. लेकिन ये बात बैंक कर्मचारियों को समझ नहीं आ रही है. अपने छोटे-छोटे बच्चों के भरण-पोषण के लिए महिला बैंक के चक्कर लगा रही है, लेकिन बैंक कर्मचारी तीन महीने बाद भी उसकी परेशानी का हल नहीं निकाल पाये हैं. बहरहाल बैंक प्रबंधक का कहना है कि कागजी कर्रवाई पूरी होने पर उनके रुपयों को उनके खाते में ट्रांसफर करवा दिया जाएगा.