नई दिल्ली/ ग्रेटर नोएडा : एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांव के किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें मंगलवार को पुलिस ने पानी की बौछारें की और लाठीचार्ज किया. जिसके बाद प्रदर्शन करने वाले सभी किसान शाम को दादरी विधायक तेजपाल नागर के घर पर आकर बैठ गए और पुलिस की ओर से दर्ज किए गए मामले वापस लेने की मांग की. बुधवार की सुबह महिलाएं रसूलपुर गांव में ही धरना देने के लिए बैठ गई हैं. बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद है. आसपास की दुकानें भी बंद हो गई हैं.
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एनटीपीसी ने किसानों को नहीं दी सुविधाएं : किसानों को एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांवों के किसान एक समान मुआवजा, रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य की मांगों को लेकर काफी दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने उनकी मांगें अभी पूरी नहीं की हैं. मंगलवार को किसान तय कार्यक्रम के तहत एनटीपीसी प्लांट के बाहर जब धरना देने के लिए पहुंचे तो पुलिस ने उन पर पानी की बौछारें कीं और लाठीचार्ज कर दिया. किसान नेता सुखबीर खलीफा ने बताया कि 1984 में एनटीपीसी को जमीन देने के लिए 24 गांव की जमीन अधिकृत की गई थी. जिसके बाद प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, मुफ्त बिजली का आश्वासन दिया गया था लेकिन एनटीपीसी की तरफ से ये सुविधाएं किसानों को अभी तक नहीं दी गई हैं, जिसके लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं. कल पुलिस की ओर से लाठीचार्ज और पानी की बौछार से कई किसान व महिलाएं घायल हो गईं . पानी की बौछार की वजह से कई महिलाओं की तबीयत खराब हो गई.
53 नामजद और 500 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमा : जारचा पुलिस ने एनटीपीसी के जीएम की तहरीर के आधार 53 नामजद और 500 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. ग्रेटर नोएडा डीसीपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि इन लोगों के द्वारा एनटीपीसी प्लांट के गेट पर प्रदर्शन किया जा रहा था और जबरन प्लांट में घुसने की कोशिश की गई साथ ही कुछ लोगों के द्वारा पथराव भी किया गया और प्लांट को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई. उसको देखते हुए पुलिस ने बल प्रयोग किया और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. एनटीपीसी प्लांट के जीएम की तहरीर के आधार पर 500 से ज्यादा लोगों खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
लाठीचार्ज में कई महिलाएं व किसान घायल हुए : गौरतलब है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ग्रेटर नोएडा में ही मौजूद थे और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर के सामने वह जनसभा को संबोधित करते हुए किसानों का आभार जता रहे थे. वहां से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर पुलिस प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठियां भांज रही थी. महिलाओं ने बताया कि जब यह धरना समाप्त कर आ रही थी तभी पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया जिसमें कई महिलाएं व किसान घायल हो गए. किसान नेता सुखवीर खलीफा ने बताया कि 1984 में एनटीपीसी द्वारा 24 गांवों के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था लेकिन उस समय मुआवजा देने में अनियमिताताएं बरती गईं और एक समान मुआवजा नहीं दिया गया था. एक समान मुआवजे की मांग को लेकर ही लंबे समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
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