नई दिल्लीः मगध फाउंडेशन की कोर कमेटी की बैठक नई दिल्ली में की गईं. जिसकी अध्यक्षता मगध फाउंडेशन के संस्थापक और झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी द्वारा की गई. इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि जो मगध कालीन भारत के हिस्सा हैं, आज कई अलग-अलग देश में बंटे हैं. उनको एक साथ कर एक फेडरेशन बनाया जाए, जिसका नाम ग्रेटर भारत फेडरेशन हो. इस फेडरेशन में मगध काल के भारत के सभी हिस्सों को शामिल किया जाए. अप फेडरेशन भारत के साथी उन सभी देशों के विकास में सहायक हो सकता हैं.
मगध फाउंडेशन के अध्यक्ष के एन त्रिपाठी ने कहा कि मगध फाउंडेशन 250 ई. पूर्व मगध साम्राज्य से अलग हुए देशों जो कि भारत के भ्रातृ देश हैं, उनके साथ मिलकर एक ग्रेटर भारत फेडरेशन (वृहद् भारत संघ) बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को सौपेंगी. इसमें मांग किया जाएगा और इसको लेकर फाउंडेशन के द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपे जाएंगे और मांग की जाएगी कि इस दिशा में भारत सरकार पहल करे. इस लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए, प्रत्येक देश की स्वतंत्रता को छीने बिना, हमें इन सभी देशों को एक साथ लाकर एक साझा सांस्कृतिक संगठन और एक साझा विदेश नीति बनाने की आवश्यकता है.
इस संगठन का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित हो. साथ ही भविष्य में ग्रेटर भारत फेडरेशन के लिए एक एकीकृत सैन्य बल बनाने की भी योजना बनाई जाए. ग्रेटर भारत फेडरेशन की योजना सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने पर भी केंद्रित हो, ताकि महासंघ के मित्र देशों जैसे की अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार (बर्मा) और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की मदद की जा सके. यह देश भारत के साथ सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध साझा करते हैं. हमारा लक्ष्य है कि सीमा सुरक्षा और कल्याण के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ग्रेटर भारत फेडरेशन के निर्माण की तरफ ध्यान दे.
बता दें कि मगध साम्राज्य के दौरान के मौजूदा समय के कई देश भारत साम्राज्य के अंतर्गत आते थे. अब उन देशों को मिलाकर एक फेडरेशन बनाने की मांग मगध फाउंडेशन के द्वारा किया जा रहा है. मगध फाउंडेशन भारत में तेजी से अपना काम कर रही है. देश के सभी राज्यों से आए हुए संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति (N.W.C) के सदस्यों की बैठक 21 सितम्बर 2023 को नई दिल्ली में होगी. जिसमें ग्रेटर भारत फेडरेशन निर्माण के लिए और भारत के प्रजातंत्र को मजबूत करने के लिए संवैधानिक संशोधन करने जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी एवं फैसला लिया जाएगा. इसके बाद इस फैसले को मांग के संबंध में ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा.
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