नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में रविवार शाम को हुई हिंसा के बाद हर एक छात्र और टीचर दहशत में हैं. कैंपस में घुसे नकाबपोशों ने केवल छात्रों के साथ नहीं बल्कि शिक्षकों के साथ भी मारपीट की, जिसके बाद सोमवार को जेएनयू टीचर एसोसिएशन समेत तमाम छात्रों ने मानव श्रृंखला बनाकर इस पूरी घटना के विरोध में मार्च निकाला.
छात्रों के साथ शिक्षकों पर भी किए गए हमले
इसके साथ ही जेएनयू टीचर एसोसिएशन ने इस पूरी घटना को एक साजिश बताया और कहा कि इसके लिए जेएनयू प्रशासन और जेएनयू सुरक्षा प्रणाली सीधे तौर पर जिम्मेदार है. क्योंकि इस घटना के समय कई बार जेएनयू प्रशासन, दिल्ली पुलिस, वूमेन हेल्पलाइन नंबर को कॉल की गई. लेकिन कोई भी रिस्पांस नहीं दिया गया. कैंपस में इस प्रकार दहशत का माहौल था कि हम सबको लगा था कि अब हम नहीं बचेंगे.
काफी मुश्किल से शिक्षकों ने बचाई अपनी जान
डिपार्टमेंट ऑफ सोशल साइंस में प्रोफेसर विक्रमादित्य चौहान ने बताया कि वह साबरमती हॉस्टल से आगे न्यू ट्रांजिट हाउस में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. तभी शाम के समय जब उनकी पत्नी नीलू वॉक के लिए बाहर निकली थी. तभी अचानक से वह घर की तरफ भागते हुए आती हैं, और उनके पीछे काफी तादाद में लोग होते हैं. ऐसे में हम घबराकर दरवाजा बंद करते हैं, और इसके लिए जेएनयू सिक्योरिटी और जेएनयू रजिस्ट्रार तक को कॉल की जाती है. लेकिन, घटना के 12 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी तक किसी की तरफ से हमारे कॉल मैसेजेस का रिप्लाई नहीं किया गया.
जेएनयू प्रशासन और सुरक्षा प्रणाली पर उठाए सवाल
उनका कहना था कि देश की राजधानी दिल्ली की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में हम पढ़ाते हैं. यहां रह रहे हैं और ऐसे में हमारी सुरक्षा को लेकर इतनी बड़ी चूक की जाती है हमला किया जाता है. वहीं जेएनयू प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जाता. इसका मतलब साफ है कि इस पूरी घटना में यूनिवर्सिटी प्रशासन, सरकार सभी मिले हुए हैं. साजिश के तहत कैंपस में यह हमला करवाया गया.