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जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंसा के तीन साल पूरे, जानें क्या हुआ था उस दिन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंसा को आज तीन साल पूरा हो गया है. दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में 15 दिसंबर के दिन ही दिल्ली पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इस संबंध में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिल्ली पुलिस लाइब्रेरी में बैठे बच्चों पर लाठियां बरसाते हुए दिख रही है और छात्र-छात्राएं कुर्सियों के नीचे छिपते और पुलिस के सामने हाथ जोड़ते नजर आए थे.

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जामिया हिंसा के तीन साल
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Published : Dec 15, 2022, 2:04 PM IST

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया हिंसा को आज तीन साल पूरा हो गया है. आज से तीन साल पहले 15 दिसंबर 2019 को जामिया विश्वविद्यालय के बाहर एवं अंदर पुलिस छात्रों के बीच जमकर संघर्ष हुआ था. छात्रों की तरफ से जहां पुलिस पर पथराव किया गया था, तो वहीं पुलिस की तरफ से भी कैंपस में घुसकर छात्रों के साथ मारपीट की गई थी. इस घटना में लगभग 150 लोग घायल हुए थे, जिनमें 95 पुलिसकर्मी एवं अन्य छात्र शामिल थे. 15 दिसंबर से शाहीन बाग का धरना भी शुरू हुआ था जो 101 दिन चला.

इस मामले में कुछ छात्रों सहित 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले के आरोपियों में शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, मोहम्मद इलियास, बिलाल नदीम, शहजर रजा खान, मोहम्मद अनवर, मोहम्मद कासिम, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, चंदा यादव और अबुजर शामिल हैं. इस मामले में गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अदालत से जमानत मिल चुकी है.


दिल्ली दंगे के पिछे जामिया हिंसा की भूमिका

राजधानी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के लिए जामिया हिंसा को भी जिम्मेदार माना जाता है. दंगों को लेकर दाखिल किए गए आरोपपत्र में कई जगहों पर पुलिस ने इसका जिक्र किया है. उनका दावा है कि दिल्ली दंगों की साजिश जामिया हिंसा के समय से ही शुरू हो गई थी. वहां चल रहे प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने आपस में मिलकर दिल्ली दंगे की साजिश रची थी. इस साजिश को लेकर स्पेशल सेल द्वारा यूएपीए एक्ट का मामला दर्ज किया गया था. साजिश के इस मामले में लगभग एक दर्जन आरोपियों को स्पेशल सेल की टीम ने गिरफ्तार की थी.

ये भी पढ़ें : गाजियाबाद में रेलवे ट्रैक पर वीडियो बनाते समय ट्रेन की चपेट में आए तीन लोग, मौत

बता दें कि दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में 15 दिसंबर के दिन ही दिल्ली पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इस संबंध में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिल्ली पुलिस लाइब्रेरी में बैठे बच्चों पर लाठियां बरसाते हुए दिख रही हैं और छात्र-छात्राएं कुर्सियों के नीचे छिपते और पुलिस के सामने हाथ जोड़ते नजर आए थे.

इस घटना पर दिल्ली पुलिस ने सफाई देते हुए कहा था कि छात्रों ने पुलिस पर पथराव किया था, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. इसके अगले दिन ही यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने कहा था कि पुलिस कैंपस में जबरन घुसी और बेगुनाह छात्र-छात्राओं की पिटाई की थी.

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया हिंसा को आज तीन साल पूरा हो गया है. आज से तीन साल पहले 15 दिसंबर 2019 को जामिया विश्वविद्यालय के बाहर एवं अंदर पुलिस छात्रों के बीच जमकर संघर्ष हुआ था. छात्रों की तरफ से जहां पुलिस पर पथराव किया गया था, तो वहीं पुलिस की तरफ से भी कैंपस में घुसकर छात्रों के साथ मारपीट की गई थी. इस घटना में लगभग 150 लोग घायल हुए थे, जिनमें 95 पुलिसकर्मी एवं अन्य छात्र शामिल थे. 15 दिसंबर से शाहीन बाग का धरना भी शुरू हुआ था जो 101 दिन चला.

इस मामले में कुछ छात्रों सहित 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले के आरोपियों में शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, मोहम्मद इलियास, बिलाल नदीम, शहजर रजा खान, मोहम्मद अनवर, मोहम्मद कासिम, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, चंदा यादव और अबुजर शामिल हैं. इस मामले में गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अदालत से जमानत मिल चुकी है.


दिल्ली दंगे के पिछे जामिया हिंसा की भूमिका

राजधानी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के लिए जामिया हिंसा को भी जिम्मेदार माना जाता है. दंगों को लेकर दाखिल किए गए आरोपपत्र में कई जगहों पर पुलिस ने इसका जिक्र किया है. उनका दावा है कि दिल्ली दंगों की साजिश जामिया हिंसा के समय से ही शुरू हो गई थी. वहां चल रहे प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने आपस में मिलकर दिल्ली दंगे की साजिश रची थी. इस साजिश को लेकर स्पेशल सेल द्वारा यूएपीए एक्ट का मामला दर्ज किया गया था. साजिश के इस मामले में लगभग एक दर्जन आरोपियों को स्पेशल सेल की टीम ने गिरफ्तार की थी.

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बता दें कि दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में 15 दिसंबर के दिन ही दिल्ली पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इस संबंध में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिल्ली पुलिस लाइब्रेरी में बैठे बच्चों पर लाठियां बरसाते हुए दिख रही हैं और छात्र-छात्राएं कुर्सियों के नीचे छिपते और पुलिस के सामने हाथ जोड़ते नजर आए थे.

इस घटना पर दिल्ली पुलिस ने सफाई देते हुए कहा था कि छात्रों ने पुलिस पर पथराव किया था, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. इसके अगले दिन ही यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने कहा था कि पुलिस कैंपस में जबरन घुसी और बेगुनाह छात्र-छात्राओं की पिटाई की थी.

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