नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली AIIMS के 75 विदेशी चिकित्सकों ने आरोप लगाया है कि बीते कई सालों से उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. जबकि ये विदेशी चिकित्सक भी भारतीय चिकित्सकों के साथ मिल कर दिन रात कोविड-19 के मरीजों के उपचार में लगे हैं. हालात ये हैं कि उन्हें अपने सहयोगियों से उधार ले कर काम चलाना पड़ रहा है.
डॉक्टर्स का यह मानना है कि एम्स प्रशासन मनमानी कर रहा है और सैलरी नहीं दे रहा है. एक विदेशी डॉक्टर विवेक का कहना है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. काम के बदले पैसा नहीं मिल रहा है. अगर एक मजदूर काम करता है, तो उसे भी पैसे मिलते हैं. साथ ही उन्होंने कहा है कि पीएमओ से आदेश आ चुका है, लेकिन एम्स प्रशासन लापरवाही कर रहा है. जिसके चलते पैसा नहीं दिया जा रहा है.
वहीं डॉ. अमनदीप सिंह का मानना है कि जो विदेशों से आये हैं उन्हें दिल्ली एम्स में सैलरी नहीं दे रही है, जबकि PGI में काम कर रहे डॉक्टरों को सैलरी दी जा रही है. डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि पीएम ने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के उपचार करने वाले अग्रिम स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 50 लाख रुपये की बीमे की घोषणा की है, लेकिन वह उस दायरे में भी नहीं आते, क्योंकि वे लोग विदेशी हैं.
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सार्क देशों के चिकित्सक आते हैं भारत
प्रत्येक वर्ष सार्क देशों के चिकित्सक तीन संस्थानों-दिल्ली एम्स, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ और पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर) में मेडिकल कोर्स करने के लिए भारत आते हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2013 में एम्स को निर्देश दिया था कि वह भारतीय चिकित्सकों की तरह ही अपने विदेशी चिकित्सकों का भुगतान शुरू करें. प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय ने भी 2018 में संस्थान को आवश्यक संशोधन करने और विदेशी चिकित्सकों को वेतन जारी करने का निर्देश दिया था.