नई दिल्ली: अगर आपको लगता है कि गोल्डन ऑवर का महत्व केवल कार्डियो और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं तक ही सीमित होता है, तो यह पुनर्विचार करने का समय है. यह आर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में बढ़ती मृत्यु दर, विशेष रूप से सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए भी विशेष महत्व रखता है. इस पर जागरूकता बढ़ाने के लिए, दिल्ली ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के साथ मिलकर विभिन्न स्टेकहोल्डर्स (साझेदारों) तक पहुंचने के लिए एक अभियान चलाया है. सप्ताह भर चलने वाले जागरूकता अभियान के समापन पर ऑर्थोपेडिक रिसर्च सोसाइटी, एम्स, नई दिल्ली के तत्वावधान में सोमवार को दिल्ली ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा आयोजित चिकित्सा सम्मेलन में सरकारी और निजी अस्पतालों के 550 से अधिक आर्थोपेडिक सर्जनों ने भाग लिया और राजधानी में दुर्घटना पीड़ितों के बीच मृत्यु दर को कम करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा की.
मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत में हर साल अगस्त के पहले सप्ताह के दौरान 'हड्डी और जोड़ सप्ताह' मनाया जाता है. इस दौरान दिल्ली ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव डॉ. शेखर श्रीवास्तव ने कहा कि एसोसिएशन द्वारा आम जन को लाभ पहुंचाने वाली विभिन्न गतिविधियां शुरू की गईं है. इस वर्ष हड्डी और जोड़ सप्ताह की थीम 'ईच वन टीच वन एंड सेव वन' है. इसका उद्देश्य सड़क दुर्घटना पीड़ितों को पहले एक घंटे के दौरान बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम प्रदान करने के महत्व का प्रचार करना और प्राथमिक चिकित्सा देखभाल को बढ़ावा देना था.
उन्होंने बताया कि भारत सड़क दुर्घटनाओं के मामले में शीर्ष 20 देशों में पहले स्थान पर है, जिसमें सालाना 1.50 लाख की मृत्यु दर है. अधिकतम पीड़ित 18 से 50 वर्ष की आयु के हैं. दर्दनाक चोट के बाद पहले 60 मिनट सबसे महत्वपूर्ण समय है. क्योंकि ये रोगी के परिणाम को निर्धारित करती है. ट्रैफिक पुलिस को शिक्षित करने के लिए, हमारे एसोसिएशन ने आरएमएल अस्पताल में लगभग 450 दिल्ली ट्रैफिक कर्मियों के लिए एक बेसिक लाइफ सपोर्ट फर्स्ट ऐड प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है. इसके अलावा, दुखद घटना के पहले घंटे में पीड़ितों को प्राथमिक चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए साइकिल चलाना और वृक्षारोपण अभियान चलाया गया.
ये भी पढ़ें : कहीं आपकी हड्डियों में भी तो नहीं है कैल्शियम की कमी, जानें कैसे खत्म होगा हार्ट अटैक का खतरा