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चुनावों में धनबल के बढ़ते दबदबे को रोकन के लिए प्रभानी कानून की जरूरत - प्रोफेसर सलीम इंजीनियर - Finance Act 2017 Amendment

जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द(Jamaate Islami Hind) के मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में संस्था के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा कि हमारे राजनेताओं द्वारा अपना खजाना भरने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए फंडिंग पाना एक सरल तरीका है.

जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द
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Published : Nov 5, 2022, 10:29 PM IST

नई दिल्ली : जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द(Jamaate Islami Hind ) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा कि हिन्दुस्तान में चुनावों को जिस तरह हमारे राजनीतिक दलों द्वारा फंडिंग की जाती है और चुनाव लड़े जाते हैं, वह चिंता का विषय है. जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कई हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च हुए जो दुनिया का अब तक का सबसे महंगा चुनाव था.

इलेक्टोरल बॉन्ड पर संशय व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे राजनेताओं द्वारा अपना खजाना भरने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए फंडिंग पाना एक सरल तरीका है. चुनावी बॉन्ड गुमनाम होते हैं. वित्त अधिनियम 2017 में संशोधन करके सरकार ने राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त चंदे का खुलासा करने से छूट दे दी है. लेकिन चूंकि ये बॉन्ड सरकारी स्वामित्व वाले बैंक (एसबीआइ) द्वारा बेचे जाते हैं इसलिए सरकार के लिए यह जानना आसान होता है कि विपक्ष को कौन फंडिंग कर रहा है. प्रोफेसर सलीम ने राजनीतिक दलों से एक साथ आने की अपील की. उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बना कर चुनावों में धन बल के बढ़ते दबदबे को रोकन के लिए प्रभावी क़ानून लाना चाहिए.

ये भी पढ़ें : सुकेश का दावा, केजरीवाल ने 500 करोड़ रुपए जुटाने के लिए कहा था


जमाअत ए इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में मासिक प्रेस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर सलीम इंजीनियर(Professor Salim Engineer) ने कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 341 में उपयुक्त संशोधन किया जाए ताकि दलित हिन्दुओं, बौद्धों और सिखों के अलावा ईसाई और इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ मिले. उन्होंने रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति का दर्जा धर्म से पूरी तरह अलग किया जाना चाहिए. सच्चर समिति की रिपोर्ट से उद्धृत करते हुए प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने बताया कि धर्मांतरण के बाद दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्प्णी का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि जमाअत अदालत के आदेश की सराहना करती है, जिसमें कहा गया है कि संविधान, भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और व्यक्ति की गरिमा को सुनिश्चित करने वाले बंधुत्व की परिकल्पना करता है. देश की एकता और अखंडता प्रस्तावना में निहित मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक है.


प्रेस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए जमाअत ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय मीडिया सचिव सैयद तनवीर अहमद ने बहु प्रतिक्षित चार एनसीएफ (राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा) में से पहले दस्तावेज़ के प्रकाशन का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि स्कूलों के फाउंडेशन स्टेज (2022) के लिए एनसीएफ को महत्वपूर्ण समीक्षा और परामर्श प्रक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि वर्तमान दस्तावेज़ और भविष्य के एनसीएफ को अधिक समावेशी, सामाजिक रूप से न्याय संगत और साझा सहमति वाले संवैधाकि मूल्यों को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित किया जाएगा. सैयद तनवीर अहमद ने एनसीएफ के गठन से पहले की परामर्शी प्रक्रिया की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर भी चिंता व्यक्त की.

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नई दिल्ली : जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द(Jamaate Islami Hind ) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा कि हिन्दुस्तान में चुनावों को जिस तरह हमारे राजनीतिक दलों द्वारा फंडिंग की जाती है और चुनाव लड़े जाते हैं, वह चिंता का विषय है. जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कई हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च हुए जो दुनिया का अब तक का सबसे महंगा चुनाव था.

इलेक्टोरल बॉन्ड पर संशय व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे राजनेताओं द्वारा अपना खजाना भरने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए फंडिंग पाना एक सरल तरीका है. चुनावी बॉन्ड गुमनाम होते हैं. वित्त अधिनियम 2017 में संशोधन करके सरकार ने राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त चंदे का खुलासा करने से छूट दे दी है. लेकिन चूंकि ये बॉन्ड सरकारी स्वामित्व वाले बैंक (एसबीआइ) द्वारा बेचे जाते हैं इसलिए सरकार के लिए यह जानना आसान होता है कि विपक्ष को कौन फंडिंग कर रहा है. प्रोफेसर सलीम ने राजनीतिक दलों से एक साथ आने की अपील की. उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बना कर चुनावों में धन बल के बढ़ते दबदबे को रोकन के लिए प्रभावी क़ानून लाना चाहिए.

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जमाअत ए इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में मासिक प्रेस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर सलीम इंजीनियर(Professor Salim Engineer) ने कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 341 में उपयुक्त संशोधन किया जाए ताकि दलित हिन्दुओं, बौद्धों और सिखों के अलावा ईसाई और इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ मिले. उन्होंने रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति का दर्जा धर्म से पूरी तरह अलग किया जाना चाहिए. सच्चर समिति की रिपोर्ट से उद्धृत करते हुए प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने बताया कि धर्मांतरण के बाद दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्प्णी का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि जमाअत अदालत के आदेश की सराहना करती है, जिसमें कहा गया है कि संविधान, भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और व्यक्ति की गरिमा को सुनिश्चित करने वाले बंधुत्व की परिकल्पना करता है. देश की एकता और अखंडता प्रस्तावना में निहित मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक है.


प्रेस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए जमाअत ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय मीडिया सचिव सैयद तनवीर अहमद ने बहु प्रतिक्षित चार एनसीएफ (राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा) में से पहले दस्तावेज़ के प्रकाशन का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि स्कूलों के फाउंडेशन स्टेज (2022) के लिए एनसीएफ को महत्वपूर्ण समीक्षा और परामर्श प्रक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि वर्तमान दस्तावेज़ और भविष्य के एनसीएफ को अधिक समावेशी, सामाजिक रूप से न्याय संगत और साझा सहमति वाले संवैधाकि मूल्यों को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित किया जाएगा. सैयद तनवीर अहमद ने एनसीएफ के गठन से पहले की परामर्शी प्रक्रिया की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर भी चिंता व्यक्त की.

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