नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बाटला हाउस एनकाउंटर पर बनी फिल्म पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच से जब याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने फिल्म नहीं देखी है, केवल ट्रेलर देखा है.
कोर्ट ने इसके जवाब में कहा कि आपने फिल्म नहीं देखी है, केवल ट्रेलर से कुछ नहीं किया जा सकता है. ऐसे में हमें आपको क्यों सुनना चाहिए. कोर्ट के इस रुख के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापल ले ली है.
ट्रायल प्रभावित होने पर रोक लग सकती है
बाटला हाउस फिल्म को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विभू बाखरू की सिंगल बेंच ने कहा था कि अगर फिल्म ट्रायल को प्रभावित कर सकती है, तो इस पर रोक लगायी जा सकता है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच को बताया था कि फिल्म को देखकर ऐसा लगता है कि वे दोषी हैं. सबकुछ आरोप पत्र के आधार पर फिल्माया गया है.
'ट्रायल और अपील पर फर्क पड़ सकता है'
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि कोर्ट सब कुछ निष्पक्ष ढंग से कर रही है, लेकिन फिल्म के रिलीज होने से ट्रायल और अपील पर फर्क पड़ सकता है. वहीं फिल्म के प्रोड्यूसर ने कहा कि भले ही फिल्म चार्जशीट को आधार बनाकर बनाई गई है. लेकिन इससे कहीं ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को अभियुक्त या आतंकवादी दिखाया गया हो.
तब कोर्ट ने कहा कि एक याचिकाकर्ता का नाम पोस्टर पर भी है. अगर फिल्म से ट्रायल प्रभावित होने की आशंका होगी तो फिल्म की रिलीज रोक दी जाएगी. पिछले 3 अगस्त को जस्टिस विभू बाखरु ने फिल्म के प्रोड्यूसर को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को फिल्म दिखाएं. जिसके बाद ये फिल्म याचिकाकर्ताओं को दिखाई गई थी.
2008 में हुआ था बाटला हाउस एनकाउंटर
बता दें कि 19 सितंबर 2008 को जामिया नगर के बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया था. मामले में तीन अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था. एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे. इस मामले में आरिफ खान को फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था. शहजाद अहमद ने ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, जो अभी लंबित है.