नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: नोएडा में भारत और एशिया का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) बन रहा है. माना जा रहा है कि यह उत्तर भारत का गेटवे होगा और इससे देश के विकास को नए पंख लगेंगे. इसका पहला चरण 2024 में शुरू होने की उम्मीद है. इस एयरपोर्ट का निर्माण स्विट्जरलैंड की कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट एशिया (Zurich Airport Asia) कर रही है.
एयरपोर्ट का निर्माण करीब 3300 एकड़ में किया जा रहा है. इस एयरपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा की 37.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जबकि, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की 12.5 फीसदी हिस्सेदारी है. यह इलाका मैन्युफैक्चरिंग और कॉमर्स का हब बनकर उभरेगा. इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और लॉजिस्टिक कॉस्ट में कमी आएगी.
2024 तक उड़ाने भरने का लक्ष्य: एयरपोर्ट का कार्य लगभग 60% पूरा हो चुका है और सितंबर 2024 में एयरपोर्ट से उड़ाने भरने का लक्ष्य रखा गया है. इस एयरपोर्ट का निर्माण करीब 3300 एकड़ में किया जा रहा है. जेवर के निर्माण के साथ NCR में दो बड़े एयरपोर्ट हो जाएंगे. दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 का विस्तार साल के आखिरी में हो जाएगा. अगले एक साल में NCR से हर घंटे 100 से अधिक उड़ानें होंगी. करीब 11.50 करोड़ यात्री सालाना सफर कर सकेंगे.
दिल्ली में एक और इंटरनेशनल एयरपोर्ट क्यों?: दरअसल, दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए भारत के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट में से एक है, जहां से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर की उड़ानों का संचालन होता है. यह हवाई अड्डा करोड़ों यात्रियों की क्षमता रखता है.
हालांकि, यात्रियों के बढ़ते बोझ और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए दिल्ली एनसीआर में दूसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का काम शुरू हो गया है, जो ग्रेटर नोएडा में जेवर एयरपोर्ट के नाम से बन रहा है. हालांकि, इसका वास्तविक नाम नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. इसके बन जाने से स्थानीय स्तर पर आर्थिक व्यवस्था को और मजबूती मिलेगी. यह प्रोजेक्ट वैश्विक स्तर का है, जिसके पूरे होने का 2024 सितंबर का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए 3000 कर्मचारी दिन रात यहां पर कम कर रहे हैं.
2022 से शुरू हुआ था निर्माण कार्य: ग्रेटर नोएडा के जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए 24 जून 2022 को परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया था. इस परियोजना की जिम्मेदारी टाटा प्रोजेक्ट्स को दी गई, जिसमें 3000 कर्मचारियों में इंजीनियरों की विशेष टीम है, जो दिन और रात कार्य कर रही है. इसके लिए सभी कर्मचारी साइट पर ही रहते हैं.
सितंबर 2024 से सेवाएं होगी शुरू: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट परियोजना के तहत 2024 तक सालाना 1.5 करोड़ यात्रियों की क्षमता के साथ एयरपोर्ट का संचालन शुरू हो जाएगा. हालांकि, बाद में इसकी क्षमता को बढ़ाकर सालाना 3 करोड़ कर दिया जाएगा. इसके बाद यहां पर फ्लाइटों की संख्या बढ़ाकर देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों के लिए फ्लाइट उड़ान भरेंगे. यह दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
प्रदेश के अन्य शहरों को भी एयरपोर्ट से जोड़ा जाएगा: गौतम बुद्ध नगर में बना रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट को एनसीआर के बाकी हिस्सों से सीधा जोड़ने की तैयारी चल रही है. इसी कड़ी में फरीदाबाद को एयरपोर्ट से जोड़ने के लिए ग्रीन एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के विभिन शहरों को भी एयरपोर्ट से जोड़ने की तैयारी चल रही है. इसी कड़ी में यमुना एक्सप्रेसवे काफी सहायक होगा जो ग्रेटर नोएडा के परी चौक से आगरा तक बनाया गया है. इस एयरपोर्ट के बन जाने से उत्तर प्रदेश के साथ हरियाणा को भी बड़ा लाभ मिलेगा.
"एयरपोर्ट के निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. एयरपोर्ट से उड़ाने शुरू करने के लिए सितम्बर 2024 का समय तय किया गया है. उससे पहले ही निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा ताकि ट्राइल के बाद उड़ाने समय से शुरू हो सके." - अरुण वीर सिंह, सीईओ, यमुना प्राधिकरण
ये सुविधाएं मिलेंगी
- ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन: एयरपोर्ट में ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन बनाने की योजना है. यहां पर एक जगह से आने-जाने के कई विकल्प रहेंगे. यानी एक जगह से बस, टैक्सी, पॉड टैक्सी आदि मिल सकेंगी.
- स्विंग स्टैंड: विमान के आसान मोड़ के लिए एप्रन स्टैंड पर पहली बार स्विंग स्टैंड होगा. यानी बिना रन-वे बदले घरेलू उड़ानें अंतरराष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें घरेलू में कन्वर्ट हो सकेंगी.
- नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन: नेट जीरो एनर्जी, नेट जीरो कार्बन इमीशन, नेट जीरो वेस्ट और वाटर वाला ये देश का पहला एयरपोर्ट होगा. दिन की रोशनी का अधिकतम इस्तेमाल.
पूरा एयरपोर्ट डिजिटल, ग्रीनफील्ड होगा
- पहले फेज में यात्री क्षमता 1.2 करोड़ करनी है. इसकी 80% क्षमता पाने के बाद दूसरे फेज का काम होगा.
- एयरपोर्ट की डिजाइन में फोरकोर्ट, कोर्टयार्ड, लैंडस्कैप दिखेगा. छत नदियों की तरह लहरदार बनेगी.
- बोर्डिंग जोन में बड़ा ग्रीनजोन होगा. स्थानीय वास्तुकला, जलवायु अनुकूल शैली में लाउंज होगा.
Noida International Airport एक ऐसा एयरपोर्ट होगा जिस पर भारत को गर्व होगा. इसके लिए दुनियाभर की कंपनियां काम कर रही हैं. फ्यूल फार्म, मल्टीमोडल कार्गो हब, एयरपोर्ट होटल और कैटरिंग फैसिलिटीज विकसित की जा रही हैं. इसमें टाटा ग्रुप भी शामिल है. यह तो अभी शुरुआत है. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से देश में निवेश बढ़ेगा और विकास को पंख लगेंगे.
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