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CAA विरोध: दूसरा शाहीन बाग बना जाफराबाद, लगातार जारी महिलाओं का आंदोलन

दिल्ली के जाफराबाद में सीएए और एनआरसी को लेकर महिलाएं आए दिन कैंडल मार्च निकाल रही है. इस आंदोलन में शामिल महिलाओं का कहना था कि हम नहीं चाहते कि देश में एक ऐसा कानून लगे जिसमें सारी जातियों के बीच भेदभाव हो.

women are protesting against CAA in jafrabad like shaheen bagh
जफराबाद में महिलाओं का आंदोलन जारी
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Published : Jan 14, 2020, 2:14 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर विधानसभा में लगने वाला जाफराबाद दूसरा शाहीन बाग बनता जा रहा है. दरअसल यहां की महिलाएं पिछले करीब एक सप्ताह से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के विरोध में आंदोलन की राह पर चल रही हैं. महिलाएं रोज यहां कैंडल मार्च निकालकर इलाके के लोगों को जागरूक कर रही है और उसके बाद महिलाओं को बताया जाता है कि कैसे यह कानून जान विरोधी और संविधान के खिलाफ है.

जफराबाद में महिलाओं का आंदोलन जारी

पिछले एक सप्ताह से आंदोलन जारी
सीएए और एनआरसी को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला लगातार चल रहा है. इसी कड़ी में जाफराबाद की महिलाओं ने भी पिछले करीब एक सप्ताह से अपना आंदोलन चलाया हुआ है. जाफराबाद इलाके में महिलाएं हर रोज शाम ढलते ही अपने हाथों में सीएए-एनआरसी विरोधी नारे लिखे प्ले कार्ड और पोस्टर लेकर निकल पड़ती है. आंदोलन में शामिल महिलाओं का कहना था कि हम नहीं चाहते कि देश में एक ऐसा कानून लगे जिसमें सारी जातियों के बीच भेदभाव हो, हम भेदभाव को बढ़ावा नहीं देते.

जाफराबाद की गलियों में हर रोज कैंडल मार्च
हाथों में मोमबत्ती लिए इन महिलाओं का यह कैंडल मार्च बेहद शांतिपूर्ण ढंग से जाफराबाद की गलियों से गुजरता हुआ एक स्थान पर पहुंचकर छोटी सभा का रूप ले लेता है. जहां आंदोलन में शामिल यह महिलाएं केंद्र सरकार द्वारा लाये गए इन कानून के विरोध में नारे लगाती हैं और आंदोलन में जुड़ने वाली नई महिलाओं को बताया जाता है कि कैसे केंद्र सरकार सीएए लाकर नागरिकों में भेदभाव कर रही है. ये कानून जन विरोधी और देश के संविधान के खिलाफ है.

शाहीन बाग से उठाएंगे तो जाफराबाद में बैठी मिल जाएंगी
आंदोलन में शामिल महिलाओं का साफ कहना था कि सरकार चाहती है कि शाहीन बाग की औरतें हटें, अगर वह उन्हें हटा भी देंगे तो जाफराबाद की महिलाएं बैठी हैं. सरकार कहीं से भी महिलाओं को हटा दी, देश के हर वर्ग की महिलाएं इस आंदोलन में शरीक हैं, महिलाएं सड़कों पर बैठी मिल जाएंगी.

जरूर सफल होगा महिलाओं का यह आंदोलन
शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन के सरकार पर प्रभाव के एक सवाल के जवाब में आंदोलन में शामिल एक महिला ने कहा कि सरकार पर जरूर प्रभाव पड़ेगा. इतिहास गवाह है कि इस तरह के शांतिपूर्ण चलने वाले आंदोलन हमेशा एक दिन सफल होते हैं. उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका यह आंदोलन भी एक दिन जरूर सफल होगा और सरकार को अपना यह काला कानून वापस लेना पड़ेगा.

सीलमपुर के जाफराबाद इलाके में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन लगातार चल रहा है. हर रोज गलियों में निकलने वाले कैंडल मार्च और महिलाओं के इस शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन को देखकर हर कोई यही कह रहा है कि जाफराबाद की महिलाएं भी अब शाहीन बाग की महिलाओं की डगर पर निकल पड़ी हैं. देखना यह होगा कि आंदोलन कितना सफल हो सकेगा.

नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर विधानसभा में लगने वाला जाफराबाद दूसरा शाहीन बाग बनता जा रहा है. दरअसल यहां की महिलाएं पिछले करीब एक सप्ताह से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के विरोध में आंदोलन की राह पर चल रही हैं. महिलाएं रोज यहां कैंडल मार्च निकालकर इलाके के लोगों को जागरूक कर रही है और उसके बाद महिलाओं को बताया जाता है कि कैसे यह कानून जान विरोधी और संविधान के खिलाफ है.

जफराबाद में महिलाओं का आंदोलन जारी

पिछले एक सप्ताह से आंदोलन जारी
सीएए और एनआरसी को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला लगातार चल रहा है. इसी कड़ी में जाफराबाद की महिलाओं ने भी पिछले करीब एक सप्ताह से अपना आंदोलन चलाया हुआ है. जाफराबाद इलाके में महिलाएं हर रोज शाम ढलते ही अपने हाथों में सीएए-एनआरसी विरोधी नारे लिखे प्ले कार्ड और पोस्टर लेकर निकल पड़ती है. आंदोलन में शामिल महिलाओं का कहना था कि हम नहीं चाहते कि देश में एक ऐसा कानून लगे जिसमें सारी जातियों के बीच भेदभाव हो, हम भेदभाव को बढ़ावा नहीं देते.

जाफराबाद की गलियों में हर रोज कैंडल मार्च
हाथों में मोमबत्ती लिए इन महिलाओं का यह कैंडल मार्च बेहद शांतिपूर्ण ढंग से जाफराबाद की गलियों से गुजरता हुआ एक स्थान पर पहुंचकर छोटी सभा का रूप ले लेता है. जहां आंदोलन में शामिल यह महिलाएं केंद्र सरकार द्वारा लाये गए इन कानून के विरोध में नारे लगाती हैं और आंदोलन में जुड़ने वाली नई महिलाओं को बताया जाता है कि कैसे केंद्र सरकार सीएए लाकर नागरिकों में भेदभाव कर रही है. ये कानून जन विरोधी और देश के संविधान के खिलाफ है.

शाहीन बाग से उठाएंगे तो जाफराबाद में बैठी मिल जाएंगी
आंदोलन में शामिल महिलाओं का साफ कहना था कि सरकार चाहती है कि शाहीन बाग की औरतें हटें, अगर वह उन्हें हटा भी देंगे तो जाफराबाद की महिलाएं बैठी हैं. सरकार कहीं से भी महिलाओं को हटा दी, देश के हर वर्ग की महिलाएं इस आंदोलन में शरीक हैं, महिलाएं सड़कों पर बैठी मिल जाएंगी.

जरूर सफल होगा महिलाओं का यह आंदोलन
शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन के सरकार पर प्रभाव के एक सवाल के जवाब में आंदोलन में शामिल एक महिला ने कहा कि सरकार पर जरूर प्रभाव पड़ेगा. इतिहास गवाह है कि इस तरह के शांतिपूर्ण चलने वाले आंदोलन हमेशा एक दिन सफल होते हैं. उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका यह आंदोलन भी एक दिन जरूर सफल होगा और सरकार को अपना यह काला कानून वापस लेना पड़ेगा.

सीलमपुर के जाफराबाद इलाके में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन लगातार चल रहा है. हर रोज गलियों में निकलने वाले कैंडल मार्च और महिलाओं के इस शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन को देखकर हर कोई यही कह रहा है कि जाफराबाद की महिलाएं भी अब शाहीन बाग की महिलाओं की डगर पर निकल पड़ी हैं. देखना यह होगा कि आंदोलन कितना सफल हो सकेगा.

Intro:उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर विधानसभा में लगने वाला जाफराबाद दूसरा शाहीन बाग बनता जा रहा है, दरअसल यहां की महिलाएं पिछले करीब एक सप्ताह से CAA और NRC के विरोध में आंदोलन की राह पर चल रही हैं.महिलाएं रोज यहां कैंडल मार्च निकालकर इलाके के लोगों को जागरूक कर रही है और उसके बाद महिलाओं को बताया जाता है कि कैसे यह कानून जान विरोधी और संविधान के खिलाफ है.


Body:केंद्र सरकार द्वारा लाये जा रहे CAA और NRC को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला लगातार चल रहा है,इसी काफी में यमुनापार के सीलमपुर जाफराबाद की महिलाओं ने भी पिछले करीब एक सप्ताह से अपना आंदोलन चलाया हुआ है. जाफराबाद इलाके में महिलाएं हर रोज शाम ढलते ही अपने हाथों में CAA-NRC विरोधी नारे लिखे प्ले कार्ड और पोस्टर लेकर निकल पड़ती है. आंदोलन में शामिल महिलाओं का कहना था कि हम नहीं चाहते कि देश में एक ऐसा कानून लगे जिसमें सारी जातियों के बीच भेदभाव हो, हम भेदभाव को बढ़ावा नहीं देते.

जाफराबाद की गलियों में हर रोज कैंडल मार्च
हाथों में मोमबत्ती लिए इन महिलाओं का यह कैंडल मार्च बेहद शांतिपूर्ण ढंग से जाफराबाद की गलियों से गुजरता हुआ एक स्थान पर पहुंचकर छोटी सभा का रूप ले लेता है. जहां आंदोलन में शामिल यह महिलाएं केंद्र सरकार द्वारा लाये गए इन कानून के विरोध में नारे लगाती हैं और आंदोलन में जुड़ने वाली नई महिलाओं को बताया जाता है कि कैसे केंद्र सरकार CAA कानून लाकर डेज़ह के नागरिकों में भेदभाव कर रही है, कैसेबीह कानून जन विरोधी और देश के संविधान के खिलाफ है.

शाहीन बाग से उठाएंगे तो जाफराबाद में बैठी मिल जाएंगी
आंदोलन में शामिल महिलाओं का साफ कहना था कि सरकार चाहती है कि शाहीन बाग की औरतें हटें, अगर वह उन्हें हटा भी देंगे तो जाफराबाद की महिलाएं बैठी हैं. सरकार कहीं से भी महिलाओं को हटा दी, देश के हर वर्ग की महिलाएं इस आंदोलन में शरीक हैं, महिलाएं सड़कों पर बैठी मिल जाएंगी.

जरूर सफल होगा महिलाओं का यह आंदोलन
शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन के सरकार पर प्रभाव के एक सवाल के जवाब में आंदोलन में शामिल एक महिला ने कहा कि सरकार पर जरूर प्रभाव पड़ेगा, इतिहास गवाह है कि इस तरह के शांतिपूर्ण चलने वाले आंदोलन हमेशा एक दिन सफल होते हैं, उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका यह आंदोलन भी एक दिन जरूर सफल होगा और सरकार को अपना यह काला कानून वापस लेना पड़ेगा.




Conclusion:सीलमपुर के जाफराबाद इलाके में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन लगातार चल रहा है, हर रोज गलियों में निकलने वाले कैंडल मार्च और महिलाओं के इस शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन को देखकर हर कोई यही कह रहा है कि जाफराबाद की महिलाएं भी अब शाहीन बाग की महिलाओं की डगर पर निकल पड़ी हैं, देखना यह होगा कि आंदोलन कितना सफल हो सकेगा.


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स्थानीय निवासी

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