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ई-कॉमर्स वेबसाइट पर विक्रेता बनकर करते थे ठगी, पुलिस के हत्थे चढ़े 2 शातिर अपराधी - दिल्ली की ताजा खबरें

दिल्ली जिले के साइबर थाने (Delhi Cyber Police) की पुलिस ने एक अनूठे धोखाधड़ी के मामले का खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस दौरान पुलिस ने दावा किया है कि आरोपी की गिरफ्तारी से कई मामले सुलझाई गई है.

पुलिस के हत्थे चढ़े 2 शातिर अपराधी
पुलिस के हत्थे चढ़े 2 शातिर अपराधी
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Published : Feb 3, 2023, 2:27 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में साइबर अपराधियों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे है. हालांकि उनके अपराधिक इरादों को नाकाम करने की दिशा में पुलिस लगातार कार्य कर रही है. इसी कड़ी में ई-कॉमर्स प्लेटफार्म (E Commerce Website) पर लोगों से ठगी करने वाले दो शातिर ठगों को दिल्ली के बाहरी जिला साइबर पुलिस की टीम ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से 4 मोबाइल फोन, 13 सिम कार्ड और दो डेबिट कार्ड बरामद हुई है. आरोपी की पहचान बृजेश कुमार और राजीव कुमार के रूप में हुई है, जो वसुंधरा एनक्लेव न्यू अशोक नगर दिल्ली का रहने वाला है. वहीं पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी से कई मामलों को सुलझाने का दावा किया है.

दिल्ली बाहरी जिला के डीसीपी हरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 5 जनवरी को एक शिकायतकर्ता द्वारा एक मामला दर्ज किया गया, जिसमें उसने बताया कि उसे कुछ डिस्पोजल सिरिंज की जरुरत थी इसलिए उसने indiamart.com पर ऑनलाइन विजिट किया. अगले दिन ही एक कॉल आया और कॉल करने वाले ने बताया कि उन्हें इंडियामार्ट पर उनकी क्वेरी मिल गई है. कथित कॉलर ने पीड़ित को लक्ष्मी नूर सीमा मेडिकल एजेंसियों के नाम से तस्वीरें, कीमत और कंपनी पंजीकरण प्रमाण पत्र भी भेजा. जिसके बाद यह डील 10 लाख रुपए में फाइनल हो गई. इसके बाद उन्होंने इस डील का पहला किस्त ₹1,36,000 अग्रिम भुगतान कर दिया, यह भुगतान उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से किया था. बाद में शिकायतकर्ता ने पाया कि उसके साथ धोखा हुआ है और कथित मोबाइल नंबर स्विच ऑफ जा रहा है. इस संबंध में बाहरी जिला साइबर पुलिस स्टेशन को जानकारी दी गई. अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एसीपी अरुण कुमार ने इंस्पेक्टर संदीप पवार के नेतृत्व में टीम का गठन किया, जिसमें हेड कांस्टेबल महेंद्र अनिल राकेश और कॉन्स्टेबल अनिल को शामिल किया गया.

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साइबर पुलिस ने जांच करते हुए कथित मोबाइल नंबरों की सीडीआर और आईएमईआई सर्च की. लाभार्थी के बैंक खातों से जुड़े ईमेल और ईमेल आईडी से जुड़े मोबाइल नंबरों का विवरण प्राप्त किया. जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कारवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. वहीं पुलिस पूछताछ में उसने खुलासा किया कि बृजेश का बड़ा भाई नितेश लगभग 1 साल पहले कुछ जालसालों के संपर्क में आया था और वह कॉमर्स प्लेटफार्म पर थोक में वस्तुओं के विक्रेता के रूप में खुद को पेश करके अच्छी कमाई कर रहा था. लेकिन बृजेश और उसके मामा राजू दोनों पर्याप्त कमाई नहीं कर पा रहे थे. जिसके बाद उसने नितेश से अपने ग्रुप में शामिल करने का अनुरोध किया था और करीब 6 महीने पहले उसके ग्रुप में शामिल हो गया. इसके बाद उसने इंडियामार्ट जैसी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर थोक में सामान वस्तुओं के विक्रेता के रूप में खुद को पेश किया और इस तरह से ठगी की घटना को अंजाम देने लग गए. फिलहाल इस मामले में दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है.

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नई दिल्ली: राजधानी में साइबर अपराधियों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे है. हालांकि उनके अपराधिक इरादों को नाकाम करने की दिशा में पुलिस लगातार कार्य कर रही है. इसी कड़ी में ई-कॉमर्स प्लेटफार्म (E Commerce Website) पर लोगों से ठगी करने वाले दो शातिर ठगों को दिल्ली के बाहरी जिला साइबर पुलिस की टीम ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से 4 मोबाइल फोन, 13 सिम कार्ड और दो डेबिट कार्ड बरामद हुई है. आरोपी की पहचान बृजेश कुमार और राजीव कुमार के रूप में हुई है, जो वसुंधरा एनक्लेव न्यू अशोक नगर दिल्ली का रहने वाला है. वहीं पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी से कई मामलों को सुलझाने का दावा किया है.

दिल्ली बाहरी जिला के डीसीपी हरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 5 जनवरी को एक शिकायतकर्ता द्वारा एक मामला दर्ज किया गया, जिसमें उसने बताया कि उसे कुछ डिस्पोजल सिरिंज की जरुरत थी इसलिए उसने indiamart.com पर ऑनलाइन विजिट किया. अगले दिन ही एक कॉल आया और कॉल करने वाले ने बताया कि उन्हें इंडियामार्ट पर उनकी क्वेरी मिल गई है. कथित कॉलर ने पीड़ित को लक्ष्मी नूर सीमा मेडिकल एजेंसियों के नाम से तस्वीरें, कीमत और कंपनी पंजीकरण प्रमाण पत्र भी भेजा. जिसके बाद यह डील 10 लाख रुपए में फाइनल हो गई. इसके बाद उन्होंने इस डील का पहला किस्त ₹1,36,000 अग्रिम भुगतान कर दिया, यह भुगतान उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से किया था. बाद में शिकायतकर्ता ने पाया कि उसके साथ धोखा हुआ है और कथित मोबाइल नंबर स्विच ऑफ जा रहा है. इस संबंध में बाहरी जिला साइबर पुलिस स्टेशन को जानकारी दी गई. अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एसीपी अरुण कुमार ने इंस्पेक्टर संदीप पवार के नेतृत्व में टीम का गठन किया, जिसमें हेड कांस्टेबल महेंद्र अनिल राकेश और कॉन्स्टेबल अनिल को शामिल किया गया.

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साइबर पुलिस ने जांच करते हुए कथित मोबाइल नंबरों की सीडीआर और आईएमईआई सर्च की. लाभार्थी के बैंक खातों से जुड़े ईमेल और ईमेल आईडी से जुड़े मोबाइल नंबरों का विवरण प्राप्त किया. जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कारवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. वहीं पुलिस पूछताछ में उसने खुलासा किया कि बृजेश का बड़ा भाई नितेश लगभग 1 साल पहले कुछ जालसालों के संपर्क में आया था और वह कॉमर्स प्लेटफार्म पर थोक में वस्तुओं के विक्रेता के रूप में खुद को पेश करके अच्छी कमाई कर रहा था. लेकिन बृजेश और उसके मामा राजू दोनों पर्याप्त कमाई नहीं कर पा रहे थे. जिसके बाद उसने नितेश से अपने ग्रुप में शामिल करने का अनुरोध किया था और करीब 6 महीने पहले उसके ग्रुप में शामिल हो गया. इसके बाद उसने इंडियामार्ट जैसी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर थोक में सामान वस्तुओं के विक्रेता के रूप में खुद को पेश किया और इस तरह से ठगी की घटना को अंजाम देने लग गए. फिलहाल इस मामले में दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है.

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