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टीबी पर लगाम लगाने के दावे फेल, इस साल 85 हजार नए मामले आए सामने

देश में दिन-प्रतिदिन टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस वर्ष भी अब तक 85 हजार 169 मरीज सामने आ चुके हैं.

टीबी पर लगाम लगाने के दावे फेल
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Published : Oct 22, 2019, 10:25 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में टीबी के मरीजों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. इस वर्ष टीबी के मरीजों में काफी इजाफा हुआ है. इस वर्ष 85 हजार 169 मरीज सामने आए हैं. यह आंकड़ा पिछले साल के स्तर से भी ज्यादा है. वहीं महरौली स्थित राष्ट्रीय क्षय रोग अस्पताल में भी मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कम नहीं हो रहे हैं टीबी के मरीज

इस वर्ष 85 हजार 169 मामले आए सामने
राजधानी दिल्ली में टीबी मरीजों के सरकारी आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 में इसकी संख्या 83 हजार 169 मामले अभी तक सामने आ चुके हैं. तो वहीं वर्ष 2018 में 81 हज़ार 177 मामले सामने आए थे. वहीं 2017 में 59 हजार 692 मामले थे. केंद्र सरकार और राज्य सरकार टीबी के मरीजों को बेहतर उपचार और आर्थिक मदद के दावे तो करती है लेकिन इसकी रोकथाम पर लगाम कसते हुए नहीं दिखती.

Tuberculosis patient
जांच के इंतजार में बैठे मरीज

अस्पतालों में भी मरीजों को काटने पड़ते हैं चक्कर
राष्ट्रीय क्षयरोग संस्थान में भी टीबी के उपचार के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं. मरीजों का कहना है कि हमें यहां पर आने के बाद घंटों लाइन में लगना पड़ता है और कई बार हालात ऐसे होते हैं कि मजबूरन हमें बाहर प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ता है. मुरादाबाद से आए मरीज ने बताया कि हम दो बार यहां आ चुके हैं, लेकिन अब तक उपचार नहीं मिल पाया है. फिलहाल जिस तरीके से राजधानी दिल्ली में टीबी के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, देखने वाली बात होगी इन आकड़ों के बाद सरकारें क्या कदम उठाती हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में टीबी के मरीजों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. इस वर्ष टीबी के मरीजों में काफी इजाफा हुआ है. इस वर्ष 85 हजार 169 मरीज सामने आए हैं. यह आंकड़ा पिछले साल के स्तर से भी ज्यादा है. वहीं महरौली स्थित राष्ट्रीय क्षय रोग अस्पताल में भी मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कम नहीं हो रहे हैं टीबी के मरीज

इस वर्ष 85 हजार 169 मामले आए सामने
राजधानी दिल्ली में टीबी मरीजों के सरकारी आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 में इसकी संख्या 83 हजार 169 मामले अभी तक सामने आ चुके हैं. तो वहीं वर्ष 2018 में 81 हज़ार 177 मामले सामने आए थे. वहीं 2017 में 59 हजार 692 मामले थे. केंद्र सरकार और राज्य सरकार टीबी के मरीजों को बेहतर उपचार और आर्थिक मदद के दावे तो करती है लेकिन इसकी रोकथाम पर लगाम कसते हुए नहीं दिखती.

Tuberculosis patient
जांच के इंतजार में बैठे मरीज

अस्पतालों में भी मरीजों को काटने पड़ते हैं चक्कर
राष्ट्रीय क्षयरोग संस्थान में भी टीबी के उपचार के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं. मरीजों का कहना है कि हमें यहां पर आने के बाद घंटों लाइन में लगना पड़ता है और कई बार हालात ऐसे होते हैं कि मजबूरन हमें बाहर प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ता है. मुरादाबाद से आए मरीज ने बताया कि हम दो बार यहां आ चुके हैं, लेकिन अब तक उपचार नहीं मिल पाया है. फिलहाल जिस तरीके से राजधानी दिल्ली में टीबी के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, देखने वाली बात होगी इन आकड़ों के बाद सरकारें क्या कदम उठाती हैं.

Intro:टीबी लगाम लगाने के दावे हो रहे फेल, इस वर्ष 85 हजार मामले आए सामने

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में टीवी के मरीजों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. आपको बता दें कि इस वर्ष टीबी के मरीजों में काफी इजाफा हुआ है.इस वर्ष 85 हजार 169 मरीज सामने आए हैं. यह आंकड़ा पिछले साल के स्तर से भी ज्यादा है.वहीं महरौली स्तिथ राष्ट्रीय क्षय रोग अस्पताल में भी मरीजो को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.


Body:इस वर्ष 85 हजार 169 मामले नए आए सामने
राजधानी दिल्ली में टीवी मरीजों के सरकारी आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 में इसकी संख्या 83 हजार 169 मामले अभी तक सामने आ चुके हैं. तो वहीं वर्ष 2018 में 81हज़ार 177 मामले सामने आए थे.2017 में 59हजार 692 मामले थे. यह बेहद ही चौंकाने वाला मामला है कि के सरकार और राज्य सरकार मिलकर बरही टीबी के मरीजों को बेहतर उपचार और आर्थिक मदद के दावे करती हो लेकिन इसकी रोकथाम पर लगाम कसते हुए नहीं दिखती है.

अस्पतालों में भी मरीजों को काटने पड़ते हैं चक्कर
राष्ट्रीय क्षयरोग संस्थान टीवी के उपचार के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं.आपको बता दें कि उपचार के लिए यहां पर तो है लेकिन मरीजों का कहना है कि हमें यहां पर आने के बाद घंटों लाइन में लगना पड़ता है.और कई बार हालात ऐसे होते हैं कि मजबूरन हमें बाहर प्राइवेट अस्पताल का रुख अपनाना पड़ता है. मुरादाबाद से आए मरीज ने बताया कि हम दो बार यहां आ चुके हैं, लेकिन भी तक उपचार नहीं मिल पाया है.



Conclusion:फिलहाल जिस तरीके से राजधानी दिल्ली में टीबी के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, देखने वाली बात होगी इन आकड़ो के बाद सरकारें क्या कदम उठाती हैं.
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