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विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ, पूर्व सैनिकों ने मनाया विजय दिवस - डिफेंस कॉलोनी में विजय दिवस

विजय दिवस को लेकर शनिवार को डिफेंस कॉलोनी (vijay diwas celebrate in defence colony) के ए ब्लॉक क्लब में पूर्व सैनिकों की तरफ से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें थल, जल, वायु सेना के पूर्व अधिकारी शामिल हुए. इस दौरान सीडीएस बिपिन सिंह रावत को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि (homage to cds bipin singh rawat) दी गई.

मनाया विजय दिवस
मनाया विजय दिवस
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Published : Dec 18, 2021, 7:48 PM IST

नई दिल्ली: 16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक जीत की खुशी आज भी हर देशवासी के मन को उमंग से भर देती है. इसी दिन भारत ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे. 16 दिसंबर का दिन सैनिकों के शौर्य को सलाम करने का दिन है. वीरता और शौर्य की मिसाल है विजय दिवस. विजय दिवस को लेकर शनिवार को डिफेंस कॉलोनी के ए ब्लॉक क्लब में पूर्व सैनिकों की तरफ से कार्यक्रम का आयोजन (vijay diwas celebrate in defence colony) किया गया. इसमें थल, जल, वायु सेना के पूर्व अधिकारी शामिल हुए. इस दौरान सीडीएस बिपिन सिंह रावत को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि (homage to cds bipin singh rawat) दी गई.

रिटायर्ड मेजर रंजीत कुमार ने बताया कि बहुत खुशी है, जब सन 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान को हमारी सेना ने धूल चटाई थी. यह लड़ाई 14 दिन तक चली थी और हमने एक नया देश बांग्लादेश बनाया. इस लड़ाई में हमारे सैनिकों ने साहस और पराक्रम से पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई थी और करीब 94,000 सैनिकों को पकड़ा भी था. यह एक शौर्य दिवस है, पराक्रम दिवस है. आज इसे मना रहे हैं. 16 दिसंबर को 50 साल पूरे हो चुके हैं.

मनाया विजय दिवस
विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के तौर पर मनाया जाता है. इस युद्ध के अंत के बाद 93 हजार पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था. 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी. इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया, जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है. पूर्वी पाकिस्तान (आज बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. 16 दिसंबर की शाम जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे. हर साल इस दिन को हम विजय दिवस के रूप में मनाते हैं.
पूर्व सैनिकों ने मनाया विजय दिवस
पूर्व सैनिकों ने मनाया विजय दिवस

ये भी पढ़ेंः गाजियाबाद में वीडियो वायरलः दूल्हे राजा काे मेहमान लगे पीटने, जानिये क्या है माजरा

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नई दिल्ली: 16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक जीत की खुशी आज भी हर देशवासी के मन को उमंग से भर देती है. इसी दिन भारत ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे. 16 दिसंबर का दिन सैनिकों के शौर्य को सलाम करने का दिन है. वीरता और शौर्य की मिसाल है विजय दिवस. विजय दिवस को लेकर शनिवार को डिफेंस कॉलोनी के ए ब्लॉक क्लब में पूर्व सैनिकों की तरफ से कार्यक्रम का आयोजन (vijay diwas celebrate in defence colony) किया गया. इसमें थल, जल, वायु सेना के पूर्व अधिकारी शामिल हुए. इस दौरान सीडीएस बिपिन सिंह रावत को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि (homage to cds bipin singh rawat) दी गई.

रिटायर्ड मेजर रंजीत कुमार ने बताया कि बहुत खुशी है, जब सन 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान को हमारी सेना ने धूल चटाई थी. यह लड़ाई 14 दिन तक चली थी और हमने एक नया देश बांग्लादेश बनाया. इस लड़ाई में हमारे सैनिकों ने साहस और पराक्रम से पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई थी और करीब 94,000 सैनिकों को पकड़ा भी था. यह एक शौर्य दिवस है, पराक्रम दिवस है. आज इसे मना रहे हैं. 16 दिसंबर को 50 साल पूरे हो चुके हैं.

मनाया विजय दिवस
विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के तौर पर मनाया जाता है. इस युद्ध के अंत के बाद 93 हजार पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था. 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी. इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया, जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है. पूर्वी पाकिस्तान (आज बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. 16 दिसंबर की शाम जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे. हर साल इस दिन को हम विजय दिवस के रूप में मनाते हैं.
पूर्व सैनिकों ने मनाया विजय दिवस
पूर्व सैनिकों ने मनाया विजय दिवस

ये भी पढ़ेंः गाजियाबाद में वीडियो वायरलः दूल्हे राजा काे मेहमान लगे पीटने, जानिये क्या है माजरा

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