नई दिल्ली: दिल्ली में प्रज्ञता फाउंडेशन ने राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड और आयुष मंत्रालय के द्वारा प्रदूषण को दूर करने के लिए औषधीय पौधों के अध्ययन में बहुविषयक दृष्टिकोण नामक सेमिनार का अयोजन किया गया. आयोजन में मुख्य रूप से विभिन्न क्षेत्रों से आए विशेषज्ञों द्वारा औषधीय पौधों को लेकर चर्चा की गई, जिसमें विभिन्न उपायों के माध्यम से प्रदूषण से कैसे निपटा जाए, इसके बारे में बात की गई. साथ ही इस चर्चा में स्कूली छात्रों ने विषय से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया.
प्रज्ञाता फाउंडेशन की संस्थापक सदस्य ममता यादव ने बताया कि आज के माहौल में प्रदूषण को कैसे साफ सुथरा कर सकते हैं और हमें किस तरह के पौधे लगाने की आवश्यकता है इसके बारे में जानकारी दी. वहीं इस कार्यक्रम में डॉ जीतेन्द्र कुमार वैश्य, एनएमपीबी, आयुष मंत्रालय के अनुसंधान अधिकारी, डॉ योगिता मुंजाल, एसएमपीबी, आयुष मंत्रालय के उप निदेशक, और डॉ प्रदीप अग्रवाल, भारतीय चिकित्सा के लिए पैरा-मेडिकल प्रशिक्षण के आयोजक समिति के अध्यक्ष, एस के अग्रवाल एनवायरमेंटलिस्ट, ICL एक्सपर्ट एक्सपोर्ट डॉक्टर शैलेन्द्र, रमा भारती कंसल्टेंट और अनुपमा चितरंजन इस कार्यक्रम के मुख्य मेहमान थे. इस दौरान पैनल के सभी सदस्यों ने विभिन्न पहलुओं पर अपनी विशेषज्ञता साझा की.
घरों में जाकर बांटे जाएंगे आयुर्वेदिक पौधे: प्रज्ञता फाउंडेशन की संस्थापक ने बताया कि अलग-अलग जगहों से पहुंचे लोगों ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम दिल्ली जिले के समुदायों में दो तीन दिनों के बाद आयुर्वेदिक पौधे घरों में जाकर बांटे जाएंगे. साथ ही संस्था ऑनलाइन और ऑफलाइन जागरूकता फैलाने का कार्य जारी रखेगी. उनका कहना है कि यह आयोजन प्रदूषण से निपटने और शहरी आबादी के लिए औषधीय पौधों के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों में काफ़ी महत्वपूर्ण साबित हुआ है.
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वायु प्रदूषण रोकने को लेकर पहल: कार्यक्रम में पहुंचे स्कूल के छात्रों ने बताया कि आज का कार्यक्रम बेहद अच्छा था. इस कार्यक्रम के द्वारा प्रदूषण हटाने को लेकर पहल की जा रही है. जगह-जगह औषधीय पौधे लगाए जाएंगे, जिससे कि हमारे वातावरण को साफ स्वच्छ व सुंदर रखा जा सके. इस आयोजन में दक्षिण दिल्ली और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के आवासीय क्षेत्रों सहित एक बड़ी संख्या में सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, प्रोफेसरों, वेदों, आयुर्वेदिक डॉक्टरों, पर्यावरण विज्ञानी, आईसीएल इंडिया के विशेषज्ञ, मोएफकक, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आरडब्ल्यूएए के सदस्यों, स्कूल और कॉलेज के छात्रों और एनजीओ शामिल हुए.
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