नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा प्रसिद्ध साइंटिस्ट नंबी नारायण पर बनी फिल्म 'रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट' को दिखाया गया, जिसे सैकड़ों छात्र और छात्राओं ने कड़ाके की सर्दी के बावजूद खुले आसमान में जमीन पर बैठकर देखा.
नंबी नारायण देश के प्रसिद्ध साइंटिस्ट थे. उन्होंने इंजीनियर के तौर पर 1966 में इसरो में शामिल हुए थे और 1970 में तरल ईंधन रॉकेट तकनीक का अविष्कार किया था. वह जानते थे कि आगामी इसरो के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए भारत को तरल ईंधन वाले इंजनों की आवश्यकता होगी.
नंबी नारायण भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में क्रायोजेनिक डिवीजन के प्रभारी भी थे, लेकिन 1994 में उनके ऊपर आरोप लगा कि उन्होंने अंतरिक्ष प्रोग्राम की जानकारी मालदीव के दो नागरिकों से साझा की है, जिन्होंने इसरो के राकेट इंजनों की इस जानकारी को पाकिस्तान को बेच दिया. जिसके बाद उनके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया. इन आरोपों के बाद केरल सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. 50 दिनों तक जेल मे रहने और पुलिसिया अत्याचार सहने के बाद वे जेल से रिहा हुए. इस बीच उन्होंने पुलिस अत्याचार के अलावा समाजिक और मानसिक प्रताड़णा भी झेली.
बाद में ये केस झूठा साबित हुआ और फिर 2019 में केन्द्र सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण से सुशोभित किया गया. बाद में उनके जीवन पर आधारित एक मूवी बनी, जिसका नाम था रॉकेट्रीः द नंबी इफेक्ट. इस फिल्म को भारत में खूब प्रसिद्धि मिली. इस फिल्म में नंबी नारायण का किरदार बॉलीवुड एक्टर आर. माधवन ने निभाया है. इस फिल्म में नंबी नारायण के जीवन से जुड़ी हर उतार चढ़ाव को दिखाया गया है.
जेएनयू में एबीवीपी द्वारा इस फिल्म को दिखाए जाने का मकसद ये था कि नंबी नारायण देश के एक बड़े साइंटिस्ट के साथ-साथ देशभक्त भी थे. उनका पूरा जीवन देश सेवा के लिए समर्पित था. उन्हें झूठे केस मे फंसाकर जेल में डाला गया था. इसलिए ऐसे सपूतों को हम सलाम करते हैं और उनके जीवन और योगदान से शिक्षा लेते हैं.