नई दिल्ली: राजधानी में शनिवार को कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में पुरुष आयोग की ओर से अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया (program on international mens day in delhi) गया. कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने कहा कि पुरुषों के मानसिक विकास, उनके सकारात्मक गुणों की सराहना और लैंगिग समानता के उद्देश्य से प्रतिवर्ष दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर विभिन्न लोगों को उनके सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित भी किया गया.
इस खास मौके पर बात करते हुए कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे जिन्होंने इस दिवस के बारे में अपने विचार रखे. कार्यक्रम में शामिल हुए एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि पहले की तुलना में अब पुरुषों के प्रति होने वाले अपराध के अधिक मामले सामने आने लगे हैं. हालांकि हमें वीमेंस या मेंस डे मनाने के बजाए इंटरनेशनल डे फॉर ह्यूमन बींग्स मनाना चाहिए. वहीं लेखक प्रमोद आचार्य ने कहा कि पुरुष आयोग कानूनी समाधान का हिस्सा हो सकता है लेकिन चाहे पुरुष हो या स्त्री, जब तक उसके भीतर अज्ञान और हिंसा है, उसमें शोषण करने की वृत्ती बची रहेगी.
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उनके अलावा सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि कानून को जेंडर न्यूट्रल और रिलिजन न्यूट्रल बनाया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं द्वारा फेक दर्ज कराए जाने पर रोक लगाने के लिए कहा कि जब भी किसी व्यक्ति के खिलाफ कंप्लेंट लिखवाई जाए, उसपर यह जरूर लिखवाया जाए कि मैं जो शिकायत कर रही हूं, इसके लिए मैं अपना नार्को टेस्ट कराने के लिए तैयार हूं. इससे फेक केस और पुरुषों द्वारा किए जाने आत्महत्या के मामलों में बहुत कमी आएगी. इस दौरान राज्यसभा सांसद डॉ. सोनल मानसिंह, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे.
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