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हम डिस्प्लेसड नहीं, मिस प्लेसड हैं...72 साल से जंग लड़ रहे POK के विस्थापित परिवार

मंगलवार को पाक अधिकृत विस्थापित लोगों ने जंतर-मंतर पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगाई है.

हम डिस्प्लेसड नहीं, मिस प्लेसड हैं-pok विस्थापित परिवार
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Published : Oct 22, 2019, 7:58 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 11:21 PM IST

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाक अधिकृत जमीन के विस्थापित लोग 72 साल से अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए जंग लड़ रहे हैं. आज 22 अक्टूबर है और आज ही के दिन पाक अधिकृत जमीन पर हमला हुआ था. विस्थापित लोगों की मांग है कि भले ही सरकार ने उस वक्त हमारे बारे में सोचा, लेकिन आज भी हम अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ रहे हैं.

हम डिस्प्लेसड नहीं, मिस प्लेसड हैं-pok विस्थापित परिवार

मंगलवार को पाक अधिकृत विस्थापित लोगों ने जंतर-मंतर पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगाई है.

तीन लाख परिवार हुए थे विस्थापित
पाक विस्थापित लोगों के संगठन के चेयमैन राजीव चुनी ने बताया कि आज से 72 साल पहले आज ही के दिन पाकिस्तान ने हमारी जमीन पर हमला किया था. उस वक्त हमारे परिवार के कई लोग मौत के घाट उतारे गए थे. उन्होंने बताया कि उस वक्त भारत के अलग-अलग हिस्सों में तीन लाख लोगों ने पनाह ली थी.

आज ये संख्या 13 लाख हो चुकी है. उन्होंने बताया कि आज 72 साल बीत जाने के बाद हमें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई है. उन्होंने बताया कि ना तो हमें यहां रहने के लिए स्थिर जगह दी गई और ना ही मूलभूत सुविधाओं के लिए व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने कहा कि लंबे अरसे से हम सरकार से मांग कर रहे हैं लेकिन हमारी मांगों पर सिर्फ और सिर्फ पर्दा डालने का काम किया जा रहा है.

'अगर पीओके अभिन्न अंग तो कब जाएंगे हम'
राजीव ने कहा कि केंद्र सरकार पीओके को को अपना अभिन्न अंग मानती है. लेकिन हम लोग पिछले 72 साल से संघर्ष कर रहे हैं.अगर वो भारत का हिस्सा है तो सरकार उसे जल्द छुड़ाएं और हमें घर वापस करे. क्योंकि हम यहां कितने सालों से रह रहे हैं लेकिन हमें परेशानियों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे और हमारे परिवार वालों के लिए काला दिवस के रूप में है. हर साल 22 अक्टूबर को हमारे जख्म ताजा होते हैं.

सरकार से क्या हैं मांगें?

  • शरणार्थियों की तरह मासिक सहायता
  • कैम्प के जगह पर बेहतर स्थिर स्थान की मांग
  • जम्मू कश्मीर असेम्बली में 24 सीटें फ्रिज की गई है, उसे खोला जाए, जिससे हम भी लोकतंत्र की आवाज बनें

हमारी सभ्यता को बरकरार रखने के लिए शरणार्थी डेवलमेंट बोर्ड बनाया जाए, जो भाषा और सभ्यता को विलुप्त होने से बचा पाए. फिलहाल विस्थापित लोगों की मांग है कि केंद्र सरकार हमें मूलभूत सुविधाएं दे या फिर पीओके को पाकिस्तान से छुड़ाकर हमें वापस भेजें.

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाक अधिकृत जमीन के विस्थापित लोग 72 साल से अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए जंग लड़ रहे हैं. आज 22 अक्टूबर है और आज ही के दिन पाक अधिकृत जमीन पर हमला हुआ था. विस्थापित लोगों की मांग है कि भले ही सरकार ने उस वक्त हमारे बारे में सोचा, लेकिन आज भी हम अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ रहे हैं.

हम डिस्प्लेसड नहीं, मिस प्लेसड हैं-pok विस्थापित परिवार

मंगलवार को पाक अधिकृत विस्थापित लोगों ने जंतर-मंतर पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगाई है.

तीन लाख परिवार हुए थे विस्थापित
पाक विस्थापित लोगों के संगठन के चेयमैन राजीव चुनी ने बताया कि आज से 72 साल पहले आज ही के दिन पाकिस्तान ने हमारी जमीन पर हमला किया था. उस वक्त हमारे परिवार के कई लोग मौत के घाट उतारे गए थे. उन्होंने बताया कि उस वक्त भारत के अलग-अलग हिस्सों में तीन लाख लोगों ने पनाह ली थी.

आज ये संख्या 13 लाख हो चुकी है. उन्होंने बताया कि आज 72 साल बीत जाने के बाद हमें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई है. उन्होंने बताया कि ना तो हमें यहां रहने के लिए स्थिर जगह दी गई और ना ही मूलभूत सुविधाओं के लिए व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने कहा कि लंबे अरसे से हम सरकार से मांग कर रहे हैं लेकिन हमारी मांगों पर सिर्फ और सिर्फ पर्दा डालने का काम किया जा रहा है.

'अगर पीओके अभिन्न अंग तो कब जाएंगे हम'
राजीव ने कहा कि केंद्र सरकार पीओके को को अपना अभिन्न अंग मानती है. लेकिन हम लोग पिछले 72 साल से संघर्ष कर रहे हैं.अगर वो भारत का हिस्सा है तो सरकार उसे जल्द छुड़ाएं और हमें घर वापस करे. क्योंकि हम यहां कितने सालों से रह रहे हैं लेकिन हमें परेशानियों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे और हमारे परिवार वालों के लिए काला दिवस के रूप में है. हर साल 22 अक्टूबर को हमारे जख्म ताजा होते हैं.

सरकार से क्या हैं मांगें?

  • शरणार्थियों की तरह मासिक सहायता
  • कैम्प के जगह पर बेहतर स्थिर स्थान की मांग
  • जम्मू कश्मीर असेम्बली में 24 सीटें फ्रिज की गई है, उसे खोला जाए, जिससे हम भी लोकतंत्र की आवाज बनें

हमारी सभ्यता को बरकरार रखने के लिए शरणार्थी डेवलमेंट बोर्ड बनाया जाए, जो भाषा और सभ्यता को विलुप्त होने से बचा पाए. फिलहाल विस्थापित लोगों की मांग है कि केंद्र सरकार हमें मूलभूत सुविधाएं दे या फिर पीओके को पाकिस्तान से छुड़ाकर हमें वापस भेजें.

Intro:हम डिस्प्लेसड नहीं, मिस प्लेसड हैं, 72 साल से सुविधाओं के लिए लड़ रहे जंग

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का बाद पाक अधिकृत जमीन के विस्थापित लोग 72 साल से अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए जंग लड़ रहे हैं. आज 22 अक्टूबर है और आज ही के दिन पाक अधिकृत जमीन पर हमला हुआ था. विस्थापित लोगों की मांग है कि भले ही सरकार ने उस वक्त हमारे बारे में सोचा, लेकिन आज भी हम अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ रहे हैं. मंगलवार को पाक अधिकृत विस्थापित लोगों ने जंतर-मंतर पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगाई है.


Body:तीन लाख परिवार हुए थे विस्थापित
पाक विस्थापित लोगो के संगठन के चेयमैन राजीव चुनी ने बताया कि आज से 72 साल पहले आज ही के दिन पाकिस्तान ने हमारी जमीन पर हमला किया था.उस वक्त हमारे परिवार के कई लोग मौत के घाट उतारे गए थे. उन्होंने बताया कि उस वक्त भारत के अलग-अलग हिस्सों में तीन लाख लोगों ने पनाह ली थी.आज यह संख्या 13 लाख हो चुकी है. उन्होंने बताया कि आज 72 साल बीत जाने के बाद हमें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई है.उउन्होंने बताया कि ना तो हमें यहां रहने के लिए स्थिर जगह दी गई और ना ही मूलभूत सुविधाओं के लिए व्यवस्था की जा रही है.उन्होंने कहा कि लंबे अरसे से हम सरकार से मांग कर रहे हैं लेकिन हमारी मांगों पर सिर्फ और सिर्फ पर्दा डालने का काम किया जा रहा है.

अगर पीओके अभिन्न अंग तो कब जाएंगे हम
राजीव ने कहा कि केंद्र सरकार पीओके को को अपना अभिन्न अंग मानती है. लेकिन हम लोग पिछले 72 साल से संघर्ष कर रहे हैं.अगर वह भारत का हिस्सा है तो सरकार उसे जल्द छुड़ाएं और हमें घर वापसी दे. क्योंकि हम यहां कितने सालों से रह रहे हैं लेकिन हमें परेशानियों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता. उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे और हमारे परिवार वालों के लिए काला दिवस के रूप में है. हर साल 22 अक्टूबर को हमारे जख्म ताजा होते हैं.

क्या सरकार से है मांग
-शरणार्थियों की तरह मासिक सहायता
-कैम्प के जगह पर बेहतर स्थिर स्थान की मांग
-जम्मू कश्मीर असेमलबी 24 सीटे फ्रिज की गई है, उसे खोला जाए, जिससे हम भी लोकतंत्र की आवाज बनें
-हमारी सभ्यता को बरकरार रखने के लिए शरणार्थी डेवलमेंट बोर्ड बनाया जाए, जो भाषा और सभ्यता को विलुप्त होने से बचा पाए.



Conclusion:फिलहाल विस्थापित लोगों की मांग है कि केंद्र सरकार हमें मूलभूत सुविधाएं दे या फिर पीओके को पाकिस्तान से छुड़ाकर हमें वापस भेजें.
Last Updated : Oct 22, 2019, 11:21 PM IST
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