नई दिल्ली: आज सावन की हरियाली तीज है और आज के दिन की परंपरा रही है कि महिलाएं बगीचे में झूला झूलती हैं और गाना गाती हैं. लेकिन अब ये परंपरा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है.
पार्क में लगाया गया झूला
गांव में फिर भी अभी कहीं-कहीं ये चीज दिख जाती है लेकिन शहरों में तो बिल्कुल ही लुप्त हो चुकी है. वहीं आज आर. के. पुरम विधानसभा के कुछ कार्यकर्ता इस परंपरा को जिंदा किया और मुनिरका गांव के पार्क में पेड़ पर रस्सियों का झूला लगाया. जिसके बाद हरियाली तीज का व्रत करने वाली महिलाओं ने पार्क में आकर झूला झूलने का आनंद लिया.
तीज पर झूला झूलने की परंपरा
कांग्रेसी कार्यकर्ता भी इस झूले पर झूले और लुप्त हो रही इस परंपरा को जिंदा किया. सावन की हरियाली तीज पर परंपरा रही है कि बगीचे में रस्सियों का झूला लगाकर महिलाएं इस पर झूला झूलती हैं और पारंपरिक गाना गाती हैं और घेवर खाती हैं.
लेकिन, अब ये परंपरा धीरे-धीरे लुप्त हो गयी है. गांव में तो फिर भी ये चीज दिख जाती है लेकिन शहरों में तो बिल्कुल ही ये परंपरा गायब हो गयी है. लेकिन आर. के.पुरम के कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इस परंपरा को फिर से जिंदा कर दिया. इनका मकसद था कि इस लुप्त हो रही परंपरा के बारे में हमारी नई पीढ़ी को कुछ नहीं को बताया जाए.