नई दिल्ली: कोरोना महामारी की तीसरी वेब चल रही है. डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सिंग स्टाफ इस महामारी से निपटने में लगे हुए हैं. हर जगह सिर्फ कोरोना की चर्चा हो रही है. हार्ट, लीवर, किडनी, कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में कोई बात नहीं कर रहा है.
देशभर में लाखों मरीज हार्ट, किडनी, टिशूज, बोंस और कॉर्निया के ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोरोना की वजह से मार्च महीने के बाद से हर तरह के ट्रांसप्लांट पर रोक लगी हुई है. हालांकि कुछ निजी अस्पतालों में बेहद सुरक्षित माहौल में ट्रांसप्लांट किया जा रहा है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट नहीं किया जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय से ट्रांसप्लांट की मंजूरी नहीं
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से ट्रांसप्लांट को लेकर आदेश जारी किया गया है कि जब तक कोरोना के लेकर स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है तब तक अस्पतालों में ट्रांसप्लांट नहीं किए जा सकते हैं.
ऐसे में सवाल यह है कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों की क्या हालत है और उनकी इंतजार की घड़ी कब समाप्त होगी, कब तक वे जीवित रह सकते हैं, ये सवाल काफी अहम हैं.
डोनर्स की सुरक्षा के लिए ट्रांसप्लांट पर रोक
किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आमतौर पर अस्पताल में डायलिसिस की जितनी सुविधा होती है, उतनी ही मरीजों को प्रतीक्षा सूची में रखा जाता है, जहां तक हार्ट, लीवर या दूसरे अंगों के ट्रांसप्लांट की बात है तो यह डोनर के ऊपर निर्भर करता है.
मौजूदा समय में कोरोना की वजह से हालात इतने खराब हैं कि डोनर होने के बावजूद ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता है, क्योंकि कोरोना का जितना खतरा रिसिपिएंट्स को है उससे ज्यादा खतरा डोनर्स को होता है.
मार्च महीने से नहीं हो रहा ट्रांसप्लांट
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ हेमंत महापात्रा बताते हैं कि मार्च 2020 से पूरे देश भर में कोरोना मरीज की वजह से लॉकडाउन लागू कर दिया गया था, जिसकी वजह से अस्पतालों में ना तो डायलिसिस के लिए मरीज पहुंच पा रहे थे और ना ही ट्रांसप्लांट के लिए.
ट्रांसप्लांट के लिए कई सारे ऐसे मरीज प्रतीक्षा सूची में थे, जिनकी हालत बेहद गंभीर थी. इन मरीजों का ट्रांसप्लांट होना जरूरी था, लेकिन लॉक डाउन की वजह से उनका ट्रांसप्लांट नहीं हो सका.
इन मरीजों को ट्रैक करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी. बहुत हद तक संभव है कि उनकी बीमारी की जटिलता की वजह से मौत हो गई होगी.
RML अस्पताल में 30 मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार
डॉ महापात्रा ने बताया कि वे अपनी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 50 मरीजों को प्रतीक्षा सूची में रखे हुए थे, क्योंकि सप्ताह में एक बार ही किडनी ट्रांसप्लांट करते हैं.
इस हिसाब से हमारे अस्पताल में जितनी सुविधाएं हैं उसके मद्देनजर 50 मरीजों को डायलिसिस कर उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए प्रतीक्षा सूची में रखा जाता है. इन 50 मरीजों में से आज सिर्फ 30 मरीज बचे हैं 20 मरीजों का क्या हुआ इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
डोनर्स और रेसिपीएंट की सुरक्षा है अहम
डॉ महापात्रा के मुताबिक प्रतीक्षा सूची में किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों और जिन मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है. इन दोनों में ही कोरोना इनफेक्शन होने की आशंका ज्यादा होती है.
हेल्दी डोनर के लिए भी कोरोना इनफेक्शन का खतरा अधिक होता है, क्योंकि किडनी रिट्रीव करने के लिए डोनर का भी सर्जरी करना पड़ता है. जिन मरीजों को ट्रांसप्लांट किया जाता है डोनर से प्राप्त अंग को बॉडी बड़ी द्वारा एक्सेप्ट करने के लिए उनकी इम्यूनिटी को कम करने के लिए दवाई दी जाती है.
इससे प्राकृतिक रूप से उनकी इम्यूनिटी कम होती है, जिसकी वजह से कोरोना के अलावा दूसरे इंफेक्शन होने की अधिक संभावना होती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी जरूरी
डॉ महापात्रा बताते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से उनके पास आदेश है, जिसके तहत अस्पतालों में होने वाली सारी सर्जरी को बंद करने को कहा गया है, लेकिन जब अनलॉक प्रोसेस शुरू हो गई तब हल्की सर्जरी शुरू की गई. इसके बावजूद आरएमएल अस्पताल में हमने ट्रांसप्लांट शुरू नहीं किया है.
डोनर के रिस्क को ध्यान में रखते हुए और पोस्ट कोविड रिकवरी को देखते हुए ट्रांसप्लांट नहीं करने का निर्णय लिया गया है. दिल्ली में कोरोना का प्रकोप काफी बढ़ रहा है इसे देखते हुए हम किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. इसीलिए ट्रांसप्लांट को होल्ड पर रख दिया है.
कोविड डेथ रेट और कोरोना के मामले में जैसे ही कमी आएगी और मंत्रालय की तरफ से आदेश आएगा उसके बाद ट्रांसप्लांट का काम फिर शुरू किया जाएगा.
डॉ महापात्रा ने बताया कि अस्पताल में कुल 30 मरीज इन्हीं ट्रांसप्लांट के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं. इनमें से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है. उम्मीद है ट्रांसप्लांट होने तक वे सुरक्षित रहेंगे.
पिछले दो महीने में बत्रा अस्पताल में चार किडनी ट्रांसप्लांट हुईं
बत्रा हॉस्पिटल के रीनल साइंस डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉक्टर मुखर्जी ने बताया कि जब अनलॉक की प्रोसेस शुरू हुई, उसके बाद हमने प्रतीक्षा सूची में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी.
पिछले कुछ महीनों में 4 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है. जिन मरीजों का ट्रांसप्लांट किया गया है वे सभी स्वस्थ हैं. सही सलामत है और बिल्कुल नॉर्मल किडनी फंक्शन के साथ अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट आए हैं.
डॉक्टर मुखर्जी ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जो मरीज प्रतीक्षा सूची में हैं उन्हें सप्ताह में तीन बार यानी महीने में 12 बार डायलिसिस के लिए अस्पताल आना पड़ता है.
कोरोना काल में यह काफी जोखिम भरा काम है. जिन मरीजों का ट्रांसप्लांट हो चुका है उन्हें फॉलो के लिए महीने में सिर्फ एक बार अस्पताल आना पड़ता है जिसकी वजह से उन्हें कोरोना इनफेक्शन का रिस्क कम होता है.