नई दिल्लीः दिल्ली के एम्स अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग की तरफ से पूरे भारत के डॉक्टरों के लिए पहला ट्रांसप्लांट प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट कोर्स आयोजित किया गया है. इसकी जानकारी एम्स अस्पताल में एक कार्यक्रम के दौरान दी गई. कार्यक्रम न्यूरो सर्जरी विभाग की तरफ से आयोजित किया गया था, जिसमें स्पेनिश डीटीआई फाउंडेशन की टीम दिल्ली के एम्स अस्पताल आई और टीपीएम कोर्स के बारे में जानकारी दी. इस कोर्स में स्पेन, इटली, पुर्तगाल, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, अफ्रीका के संकाय पाठ्यक्रम भी शामिल किए जाएंगे.
NOTTO द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत में कुल 15,661 प्रत्यारोपण हुए. 12,791 जीवित प्रत्यारोपण, जबकि 2765 प्रत्यारोपण मृतक दाताओं से हुए हैं. पूरे भारत में डॉक्टरों के प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला के साथ इस टीपीएम मॉड्यूल को ले जाने की योजना है. कार्यशाला में कला और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इसमें 6 साल की एक लड़की रोली प्रजापति की कहानी को प्रदर्शित किया. जब पिछले साल अप्रैल में वह नोएडा स्थित अपने घर में सो रही थी तब उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. डॉक्टर गुप्ता और उनकी टीम से बात करने के बाद रोली के माता-पिता जिन्होंने अंगदान के बारे में कभी नहीं सुना था, उसके अंगदान करने के लिए तैयार हो गए थे.
वहीं, एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि आज दिल्ली एम्स में एक नए कोर्स को शुरू करने को लेकर चर्चा की गई, जिसमें देश के अलग-अलग और पूरी दुनिया भर के डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जाती है कि किस तरीके से हमें ऑर्गन डोनेशन प्रोग्राम को बढ़ाना है. इसमें डॉक्टरों को टीपीएम मॉडल के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा. कार्यशाला के बारे में जानकारी दी जाएगी और इस योजनाओं को आगे ले जाने की चर्चा की गई है.
इस दौरान डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि सबसे ज्यादा अंगदान स्पेन में होता है. वहां पर अंगदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. इसलिए हमने इस पर यूएसए और जापान सहित कई देशों के बड़े डॉक्टरों से चर्चा की. उनसे राय ली गई किस तरह से हम इसे अपने देश में इंप्लीमेंट कर सकते हैं और डॉक्टरों की ट्रेनिंग के लिए पूरे देश भर से 50 प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया है, जिसमें न्यूरो सर्जन, एनएसथीसिया, इंटेंसिव केयर सर्जन, अस्पताल जैसे कई विभाग के डॉक्टरों को इसमें ट्रेनिंग दी जाएगी. हम चाहते हैं कि भारत में भी अंग दाताओं की संख्या बढ़े.
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डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि पिछले साल भारत में 904 ब्रेन डेड डोनर थे. भारत ने प्रत्यारोपण करने की अपनी क्षमता को और आगे बढ़ाया है, लेकिन वर्तमान में अधिकांश अंग जीवित दाताओं से ही मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि मस्तिष्क मृत रोगियों से सफल प्रत्यारोपण करने के लिए अंगों को स्वस्थ रखने के सभी प्रयास करते हुए भारत में मस्तिष्क मृत्यु प्रमाण अंदर को समय बद्ध तरीके से बढ़ाने के लिए बहुत किए काम करे जाने की आवश्यकता है. इस तरह के पेशेवर पाठ्यक्रम हमारे देश के लिए समय की मांग है, जबकि जागरूकता गतिविधियां साथ-साथ हो रही है.