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लगा आरोप, 22 सालों से NGO का बिजली-पानी बिल भर रही NDMC - Illegal capture not removed from NGO

नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) का सामाजिक कल्याण विभाग एनजीओ के प्रति ज्यादा ही मेहरबान है. जिस एनजीओ से 1998 में ही नाता टूट गया, उससे आज तक जगह खाली नहीं करवाई जा सकी है. बल्कि पिछले 22 सालों से इसके पानी और बिजली के बिल भी खुद भर रही है. नई दिल्ली पालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार ने यह आरोप लगाया है.

एनडीएमसी क्यों भर रहा एनजीओ का बिल?
एनडीएमसी क्यों भर रहा एनजीओ का बिल?
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Published : Jan 29, 2021, 8:00 PM IST

नई दिल्ली: नई दिल्ली नगर पालिका परिषद को सामाजिक कल्याण विभाग की मेहरबानी की वजह से करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है. एक तरफ किसी एनजीओ पर मेहरबान होकर अपने प्राइम लोकेशन में करोड़ों की प्रॉपर्टी को मुफ्त में इस्तेमाल के लिए देकर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ नियमों की अनदेखी के चलते जिस एनजीओ को 23 साल पहले 1998 में ही जगह खाली करने का आदेश पारित किया गया था. उससे आज तक जगह खाली नहीं करवाई जा सकी है. उल्टे एनडीएमसी को खुद पानी और बिजली के हजारों रुपये का बिल हर महीने भरना पड़ रहा है. यह आरोप है नई दिल्ली पालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार का.

एनडीएमसी क्यों भर रहा एनजीओ का बिल?
NGO से नहीं हटाया गया अवैध कब्जा
नई दिल्ली पालिका कर्मचारी संघ ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है. साथ ही डॉक्टर लेन में चल रहे अवैध उद्यान एसओएस एनजीओ को खाली कराने एवं उसका बिजली-पानी तत्काल प्रभाव से काटने की मांग की है. कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार ने बताया कि एनडीएमसी में कुछ अधिकारियों की वजह से एनडीएमसी को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. दिल्ली के प्राइम लोकेशन भगत सिंह कमर्शियल कॉम्पलेक्स में एक एनजीओ को मुफ्त में जगह दे रखी है. जिसके सरकारी रेट से अगर किराये का अनुमान लगाया जाए तो हर महीने कम से कम एक लाख रुपये का नुकसान एनडीएमसी को उठाना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर लेन में चल रहे अवैध उद्यान एसओेएस एनजीओ को 23 साल पहले ही खाली करने का आदेश पारित होने के बावजूद अभी तक एनजीओ के अवैध कब्जे को हटाया नहीं किया जा सका है.
Drinking water bill of NGO
एनजीओ के पेयजल का बिल
प्रॉपर्टी खाली कराने में एनडीएमसी असमर्थ
सुधाकर कुमार ने बताया कि डॉक्टर लेन को आर्य समाज से किराए पर लेकर उद्यान एसओएस के साथ 1981 से एनडीएमसी के सहयोग से एक अनाथालय चलाया जा रहा था, लेकिन नियमों की अवहेलना के कारण 1998 से एनडीएमसी ने एनजीओ को सहयोग देना बंद कर दिया. एनजीओ को जगह खाली करने का आदेश जारी कर दिया. 2003 में परिषद रिजोलेशन द्वारा भी एनजीओ को जगह खाली करने का आदेश पारित कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि 1998 से अवैध रूप से चल रहे एनजीओ को अभी तक खाली नहीं करवाया जा सका है.
electricity bill of ngo filed by ndmc
एनजीओ का बिजली बिल


ये भी पढ़ें- एम्स ने मधुमेह के इलाज के लिए दो पद्धतियों की दवाओं के साथ की स्टडी


एनडीएमसी खुद भर रही बिजली और पानी का बिल
इतना ही नहीं एनडीएमसी को ही इसके पानी और बिजली के बिल भी भरने पड़ रहे हैं. इससे न सिर्फ एनडीएमसी की बदनामी हो रही है, बल्कि करोड़ों का नुकसान भी हो रहा है. पिछले 22 सालों से एनडीएमसी एनजीओ से जगह खाली करवाने में सफल नहीं हो सकी है. एनडीएमसी के चेयरमैन से तत्काल प्रभाव से इस एनजीओ के पानी और बिजली का कनेक्शन समाप्त करने की मांग की है ताकि जल्दी से जल्दी एनजीओ को जगह खाली करने के लिए मजबूर किया जा सके.

नई दिल्ली: नई दिल्ली नगर पालिका परिषद को सामाजिक कल्याण विभाग की मेहरबानी की वजह से करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है. एक तरफ किसी एनजीओ पर मेहरबान होकर अपने प्राइम लोकेशन में करोड़ों की प्रॉपर्टी को मुफ्त में इस्तेमाल के लिए देकर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ नियमों की अनदेखी के चलते जिस एनजीओ को 23 साल पहले 1998 में ही जगह खाली करने का आदेश पारित किया गया था. उससे आज तक जगह खाली नहीं करवाई जा सकी है. उल्टे एनडीएमसी को खुद पानी और बिजली के हजारों रुपये का बिल हर महीने भरना पड़ रहा है. यह आरोप है नई दिल्ली पालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार का.

एनडीएमसी क्यों भर रहा एनजीओ का बिल?
NGO से नहीं हटाया गया अवैध कब्जा
नई दिल्ली पालिका कर्मचारी संघ ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है. साथ ही डॉक्टर लेन में चल रहे अवैध उद्यान एसओएस एनजीओ को खाली कराने एवं उसका बिजली-पानी तत्काल प्रभाव से काटने की मांग की है. कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार ने बताया कि एनडीएमसी में कुछ अधिकारियों की वजह से एनडीएमसी को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. दिल्ली के प्राइम लोकेशन भगत सिंह कमर्शियल कॉम्पलेक्स में एक एनजीओ को मुफ्त में जगह दे रखी है. जिसके सरकारी रेट से अगर किराये का अनुमान लगाया जाए तो हर महीने कम से कम एक लाख रुपये का नुकसान एनडीएमसी को उठाना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर लेन में चल रहे अवैध उद्यान एसओेएस एनजीओ को 23 साल पहले ही खाली करने का आदेश पारित होने के बावजूद अभी तक एनजीओ के अवैध कब्जे को हटाया नहीं किया जा सका है.
Drinking water bill of NGO
एनजीओ के पेयजल का बिल
प्रॉपर्टी खाली कराने में एनडीएमसी असमर्थ
सुधाकर कुमार ने बताया कि डॉक्टर लेन को आर्य समाज से किराए पर लेकर उद्यान एसओएस के साथ 1981 से एनडीएमसी के सहयोग से एक अनाथालय चलाया जा रहा था, लेकिन नियमों की अवहेलना के कारण 1998 से एनडीएमसी ने एनजीओ को सहयोग देना बंद कर दिया. एनजीओ को जगह खाली करने का आदेश जारी कर दिया. 2003 में परिषद रिजोलेशन द्वारा भी एनजीओ को जगह खाली करने का आदेश पारित कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि 1998 से अवैध रूप से चल रहे एनजीओ को अभी तक खाली नहीं करवाया जा सका है.
electricity bill of ngo filed by ndmc
एनजीओ का बिजली बिल


ये भी पढ़ें- एम्स ने मधुमेह के इलाज के लिए दो पद्धतियों की दवाओं के साथ की स्टडी


एनडीएमसी खुद भर रही बिजली और पानी का बिल
इतना ही नहीं एनडीएमसी को ही इसके पानी और बिजली के बिल भी भरने पड़ रहे हैं. इससे न सिर्फ एनडीएमसी की बदनामी हो रही है, बल्कि करोड़ों का नुकसान भी हो रहा है. पिछले 22 सालों से एनडीएमसी एनजीओ से जगह खाली करवाने में सफल नहीं हो सकी है. एनडीएमसी के चेयरमैन से तत्काल प्रभाव से इस एनजीओ के पानी और बिजली का कनेक्शन समाप्त करने की मांग की है ताकि जल्दी से जल्दी एनजीओ को जगह खाली करने के लिए मजबूर किया जा सके.

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