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JNU प्रवेश परीक्षा के केंद्रों में कश्मीर का नाम नहीं, छात्रों ने जताई नाराजगी - Exam Centers

जेएनयू की प्रवेश परीक्षा के लिए 127 शहरों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं लेकिन इन शहरों में कश्मीर का नाम शामिल नहीं किया गया है. जिसकी वजह से कश्मीरी छात्रों ने नाराजगी जाहिर की है.

JNU प्रवेश परीक्षा के लिए बनाए जा रहे केंद्रों में कश्मीर का नाम नहीं
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Published : Mar 20, 2019, 5:25 PM IST

नई दिल्ली: जेएनयू में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है. सत्र 2019-20 के लिए सभी पाठ्यक्रमों की दाखिला परीक्षा 30 मई तक चलेगी. इच्छुक छात्र 15 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं.

JNU प्रवेश परीक्षा के लिए बनाए जा रहे केंद्रों में कश्मीर का नाम नहीं

बता दें कि जेएनयू की प्रवेश परीक्षा के लिए 127 शहरों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं लेकिन इन शहरों में कश्मीर का नाम शामिल नहीं किया गया है.

छात्रों ने जताया विरोध
इस बात से नाराज कश्मीरी छात्रों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव एजाज अहमद ने कहा कि जेएनयू प्रशासन ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर कश्मीरी छात्रों को मेनस्ट्रीम में आने से रोकने के लिए ये षड्यंत्र रचा है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू रेक्टर वन चिंतामणि महापात्रा और रजिस्टर प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

'छात्रों की सुविधा का रखें ख्याल'
जेएनयू की तरफ से आयोजित प्रवेश परीक्षा केंद्रों में कश्मीर को शामिल नहीं किए जाने को लेकर कश्मीरी छात्रों में खासा रोष देखने को मिल रहा है. इन छात्रों की मांग है कि अन्य शहरों की तरह कश्मीर में भी जेएनयू के प्रवेश परीक्षा के लिए केंद्र बनाए जाएं जिससे छात्रों को सुविधा हो. वहीं जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव एजाज़ अहमद ने बताया कि सत्र 2017-18 में श्रीनगर में प्रवेश परीक्षा का सेंटर बनाया गया था जिसमें लगभग 22 कश्मीर छात्र सफल हो पाए थे.

कश्मीर में सेंटर ना होने से परेशानी
वहीं सत्र 2018-19 में श्रीनगर के परीक्षा केंद्र को रद्द कर दिया गया था और श्रीनगर के छात्रों को जम्मू जाकर पेपर देना पड़ा था, जिसकी वजह से सिर्फ 5 अभ्यर्थी ही जेएनयू में दाखिला ले पाए थे. वहीं सत्र 2019- 20 में भी कश्मीर को परीक्षा केंद्रों की सूची में शामिल नहीं किया गया. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ के महासचिव एजाज अहमद ने प्रशासन को पत्र लिखकर कश्मीर में प्रवेश परीक्षा के लिए सेंटर बनाने की मांग की है.

एजाज ने कहा कि कश्मीर में सेंटर ना होने की वजह से छात्रों को जम्मू जाकर इम्तिहान देना होता है जो कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए मुमकिन नहीं है. उन्होंने बताया कि जम्मू से कश्मीर की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है.

'कश्मीर में क्यों नहीं बनाए जाते परीक्षा केंद्र'
जेएनयू से पीएचडी कर रहे कश्मीरी छात्र गुलज़ार ने कहा कि पिछले साल भी जेएनयू प्रशासन ने सर्दियों के मौसम का हवाला देते हुए कश्मीर का परीक्षा केंद्र रद्द कर दिया था. हालांकि गुलज़ार का कहना है कि इसको लेकर प्रशासन को कई पत्र लिखे गए थे जिसमें कुछ जगहों के नाम भी सुझाए गए थे जो प्रवेश परीक्षा के लिए सेंटर बनाये जा सकते थे लेकिन प्रशासन ने एक नहीं सुनी. उन्होंने जेएनयू प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है.

उनका कहना है कि प्रशासन जानबूझकर ऐसा कर रहा है जिससे कश्मीरी छात्रों को राजधानी में आकर पढ़ने का मौका ना मिले न ही वह बेहतर शिक्षा ले पाए. गुलजार का कहना है कि अगर उत्तराखंड में सेंटर बनाया जा सकता है तो कश्मीर में क्यों नहीं.

नई दिल्ली: जेएनयू में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है. सत्र 2019-20 के लिए सभी पाठ्यक्रमों की दाखिला परीक्षा 30 मई तक चलेगी. इच्छुक छात्र 15 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं.

JNU प्रवेश परीक्षा के लिए बनाए जा रहे केंद्रों में कश्मीर का नाम नहीं

बता दें कि जेएनयू की प्रवेश परीक्षा के लिए 127 शहरों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं लेकिन इन शहरों में कश्मीर का नाम शामिल नहीं किया गया है.

छात्रों ने जताया विरोध
इस बात से नाराज कश्मीरी छात्रों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव एजाज अहमद ने कहा कि जेएनयू प्रशासन ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर कश्मीरी छात्रों को मेनस्ट्रीम में आने से रोकने के लिए ये षड्यंत्र रचा है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू रेक्टर वन चिंतामणि महापात्रा और रजिस्टर प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

'छात्रों की सुविधा का रखें ख्याल'
जेएनयू की तरफ से आयोजित प्रवेश परीक्षा केंद्रों में कश्मीर को शामिल नहीं किए जाने को लेकर कश्मीरी छात्रों में खासा रोष देखने को मिल रहा है. इन छात्रों की मांग है कि अन्य शहरों की तरह कश्मीर में भी जेएनयू के प्रवेश परीक्षा के लिए केंद्र बनाए जाएं जिससे छात्रों को सुविधा हो. वहीं जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव एजाज़ अहमद ने बताया कि सत्र 2017-18 में श्रीनगर में प्रवेश परीक्षा का सेंटर बनाया गया था जिसमें लगभग 22 कश्मीर छात्र सफल हो पाए थे.

कश्मीर में सेंटर ना होने से परेशानी
वहीं सत्र 2018-19 में श्रीनगर के परीक्षा केंद्र को रद्द कर दिया गया था और श्रीनगर के छात्रों को जम्मू जाकर पेपर देना पड़ा था, जिसकी वजह से सिर्फ 5 अभ्यर्थी ही जेएनयू में दाखिला ले पाए थे. वहीं सत्र 2019- 20 में भी कश्मीर को परीक्षा केंद्रों की सूची में शामिल नहीं किया गया. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ के महासचिव एजाज अहमद ने प्रशासन को पत्र लिखकर कश्मीर में प्रवेश परीक्षा के लिए सेंटर बनाने की मांग की है.

एजाज ने कहा कि कश्मीर में सेंटर ना होने की वजह से छात्रों को जम्मू जाकर इम्तिहान देना होता है जो कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए मुमकिन नहीं है. उन्होंने बताया कि जम्मू से कश्मीर की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है.

'कश्मीर में क्यों नहीं बनाए जाते परीक्षा केंद्र'
जेएनयू से पीएचडी कर रहे कश्मीरी छात्र गुलज़ार ने कहा कि पिछले साल भी जेएनयू प्रशासन ने सर्दियों के मौसम का हवाला देते हुए कश्मीर का परीक्षा केंद्र रद्द कर दिया था. हालांकि गुलज़ार का कहना है कि इसको लेकर प्रशासन को कई पत्र लिखे गए थे जिसमें कुछ जगहों के नाम भी सुझाए गए थे जो प्रवेश परीक्षा के लिए सेंटर बनाये जा सकते थे लेकिन प्रशासन ने एक नहीं सुनी. उन्होंने जेएनयू प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है.

उनका कहना है कि प्रशासन जानबूझकर ऐसा कर रहा है जिससे कश्मीरी छात्रों को राजधानी में आकर पढ़ने का मौका ना मिले न ही वह बेहतर शिक्षा ले पाए. गुलजार का कहना है कि अगर उत्तराखंड में सेंटर बनाया जा सकता है तो कश्मीर में क्यों नहीं.

Intro:जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है जिसके बाद ही जेएनयू में दाखिला मिलता है. सत्र 2019-20 के लिए सभी पाठ्यक्रमों की दाखिला परीक्षा 30 मई तक चलेगी. वहीं इच्छुक छात्र 15 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं. बता दें कि जेएनयू की प्रवेश परीक्षा के लिए 127 शहरों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं लेकिन इन शहरों में कश्मीर का नाम शामिल नहीं किया गया है. इस बात से नाराज़ कश्मीरी छात्रों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव एजाज़ अहमद ने कहा जेएनयू प्रशासन और केंद्र सरकार ने मिलकर कश्मीरी छात्रों को मेनस्ट्रीम में आने से रोकने के लिए यह षड्यंत्र रचा है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू रेक्टर वन चिंतामणि महापात्रा और रजिस्टर प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.


Body:जेएनयू द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा केंद्रों में कश्मीर को शामिल नही किये जाने को लेकर कश्मीरी छात्रों में खासा रोष देखने को मिल रहा है. इन छात्रों की मांग है कि अन्य शहरों की तरह कश्मीर में भी जेएनयू के प्रवेश परीक्षा के लिए केंद्र बनाया जाए जिससे छात्रों को सुविधा हो. वहीं जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव एजाज़ अहमद ने बताया कि सत्र 2017 - 18 में श्रीनगर में प्रवेश परीक्षा का सेंटर बनाया गया था जिसमें लगभग 22 कश्मीर छात्र सफल हो पाए थे. वहीं सत्र 2018 - 19 में श्रीनगर के परीक्षा केंद्र को रद्द कर दिया गया था और श्रीनगर के छात्रों को जम्मू जाकर पेपर देना पड़ा था जिसके कारण केवल 5 अभ्यर्थी ही जेएनयू में दाखिला ले पाए थे. वहीं सत्र 2019 - 20 में भी कश्मीर को परीक्षा केंद्रों की सूची में शामिल नहीं किया गया.

वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ के महासचिव एजाज अहमद ने प्रशासन को पत्र लिखकर कश्मीर में प्रवेश परीक्षा के लिए सेंटर बनाने की मांग की है. एजाज ने कहा कि कश्मीर में सेंटर ना होने की वजह से छात्रों को जम्मू जाकर इम्तिहान देना होता है जो कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए मुमकिन नहीं है. उन्होंने बताया कि जम्मू से कश्मीर की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है.

इस मामले को लेकर जेएनयू से पीएचडी कर रहे कश्मीरी छात्र गुलज़ार ने कहा कि गत वर्ष भी जेएनयू प्रशासन ने सर्दियों के मौसम का हवाला देते हुए कश्मीर का परीक्षा केंद्र रद्द कर दिया था. हालांकि गुलज़ार का कहना है की इसको लेकर प्रशाशन को कई पत्र लिखे गए थे जिसमें कुछ जगहों के नाम भी सुझाए गए थे जो प्रवेश परीक्षा के लिए सेंटर बनाये जा सकते थे लेकिन प्रशासन ने एक न सुनी. वहीं इस वर्ष भी कश्मीर को प्रवेश परीक्षा के सेंटर की सूची में शामिल न करने से ऐसा प्रतीत होता है कि एक तरफ तो केंद्र सरकार कश्मीरी युवा को मुख्य धारा से जोड़ने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर कश्मीरी छात्रों को जेएनयू जैसे विद्यालयों से दूर रखा जा रहा है. उन्होंने जेएनयू प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि प्रशासन जानबूझकर ऐसा कर रहा है जिससे कश्मीरी छात्रों को राजधानी में आकर पढ़ने का मौका ना मिले न ही वह बेहतर शिक्षा ले पाए. गुलज़ार का कहना है कि अगर उत्तराखंड में सेंटर बनाया जा सकता है तो कश्मीर में क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि श्रीनगर में रँगग्रेथ नाम की जगह है जहां पर ऑनलाइन परीक्षा आयोजित होती है. जेएनयू प्रशासन चाहे तो वहां भी एक केंद्र बना सकता है. साथ ही कहा कि अगर प्रशासन के पास परीक्षा की ड्यूटी के लिए लोग कम हैं तो हम खुद वहां जाकर ड्यूटी करने और अन्य सभी संसाधनों की व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं.

वहीं जेएनयू में पढ़ रहे कश्मीरी छात्र अल्ताफ़ ने बताया कि जेएनयू प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन कंप्यूटर आधारित हो रही है और यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी करवा रही है जो कि एक बहुत बड़ी एजेंसी है. अगर वह चाहे तो कश्मीर में भी एक सेंटर बना सकती है. वहीं गुलज़ार का कहना है कि 2 जून को कश्मीर में यूपीएससी की लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी. जब लिखित परीक्षा आयोजित हो सकती है तो ऑनलाइन परीक्षा के आयोजन में प्रशासन को क्या समस्या है.




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