नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संगठन (JNUSU) ने कैंपस में प्रदर्शन किया. जिसमें लेफ्ट समर्थक छात्रों ने जेएनयू प्रशासन, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. इसके पीछे की वजह 2020 में छात्रों हुए हमले को लेकर था. दरअसल, 2020 में इस कैंपस में फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों का जबरदस्त प्रदर्शन चल रहा था. उसी दौरान 5 जनवरी 2020 को जेएनयू के प्रोफेसर और छात्र संघ द्वारा शाम के वक्त प्रोटेस्ट कॉल दिया गया था. (Anniversary of attack on students in JNU in 2020)
साबरमती हॉस्टल के पास हजारों की संख्या में लेफ्ट समर्थक छात्र और प्रोफेसर थे, लेकिन अंधेरा होने के बाद लगभग 9 बजे इस कैंपस में 20 से 25 नकाबपोश छात्र कैंपस में आते हैं. जिनके हाथों में लाठी-डंडे और हॉकी स्टिक था. उन छात्रों ने प्रदर्शनकारी छात्र और प्रोफेसर के ऊपर अंधाधुंध लाठियों से हमला कर दिया, जिसमें दर्जनों छात्र घायल हुए थे. कई प्रोफेसर को भी गंभीर चोटें आई थी.
वहीं, JNUSU की प्रेसिडेंट आईसी घोष को भी उस हमले में गंभीर चोटें आई थी. उसी हमले का विरोध JNUSU हर साल 5 जनवरी को आयोजित करती है. लेफ्ट समर्थक छात्रों का आरोप है कि उस हमले के पीछे राइट विंग के छात्र थे. आरोप यह भी है कि पूरे ही मामले में दिल्ली पुलिस ने ठीक से जांच नहीं की. उस घटना के तीन साल बीतने के बाद भी यह छात्र क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं.
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साल 2019 में जेएनयू कैम्पस में काफी हंगामा होता रहा. इस पूरे साल जेएनयू कैंपस में किसी ना किसी मुद्दे पर जेएनयू प्रशासन और केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते रहे और 2020 के शुरुआत में ही कुछ नकाबपोशों ने छात्रों पर हमला कर दिया था. इसमें कई छात्र घायल हो गए थे. आरोप लगा था कि ये नकाबपोश कैंपस के नहीं, बल्कि बाहरी थे. 2020 में इस हमले के बाद जेएनयू कैंपस से लेकर संसद तक सभी पार्टियों ने खूब राजनीति की थी और इस हमले को लेकर दिल्ली पुलिस और केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. आज भी छात्रों का आरोप है कि सब कुछ साक्ष्य होने के बावजूद दिल्ली पुलिस उन अपराधियों को गिरफ्तार तक नहीं की.
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