नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव को लेकर जोर-शोर से प्रचार चल रहा है. जहां छात्रसंघ चुनाव के उम्मीदवार तरह-तरह के लुभावने वादे करके छात्रों का विश्वासपात्र बनने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं छात्र अब वादे नहीं बल्कि समस्या का समाधान चाहते हैं.
छात्रों का कहना है कि जो संगठन छात्रों के मुद्दों को सुलझाएंगे उनका ही चुनाव किया जाएगा. बता दें कि बाहरी प्रदेशों से आये छात्र सबसे ज्यादा परेशानी से जूझ रहे हैं.
छात्रों ने रखी अपनी बात
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव को लेकर माही मांडवी हॉस्टल के छात्रों ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कुछ अहम मुद्दे सामने रखे हैं. जिनसे अमूमन उन्हें दो चार होना पड़ता है.
हॉस्टल की समस्या सबसे अहम मुद्दा
छात्र प्रसून जो कि बिहार से जेएनयू में पढ़ाई करने के लिए आये हैं. उन्होंने हॉस्टल की समस्या को सबसे अहम मुद्दा बताया है. उनका कहना है कि जेएनयू परिसर में छात्रों के रहने के लिए हॉस्टल की पूरी सुविधा नहीं है. इसलिए एक हॉल में ही 50-60 छात्रों को ठहराया गया है.
पिछले छह महीनों से बंद पड़ी लाइब्रेरी
छात्र आदर्श ने लाइब्रेरी को अहम मुद्दा बनाया है. उन्होंने कहा कि स्कूल ऑफ लैंग्वेज (एसएल) की लाइब्रेरी पिछले छह महीनों से बंद पड़ी है.
हॉस्टल में न रहने की सुविधा ढंग की है ना खाने पीने की. यहां तक कि शौचालय में कई बार पानी भी नहीं होता जिससे काफी दिक्कतें होती हैं. बाहरी प्रदेशों से आये अन्य छात्रों ने भी हॉस्टल और साफ सफाई के मुद्दे को सबसे बड़ी समस्या बताई है.
छात्र सत्यम त्रिपाठी ने कहा कि लाइब्रेरी में छात्रों के बैठने की व्यवस्था बहुत ही निराशाजनक है.
उन्होंने कहा कि जेएनयू लाइब्रेरी में विदेशों से संबंधित सभी किताबें मौजूद हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि देश की विविधताओं की जानकारी देने वाली एक भी किताब मौजूद नहीं है.
मेडिकल सुविधाओं पर भी उठाए सवाल
साथ ही छात्रों ने मेडिकल सुविधाओं पर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि हर बीमारी के लिए छात्रों को केवल पेरासिटामोल गोली थमा दी जाती है और यदि आराम न हो तो बाहर से इलाज लिख दिया जाता है.
'छात्रों की समस्याएं सुलझाएं'
अदित्यराज सहित कई छात्रों ने आरोप लगाया है कि छात्रसंघ विदेशों के मुद्दों को लेकर प्रचार करता है और वोट मांगता है. जबकि इस बात की सुध नहीं लेता की छात्रों की मूलभूत समस्याओं का समाधान कैसे निकाला जाए.
छात्रों का कहना है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्दे सुलझाने से पहले बेहतर होगा कि छात्रसंघ घरेलू मुद्दे यानी जेएनयू के छात्रों की समस्याएं सुलझाएं.